Yoga for Fissure एनल फिशर तथा बवासीर ऐसी बीमारियों हैं जिनका समय पर उपचार नहीं किया जाए तो भयंकर रूप धारण कर लेती हैं। दुःख की बात यह है कि बहुत सारे लोग आज भी खुलकर किसी से इसके बारे में बात नहीं कर पाते हैं, ना ही डॉक्टर को दिखाते हैं।
अन्य सभी बीमारियों की तरह बिना किसी चिकित्सा के भी घरेलू नुस्खे अपनाकर एनल फिशर की समस्या से हमेशा के लिए मुक्ति पाई जाती है। सबसे महत्वपूर्ण ये इलाज अत्यंत सरल है जो आप घर पर ही कर सकते हैं। इस पोस्ट में एनल फिशर से संबंधित सभी बातें जैसे कि कारण, लक्षण तथा निवारण के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
साथ ही हम आपके लिए कुछ Yoga for Fissure लेकर आए हैं। जिनके नियमित अभ्यास से आपको अद्भुत लाभ होगा इसलिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
फिशर के बारे में जानने से पहले ये जानना आवश्यक है कि फिशर क्या है तथा इसके क्या क्या कारण है?
Yoga for Fissure/ What is Fissure?
शाब्दिक देखा जाए तो Fissure अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसे हिंदी में दरार कहते हैं। एनल फिशर का अर्थ है गुदा द्वार पर दर्द आना। इसके कई कारण होते हैं जिसके बारे में नीचे विस्तार से जानेंगे।
आजकल ये एक आम बीमारी हो चुकी है, सौ में से ८० प्रतिशत लोग कभी न कभी इस समस्या से लड़ते हैं। किन्तु यदि लंबे समय तक इसका उपचार नहीं किया गया तो कैंसर होने की संभावना हो जाती है।
कई सारे लोग एनल फिशर तथा बवासीर को एक ही समझ लेते हैं। जबकि ये दो अलग अलग समस्या हैं।
Yoga for Fissure: Causes Fissure एनल फिशर के कारण
यौगिक भाषा में कहूं तो शरीर में जब वात, पित्त, तथा कफ का असंतुलन होता है तो बीमारियां आती हैं। सरल भाषा में कहूं तो गलत खान पान तथा गलत दिनचर्या शरीर के। अंगों को तथा उनकी प्रक्रिया में असंतुलन उत्पन्न करती हैं। जिस कारण रोग पकड़ने लगता है। एनल फिशर के कारण भी कुछ ऐसे ही हैं।
१- गुदा नलिका की त्वचा पर दरार हो जाना सबसे सामान्य लक्षण है। ऐसा अक्सर कब्ज के हालातों में होता है जब मल त्याग की प्रक्रिया कठिन हो जाती है।
२- यदि कोई लगातार दस्त की समस्या से परेशान है उसकी भी गुदा द्वार के आस पास की त्वचा पर नुकसान पहुंचता है।
३- लंबे समय तक कब्ज़ की शिकायत दूर नहीं करने पर इसका प्रभाव गुदा के आस पास की त्वचा पर पड़ने लगता है।
४- भोजन में फाइबर की कमी होने पर कब्ज की शिकायत होती है जो पाचन तंत्र के साथ गुदा नली की त्वचा पर भी असर करता है।
५- मल त्याग के बाद यदि किसी कठोर चीज से मल द्वार को साफ़ करने की कोशिश करने पर चोट हो जाने से भी फिशर की संभावना बढ़ जाती है।
६- कभी कभी मलाशय में कैंसर होने की वजह से भी एनल फिशर की समस्या का सामना करना पड़ता है।
७- किसी अन्य वजह से चोट लगने अथवा गुदा या मलाशय में सूजन के कारण भी फिशर की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
८- गुदा द्वार के आस पास रक्त संचार के ना होने से भी एनल फिशर की समस्या हो जाती है।
Yoga for Fissure: Symptoms of Fissure फिशर के लक्षण
१- मल त्याग करते समय पीड़ा होना तथा खून का आना एनल फिशर के सबसे सामान्य लक्षण हैं।
२- गुदा के आस पास खुजली, जलन अथवा दर्द आना भी फिशर के लक्षण हैं।
३- लंबे समय तक कब्ज़ का रहना अथवा दस्त होना भी फिशर के संकेतों में शामिल हैं।
४- किसी अन्य कारण से गुदा के आसपास की त्वचा का संकुचित अथवा कठोर हो जाना भी एक संकेत है।
Yoga for Fissure: Yoga for Anal Fissure Treatment
दवाइयां अक्सर फिशर का परमानेंट उपाय नहीं होती हैं। यदि आप Fissure ka pakka ilaj करना चाहते हैं तो योग के साथ दिनचर्या में कुछ परिवर्तन कर के कर सकते हैं।
Yoga for Fissure इन योगासनों तथा मुद्राओं का अभ्यास कर आसानी से आप फिशर की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
१- नाड़ी शोधन अथवा अनुलोम विलोम
एक ऐसा प्राणायम है जिसे शरीर के सभी अंगों में रक्त संचार संतुलित होता है। फलस्वरूप सभी अंग सुचारू रूप से काम करने के साथ स्वस्थ होते हैं तथा बीमारियां आसपास भी नहीं भटकती। नाड़ी शोधन अथवा अनुलोम विलोम कैसे करें यह जानने के लिए नीचे लिंक पर जाएं।
Nadi Shodhan Pranayam in Hindi: नाड़ी शोधन प्राणायाम का महत्व तथा 9 लाभ
२- Yoga for Fissure अश्विनी मुद्रा
अश्विनी मुद्रा विशेषकर गुदा द्वार तथा आस पास के अंगों के लिए अत्यंत लाभदायक है। इसके नियमित अभ्यास से जल्दी ही फिशर की समस्या से मुक्ति मिलेगी। अश्विनी मुद्रा कैसे करें यह जानने के लिए नीचे लिंक पर जाएं।
Ashvini Mudra in Hindi: अश्विनी मुद्रा सावधानियाँ तथा 5 लाभ
३- Yoga for Fissure पवन मुक्तासन
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि पर में गैस की समस्या दूर करने का सर्वोत्तम उपाय यह आसन है। जैसा कि फिशर के कारणों में कब्ज़ तथा गैस का समावेश है, इसका निवारण कर एनल फिशर से छुटकारा पाया जा सकता है।
पवन मुक्तासन कैसे करें
१- जमीन पर आसन बिछाकर सीधा लेट जाएं तथा शरीर को ढीला छोड़ दें। लंबी गहरी सांस लें तथा बाहर छोड़ें।
२- दोनों पैरों को घुटने से मोड़ें तथा दोनों हाथों की हथेलियों से टखने को पकड़कर ऊपर पेट की तरफ़ ले आएं। ध्यान रहे कि कमर के ऊपर की शरीर बिल्कुल सीधी रहे।
३- जितना ऊपर आसानी से ला सकते हैं लाएं तथा १ से १० तक की गिनती तक रुकें तथा सांसों को छोड़ते हुए पैर को नीचे ज़मीन पर पूर्व स्थिति में ले आएं।
४- इस आसन को खाली पेट तथा प्रभावी परिणाम के लिए प्रतिदिन कम से कम ४-५ बार इस आसन को दोहराएं।
४- Yoga for Fissure पाद हस्तासन
इस आसन के अभ्यास से आंतों की अकड़न दूर होती है तथा पाचन। तंत्र संतुलित होता है। पेट तथा आस पास के अंगों में रक्त संचार संतुलित होने के कारण एनल फिशर अथवा बवासीर की समस्या से मुक्ति मिलती है।
पाद हस्तासन कैसे करें
१- समतल जमीन पर आसन बिछाकर सीधा खड़े हो जाएं। चार से पांच लंबी गहरी सांस लें तथा छोड़ें।। शरीर को आराम की स्थिति में लाने के बाद दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं।
२- एक लंबी गहरी सांस लेकर कमर से सामने की ओर झुकें। दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे को छुएं।
३- ध्यान रहे कि दोनों पैर बिल्कुल सीधे होने चाहिए। एक से दस की गिनती तक झुकें रहें फिर धीरे धीरे सीधे खड़े हो जाएं तथा हाथों को नीचे लाकर सामान्य हो जाएं।
४- प्रभावी परिणाम के लिए कम से कम ३ से ४ बार अवश्य अभ्यास करें।
५-Yoga for fissure and Piles मलासन
१- जिस प्रकार मल त्याग करने के लिए बैठते हैं उसे प्रकार बैठ जाएं। दोनों पैरों को दूर दूर रखें। दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें तथा हथेलियों को नमस्कार की मुद्रा में लाएं।
२- कमर के ऊपर का शरीर अर्थात कमर, पेट, पीठ, गर्दन तथा सिर को बिल्कुल सीधा रखें।
३- लंबी गहरी सांस लें तथा ध्यान को गुदा द्वार पर होने वाले बदलाव पर ले जाएं। सांसों को दस की गिनती तक रोककर रखें फिर धीरे धीरे छोड़ दें।
४- नियमित कम से कम ७ से दस मिनट तक इस आसन के अभ्यास से कब्ज़, गैस तथा फिशर की समस्या में लाभ होने लगता है।
६-Yoga for Fissure मूल बंधासन
Yoga for constipation मूल बंधासन वायु तत्व को संतुलित करती है। मूलाधार चक्र को प्रभावित करता है तथा सभी संबधी अंगों को लाभ देता है। इस आसन का सर्वाधिक लाभ पेट के निचले हिस्से तथा मल मूत्र द्वार पर पड़ता है जो एनल फिशर को ठीक करने में रामबाण जैसा है।
मूल बंधासन कैसे करें
१- किसी शांत, हवादार स्थान पर आसान पर सिद्धासन अवस्था में बैठ जाएं। दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों के ऊपर रख लें।
२- थोड़ी देर कुंभक करें, सांसों के आवागमन पर ध्यान देकर शरीर को ढीला तथा मन को शांत करें।
३- लंबी गहरी सांस लें और फिर उसे बाहर छोड़ें। बाहर छोड़ने के बाद दाएं को गुदा द्वार पर ले जाएं तथा उसे ऊपर की तरफ़ अर्थात अंदर खींच कर रखें। जितनी देर रोक सकते हैं रोकें फिर ढीला छोड़ दें। फिर से सांस भीतर लें, बाहर छोड़ने के बाद रुकें गुदा द्वार को अंदर लेकर रोकें।
४- इस आसन का नियमित कम से कम १०- १५ बार अभ्यास करने से जल्दी ही एनल फिशर की समस्या समाप्त हो जाती है।
७- Yoga for Fissure वज्रासन
Yoga for constipation वज्रासन पाचन तंत्र के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी है। गैस तथा कब्ज़ से राहत देकर यह आसन फिशर तथा बवासीर से भी मुक्ति दिलाता है।
वज्रासन कैसे करें
१- वज्रासन के अभ्यास के लिए पहले दंडासन मुद्रा में आएं। दूसरे शब्दों में, आसान पर दोनों पैरों को सामने की तरफ़ फैलाकर रखें। पीठ बिल्कुल सीधी रखें। हथेलियों को कूल्हे के पास जमीन पर टिका दें।
२- दायां पैर मोड़कर कूल्हे के नीचे ले जाएं, फिर बाएं पैर को भी कूल्हे के नीचे लेकर जाएं। जांघें सटी हुई तथा पैरों के दोनों अंगूठों को आपस में मिलाकर रखें।
३- अब सांसों के आवागमन पर ध्यान दें। ध्यान रहे कि शरीर का बल हाथों पर न रखकर पैरों की एड़ियों पर रहे।
४- प्रतिदिन भोजन के पश्चात कम से कम १०- १५ मिनट इस आसन में बैठने से पेट संबंधी समस्याएं दूर होने के साथ फिशर अथवा बवासीर की समस्या भी दूर हो जाती हैं।
Yoga for Fissure: Prevention from Anal fissure in Hindi
फिशर से बचाव
१- मल त्याग में जल्दबाजी न करें तथा ज़ोर ना लगाएं। प्राकृतिक रूप से मलत्याग के लिए समय लें।
२- शरीर के तापमान को संतुलित रखने तथा पाचन क्रिया सामान्य रखने के लिए दिन में तीन से चार लीटर हल्का गुनगुना पानी पिएं।
३- नियमित रूप से व्यायाम अथवा योगासनों का अभ्यास करने से पाचन क्रिया में सहायता मिलती है तथा कब्ज़ की शिकायत नहीं होती है।
४- अधिक मांस मछली, तेल घी, तीखा तथा ऐसे भोजन का सेवन कम करें जिसमें चिकनाई ज्यादा हो।
४- ताजा भोजन करें तथा रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन अधिक करें। रेशेदार फल तथा सब्जियों में सर्वाधिक मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है।
५- मल मूत्र त्याग के पश्चात उन अंगों को साफ़ करें। अंतरंग अंगों की साफ़ सफाई का अधिक ध्यान रखें।
६- भोजन समय पर करें, रात के भोजन के आधे घंटे बाद कुछ देर पैदल चलें। तथा रात्रि भोजन के कम से कम दो घंटे बाद ही सोएं।
७- अधिक सोचने तथा चिंता करने से पाचन स्वास्थ्य बिगड़ता है जो फिशर को प्रभावित करता है। अतः शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य के संतुलन के लिए ध्यान का अभ्यास करें।
ध्यान करने की विधि जानने के लिए नीचे लिंक पर जाएं।
ध्यान कैसे करें तथा उससे होने वाले लाभ
Fissure ka Gharelu upchar in Hindi
उपर्युक्त योगासनों तथा मुद्राओं के अलावा कुछ घरेलू उपचार फिशर की समस्या दूर करने में मदद करते हैं।
१- ३-५ सूखे अंजीर रात में पानी में भिगाकर रख दें। सुबह खाली पेट अंजीर खाएं उसके बाद जिस पानी में भिगाया था उसे भी पी जाएं। अंजीर कब्ज आदि के साथ फिशर से भी मुक्ति दिलाती है। अंजीर के अन्य लाभों को जानने के लिए नीचे लिंक पर जाएं
अंजीर का इतिहास तथा इसके अद्भुत लाभ
२- जैतून का तेल, शहद और बीसवैक्स को बराबर की मात्रा में लेकर गर्म करें। जब सारी चीजें पिघलकर अच्छे से मिल जाएं तो उसे ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद प्रभावित जगह पर दिन में ५- ६ बार लगाएं।
३- एलोवीरा के पौधे से उसका एक छोटा हिस्सा काटें। पत्तों के ऊपर से छिलका उतारकर उसका जेल निकाल लें। प्रभावित जगह पर इसे लगाएं।
४- पुराने फिशर की समस्या को दूर करने के लिए भोजन में नारियल के तेल, पानी का इस्तेमाल करें।। नारियल के तेल को प्रभावित क्षेत्र पर दिन में ४-५ बार लगाएं।
५- सेब के सिरके को एक गिलास पानी अथवा एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार पीने से कब्ज में राहत तथा फिशर की समस्या से मुक्ति मिलती है।
६- रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुने पानी में अलसी का पाउडर मिलाकर पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है तथा मल त्याग आसान हो जाता है।
Yoga for Fissure: Fissure me kya khana chahiye?
फिशर की अवस्था में, अंजीर, गाजर, मूली आदि रेशेदार फल तथा सब्जियों अधिक खानी चाहिए। सरल शब्दों में कहूं तो जिन चीजों में अधिक मात्रा में फाइबर हो, उन्हीं का सेवन अधिक करें।
Yoga for Fissure: Patanajali Medicine for Fissure
योग गुरु बाबा रामदेव ने पांच चीजों के द्वारा फिशर को ठीक करने का उपाय बताया है। दिव्यकायाकल्प वटी, दिव्य अर्शकल्प वटी, ईसबगोल भूसी, एलो वीरा जेल तथा त्रिफला चूर्ण के प्रयोग से फिशर को हमेशा के लिए मिटाया जा सकता है।
उपर्युक्त Fissure ka ayurvedic upchar करके सहज रूप से इसे ठीक किया जा सकता है।
Yoga for Fissure: How to Cure Fissure Permanently
उपर्युक्त दिनचर्या, योग आसन तथा सही भोजन के सेवन से फिशर को हमेशा हमेशा के लिए गुड बाय बोलना आसन है। इनका प्रभावी परिणाम देखने के लिए कम से कम इन आसनों का अभ्यास करें, अंजीर का सेवन तथा भोजन में अधिक ताज़े फल तथा फाइबर का प्रयोग करें।
Final Words: उम्मीद है आपको यह Yoga for Fissure पोस्ट अच्छी लगी होगी। फिशर से बचने के लिए समय समय पर शरीर को डिटॉक्स करते रहना चाहिए।
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