मनोवांछित फल देने वाली अपरा एकादशी कब है. एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है। हर महीने दो एकादशी होती है, एक कृष्ण पक्ष में तथा दूसरी शुक्ल पक्ष में।

कृष्ण पक्ष की एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है।जेष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अपरा अथवा अचला एकादशी कहते हैं। जो इस साल 15 मई को है।

अपरा एकादशी का व्रत रखने तथा भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से सभी पाप कट जाते हैं।

मान्यताओं के अनुसार अज्ञातकाल में पांडवों ने भी अपरा एकादशी का उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की थी। कहने की आवश्यकता नहीं कि युद्ध में जीत उनकी ही हुई।

अपरा एकादशी का व्रत रखने से पाप भस्म होने के साथ यश भी मिलता है। व्रत का पालन करने वालों के पितरों को शांति मिलती है।

अपरा एकादशी का व्रत करने वालों के मन को शांति मिलने के साथ उनकी एकाग्रता भी बढ़ती है। विचारों में शुद्धि होती है और आध्यात्मिक रुचि बढ़ने के कारण जीवन में सुख शांति का स्थान बना रहता है।

अपरा एकादशी का व्रत निर्जल एवं फलाहारी दोनों ही प्रकार से किया जाता है। दोनों ही व्रतों से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। अपने स्वास्थय के अनुसार आप चयन करें।

एकादशी के दिन पूजा अर्चना पूर्ण होने के बाद "ओम नमो नारायणाय या ओम नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप अवश्य करें। जीवन से सभी परेशानियां भाग जाएंगी।