Paschimottasana in Hindi: पश्चिमोत्तासन के 10 जादुई लाभ

Paschimottasana in Hindi क्या अपने कभी सोचा है कि सूर्य पूर्व से ही क्यों उदय होता है या पूर्व दिशा का इतना महत्व क्यों है? चाहे शास्त्रों की भाषा पर गौर करें चाहे विज्ञान की, दोनों ने ही आपने अपने तरीके से दिशाओं के महत्व को स्वीकार किया है।

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जिस ऊर्जा शक्ति से चल रहा है वह ग्रहों की परिक्रमा अनुसार बदलती रहती है। ठीक वैसे ही जैसे नीम का पेड़ दिन में ऑक्सीजन किंतु रात में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है।

हठ योग का सबसे महत्वपूर्ण योगासन जिसे सारी दुनिया सूर्य नमस्कार के नाम से जानती है, सूर्योदय के समय पूर्व दिशा में मुंह करके इसका अभ्यास करने से अनेकों विकारों से मुक्ति मिलती है।

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Mystic Mind के इस आर्टिकल में हम आज एक ऐसे आसन के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे जिसका संबंध दिशा एवं शारीरिक स्थित से है।

जी हां, दिशाओं का महत्व जीवन के हर क्षेत्र में है। फिर चाहे वह उत्तर दिशा में मुंह करके भोजन करना हो या दक्षिण दिशा में सिर करके सोना है।

इन छोटी छोटी बातों में गहरे राज़ छिपे हैं जिन्हे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। तो, कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो शारीरिक अथवा मानसिक बीमारियों के पीछे किसी न किसी बात को नजरंदाज करना है।

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छोटी छोटी बातों का ख्याल रख आप अपने जीवन में बेहतर स्वास्थ्य एवं अधिक खुशहाली को निमंत्रित कर सकते हैं। सबसे पहले जानते हैं की पश्चिमोत्तासन का अर्थ क्या है 

Paschimottasana Meaning in Hindi

अन्य आसनों की भांति इस आसन का सही अर्थ भी संस्कृत भाषा में ही छिपा है। हठ योग के मूल आसनों में से एक पश्चिमोत्तासन संस्कृत भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है।

पश्चिम अर्थात पश्चिम दिशा, उत्तान अर्थ तीव्र खिंचाव तथा आसन अर्थ बैठने की अवस्था। इस प्रकार पश्चिमोत्तासन का सरल अर्थ है कि इस प्रकार से बैठना कि शरीर का पश्चिमी अथवा पीछे के हिस्से में तीव्र खिंचाव हो।

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दिखने में अत्यंत सरल किन्तु अभ्यास में कठिन इस चमत्कारी आसन का उल्लेख शिव संहिता में भी किया गया है। यह आसन शरीर में प्राण ऊर्जा को संतुलित कर अनेकों शारीरिक मानसिक एवं भावनात्मक लाभ देता है।

पश्चिमोत्तासन के जादुई लाभों को जानने से पहले यह जान लेना अत्यंत आवश्यक है कि इसका अभ्यास करने का सही तरीका क्या है?

How to Do Paschimottasana in Hindi

इस आसन को प्रभावी तरीके से करने के लिए नीचे Paschimottasana Steps को विस्तार से पढ़िए।

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१- योगाभ्यास के लिए चटाई अथवा योगा मैट समतल, शांत एवं हवादार स्थान पर बिछाकर इस आसन के अभ्यास के लिए तैयार हो जाएं।

२- आसन पर दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर पीठ पूर्ण रूप से सीधी रख बैठ जाएं।

३- लंबी गहरी सांस भरें तथा जितनी देर तक संभव हो भीतर रोककर रखें। फिर धीरे धीरे मुंह से सांस बाहर छोड़ें। चार से पांच बार सांसों का ये अभ्यास करें।

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४- अब एक लंबी सांस लेकर दोनों हाथों को ऊपर उठाएं । शरीर और हाथों को सामने की ओर झुकाना शुरू करें। इसे बिल्कुल आराम से करें ताकि किसी भी प्रकार का झटका ना लगे।

५- नीचे झुकते समय धीरे धीरे पेट अंदर लें एवं सांस बाहर छोड़ते रहें। शरीर को जितना संभव हो नीचे झुकाते रहें।

६- लक्ष्य है कि नाक से घुटने को छूना है तथा हाथों को ज़मीन तक ले जाकर दोनों हथेलियों से पंजों को पकड़ना है।

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Paschimottasana Imagaes


७- इसी अवस्था में रुकें, मन में एक से दस तक गिने फिर वापस हाथों के साथ शरीर को ऊपर उठाकर सामान्य अवस्था में आ जाएं। इस प्रकार इस आसन का एक चक्र पूर्ण हुआ।

८- सामान्य होने पर पांच से दस बार सांसों का अभ्यास करें तथा पुनः पश्चिमोत्तासन करते हुए नीचे झुकें। शुरू में कम से कम ३ से पांच बार इसका अभ्यास करें।

९- कुछ दिनों के अभ्यास के बाद झुकने के बाद वहां रुकने का समय दस से बढ़ाकर बीस अथवा जितनी देर संभव हो करें। जितनी ज्यादा देर तक कर सकेंगे उतना अधिक लाभ होगा।

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Benefits of Paschimottasana in Hindi

Paschimottasana Yoga अभ्यास के समय जितना कठिन होता है, उतना ही उत्साहवर्धक बनता कटा है जब उसके लाभ मिलने लगते हैं। आइए देखते हैं यह आसन कितना लाभदाई है।

१- पश्चिमोत्तासन Paschimottasana के अभ्यास के दौरान मुंह पूर्व की तरफ़ तथा पीठ पश्चिम की तरफ़ होती है जिससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सिर से पैर की तरफ़ बढ़ती है जिससे अनेकों बीमारियां ठीक होती हैं।

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२- यह आसन मेरुदंड जो मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, लचीला बनता है तथा मजबूत भी होता है।

३- पश्चिमोत्तासन Paschimottasana करते समय रीढ़ की हड्डी में जो तनाव होता है उससे शरीर में छिपे सात मुख्य चक्रों को सक्रिय एवं संतुलित करता है।

४- सामने की ओर अर्थात पेट पर दबाव पड़ने के कारण पेट की चर्बी कम होती है तथा पेट अंदर जाता है।

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५- लगातार अभ्यास एवं सातों चक्रों के सक्रिय एवं संतुलित होने के कारण कुण्डलिनी शक्ति सक्रिय होती है तथा जीवन परिवर्तित होने लगता है।

६- पश्चिमोत्तासन के नियमित अभ्यास से कमर, पीठ एवं कंधों के दर्द से निजात मिलती है तथा शरीर स्वस्थ बनता है।

७- नियमित पश्चिमोत्तासन Paschimottasana का अभ्यास पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे पेट संबंधी बीमारियां जैसे कि गैस की समस्या, अपच की समस्या, किडनी लीवर इत्यादि की समस्या दूर होती है।

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८- पाचन तंत्र सुधारने के साथ शरीर से चर्बी घटती है एवं भूख भी लगती है। मधुमेह, उच्च अथवा निम्न रक्तचाप, सांस संबंधी बीमारी तथा हृदय रोग दूर करने में पश्चिमोत्तासन अत्यंत उपयोगी आसन है।

९- जांघों की अतिरिक्त चर्बी कम होने के साथ घुटनों में भी दर्द की समस्या खत्म होने लगती है। घुटनों में तनाव के कारण ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है एवं घुटने स्वस्थ होने लगते हैं।

१०- शारीरिक लाभों के अलावा मन शांत होने लगता है तथा शरीर अधिक ऊर्जावान होने के साथ चिंता एवं अधिक सोचने की समस्या भी खत्म हो जाती है।

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पश्चिमोत्तासन Paschimottasana के पहले करने वाले सहायक आसन

पश्चिमोत्तासन के पूर्व यदि उत्कटासन, वीर भद्रासन दंडासन एवं अर्ध पद्मोत्तासन का अभ्यास शरीर को अधिक प्रभावी परिणाम देते हैं।

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पश्चिमोत्तासन Paschimottasana Yoga के बाद करने वाले सहायक आसन

इस आसन के अभ्यास के बाद पूर्वोत्तासन, अर्ध बद्ध पद्म पश्चिमोत्तासन, त्रिअंग मुखेकपद पश्चिमोत्तासन का अभ्यास करने से शरीर का तनाव कम होकर इस आसन का अधिक लाभ मिलता है।

पश्चिमोत्तासन Paschimottasana अभ्यास में सावधानियां

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यह आसन जितना अधिक लाभदायक है, उतना ही अधिक सावधानी पूर्ण करने की आवश्यकता है। इसके अभ्यास से पूर्व कुछ बातों पर विशेष ध्यान दें।

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१- पश्चिमोत्तासन Paschimottasana अभ्यास का सर्वोत्तम समय सूर्योदय से पहले का है इसलिए कोशिश करें कि उसी समय अभ्यास कर पूर्ण लाभ लें।

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३- इस आसन का अभ्यास विशेषतः खाली पेट से ही करें, यदि किसी कारण सुबह न संभव हो तो खाने के ३ घंटे बाद इसका अभ्यास करें।

४- मेरुदंड अथवा कमर की हड्डी में किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या हो तो चिकित्सक की सलाह एवं गुरु की देख रेख में ही पश्चिमोत्तासन का अभ्यास करें।

५- शुरुआती दिनों में जितना संभव हो उतना ही नीचे झुकें, अपने शरीर के साथ किसी भी प्रकार की ज़ोर जबरदस्ती करने से नुकसान हो सकता है।

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Final Words: पश्चिमोत्तासन Paschimottasana एक विशेष आसन है जिसके नियमित अभ्यास से अनगिनत लाभ मिलते हैं। अपनी दिनचर्या में इस आसन को शामिल कर मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य बढ़ाएं।

भवतु सब्बै मंगलम!

 

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