भुजंगासन विधि और लाभ | Steps of Bhujangasana in Hindi | MysticMind

Steps of Bhujangasana in Hindi | Bhujangasana Benefits in Hindi

आज हम शरीर की स्वस्थ, निरोगी एवं सबसे महत्वपूर्ण, लचीला बनाने वाले भुजंगासन के बारे में विस्तार से जानेंगे। Steps of Bhujangasana जानने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि भुजंगासन क्या है तथा इसके क्या उद्देश्य अथवा लाभ हैं।

मेरा मानना है हमारे आस पास जितने भी लोग तथा पशु पक्षी हैं, हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ ना कुछ संदेश देते हैं। संस्कृति का यह श्लोक जो हमने बचपन में पढ़ा था “काकचेश्टा बकोध्यानम, श्वाननिद्रा तथैव च” बड़े होकर गहराई से समझ में आया।

महादेव के गले में निवास कर रहे नाग देवता अपने आप में बहुत कुछ गुण समय हुए हैं। उनका सबसे आकर्षित करने वाला गुण शरीर का लचीलापन है।

हमारे पूर्वजों ने गहराई से प्रकृति को समझा तथा उनके गुणों को धारण करने के लिए योगासन, मुद्राएं तथा भिन्न भिन्न ध्यान योग की विधियां बनाईं। जिनमें से एक महत्वपूर्ण आसान भुजंगासन है।

What is Bhuajngasana in Hindi | भुजंगासन क्या है

कोबरा आसन तथा सर्प आसान के नाम से प्रचलित भुजंगासन हठ योग की एक ऐसी मुद्रा है जो शरीर में सर्प सामान लचीलापन लाती है।

भुजंग संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ साँप तथा आसन का अर्थ अवस्था है। इस आसन के अभ्यास में शारीरिक अवस्था बिल्कुल फन फैलाए सांप की तरह बनती है। दूसरे शब्दों में कहूं तो योग की वह अवस्था जो भुजंग के समान पोस्चर तथा लचीली कमर प्रदान करे, भुजंगासन कहलाती है।

Importance of Bhujangasana in Hindi | भुजंगासन का महत्व

  • भुजंगासन उस एकमात्र योग मुद्रा “सूर्य नमस्कार” का हिस्सा है जिसके एक चक्र पूर्ण होने में सम्पूर्ण शरीर की ऊर्जा में बदलाव आ जाता है।
  • सूर्य नमस्कार के १२ आसनों के अन्तर्गत भुजंगासन आठवें स्थान पर है। निरोगी काया अथवा लचीले शरीर के साथ यह आसन एक विशेष प्रक्रिया में भी मदद करता है।
  • भुजंगासन के अभ्यास में सर्वाधिक प्रभावित हिस्सा पीठ अर्थात रीढ़ की हड्डी है। इसी रीढ़ की हड्डी में इन चक्रों का स्थान है जो कुण्डलिनी शक्ति को जागने का जरिया है।
  • इस प्रकार पूर्ण ज्ञान तथा सही प्रकार से किया गया भुजंगासन कुण्डलिनी जागरण में भी सहायक है।

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भुजंगासन के अभ्यास से पहले आवश्यक बातें

Steps of Bhujangasana जानने से पहले कुछ बातों का ज्ञान होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भुजंगासन सम्पूर्ण शरीर को प्रभावित करता है इसलिए इसका अभ्यास सुबह खाली पेट ही करें।

यदि किसी कारणवश सुबह नहीं कर पाते हैं तो भोजन के चार से पांच घंटे बाद करें। लंबा समय भोजन को आसानी से पचा देता है। इसलिए भोजन के कम से कम चार घंटे बाद ही इसका अभ्यास करें।

भुजंगासन के पहले किए जाने वाले आसान

योग गुरुओं के अनुसार Steps of Bhujangasana करने से पहले यदि सम्भव हो तो मार्जरी आसन, गरुणासन अथवा बालासन का अभ्यास करें। इन आसनों का अभ्यास शरीर को भुजंगासन के बेहतर अभ्यास तथा परिणाम में सहायक माने जाते हैं।

Steps of Bhujangasana in  Hindi | भुजंगासन कैसे करें

Bhujangasana Yoga अभ्यास के सम्पूर्ण लाभ के लिए Steps of Bhujangasana को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

  • स्वच्छ तथा हवादार स्थान चुने तथा ज़मीन पर आसान बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
  • Steps of Bhujangasana पैरों को पूरी तरह फैलाएं तथा पंजों को ऊपर की तरफ़ रखें। ठोढ़ी अर्थ दाढ़ी को ज़मीन पर टिका दें।
  • हाथों को टखने से मोड़ें तथा हथेलियों को कंधों के बराबर स्थान पर, जमीन पर टिका दें।
  • इसी अवस्था में स्वयं को सहज करें तथा तीन से पांच लंबी गहरी सांस लें तथा बाहर छोड़ें।
  • Steps of Bhujangasana लंबी गहरी सांस लें तथा भीतर रोकें फिर हथेलियों पर शरीर का भार छोड़ पहले सिर को फिर छाती अंत में पेट को धीरे धीरे ऊपर उठाएं।
  • सिर से लेकर कमर तक के हिस्से को ऊपर उठाने के बाद रुक जाएं। यही अवस्था भुजंगासन अथवा सांप के फनकार के रूप में बनती है। उसी अवस्था में आंखें बन्द कर सांसों को सामान्य होने दें।
  • Bhujangasana pose भुजंगासन की अवस्था में १५ से २० सेकंड तक रुकें। (नियमित अभ्यास में यह समय सीमा बढ़ाते जाएं) फिर धीरे धीरे पेट, छाती तथा सिर को ज़मीन पर वापस पूर्व अवस्था में लाएं।
  • एक मिनट के विश्राम के बाद दोबारा सिर को ऊपर उठाएं, भुजंगासन की अवस्था में जाएं तथा सामान्य स्थिति में शरीर को लाएं।
  • अंत में मन तथा शरीर को सामान्य अवस्था में लाने के लिए, तनाव अथवा पीड़ा को कम करने के लिए कुछ देर शवासन की अवस्था में ज़रूर रहें।

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Bhujangasana Pose | भुजंगासन के बाद किए जाने वाले सहायक आसन

यदि आप योगासनों के अभ्यास का सम्पूर्ण लाभ लेना चाहते हैं तो भुजंगासन के बाद बितिलासन, ऊर्ध्व मुख श्वानासन तथा सेतुबंधासन का अभ्यास करें। अंत में कुछ देर शवासन का अभ्यास करें।

Benefits of Bhujangasana in Hindi| भुजंगासन के लाभ

प्रत्येक आसनों की भांति Steps of Bhujangasana भुजंगासन के नियमित अभ्यास से अनेक अद्भुत शारीरिक तथा मानसिक लाभ होते हैं।

  • भुजंगासन रीढ़ को हड्डी को न सिर्फ मजबूत बल्कि लचीली बनाता है।
  • गर्दन से लेकर पेट तक के अंगों में तनाव लाकर रक्त संचार के प्रभाव में मदद करता है तथा मसल्स को मजबूत बनाता है।
  • पेट में तनाव लाकर पाचन तंत्र, किडनी तथा लीवर के सक्रियता तथा संतुलन में सहायता करता है।
  • पीठ दर्द, साइटिका की अवस्था में समुचित ऊर्जा तथा रक्त संचार का संतुलन कर दर्द कम करने में Bhujangasana pose भुजंगासन मदद करता है।
  • छाती के अंगों में तनाव लाकर, स्वासन नली को स्वच्छ करता है। फलस्वरूप दमा, मधुमेह तथा हृदय संबंधी रोगों से मुक्ति पाने में भुजंगासन सहायता मिलती है।
  • पेट संबंधी बीमारियां जैसे कि कब्ज़ तथा गैस की समस्या मिटाता है। साथ ही पेट तथा कमर की अतिरिक्त चर्बी कम कर मोटापे को कम करने में भी भुजंगासन अत्यंत लाभदायक है।
  • महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म तथा पीड़ा की समस्या को दूर करने में भुजंगासन लाभदायक है।
  • भुजाओं को मजबूत बनाने के साथ किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव दूर होता है।
  • चक्रों को सक्रिय तथा संतुलित कर कुण्डलिनी शक्ति को जागने में भी Steps of Bhujangasana एक अत्यंत प्रभावी आसन है।

Bhujangasana के अभ्यास में सावधानियां

भुजंगासन के अभ्यास में कुछ सावधानियां अवश्य करनी चाहिए।

  • भुजंगासन अवस्था में शरीर को उतना ही ऊपर उठाएं जितना सहज हो, ज़ोर ज़बरदस्ती ना करें।
  • शुरुआत में जितनी देर सहज लगे उतनी ही देर भुजंगासन की अवस्था में रुकें। नियमित अभ्यास में समय अवधि बढ़ा सकते हैं।
  • शरीर को ऊपर उठाते अथवा नीचे लाते समय किसी प्रकार की जल्दबाजी न करके आराम से करें। जल्दबाजी से मोच आने का खतरा हो सकता है।

Precaution in Doing Steps of Bhujangasana

किन अवस्थाओं में भुजंगासन का अभ्यास न करें.

  • गर्भावस्था अथवा मासिक धर्म के दौरान भुजंगासन का अभ्यास बिल्कुल भी न करें।
  • गंभीर कमर दर्द, ह्रदय रोग, अथवा किसी भी प्रकार के आप्रेशन होने पर भुजंगासन का अभ्यास न करें।
  • हर्निया तथा अल्सर पीड़ित लोग भी भुजंगासन का अभ्यास ना करें। किसी अन्य गंभीर बीमारी की अवस्था में चिकित्सक की सलाह तथा योग्य गुरु की देख रेख में ही इस आसन का अभ्यास करें।

Advance Level Mudra (भेक भुजंगासन)

Yoga Bhujangasana भुजंगासन का अभ्यास शुरुआती दिनों में किया जाता है। नियमित अभ्यास करने वालों के लिए इस आसन की एडवांस लेवल भी है, जिसे योग्य शिक्षक की देख रेख में करना उचित होगा।

भेक भुजंगासन में पैरों को पालथी मारकर रखा जाता है। मेरी सलाह यही रहेगी कि इस आसन का अभ्यास घर पर न करके शिक्षक की निगरानी में करें।

Final Words: उम्मीद है कि आपको Steps of Bhujangasana अच्छी तरह समझ में आ गया होगा। यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो कॉमेंट करके ज़रूर बताएं।

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