वृक्षासन योग विधि, लाभ और सावधानियाँ | Vrikshasana Benefits in Hindi

Vrikshasana Benefits in Hindi कहते हैं “वृक्ष कबहूं न फल भखै, नदी ना संचै नीर” यह दोहा गागर में सागर का उदाहरण है। योग आसनों में प्रचलित वृक्षासन इसी वृक्ष के गुणों को स्वयं में समाने के माध्यम है।

अक्सर वृक्षासन का अभ्यास नए लोगों के लिए सुझाया जाता है, किंतु मेरा मानना है कि यदि आप अनुभवी हैं तब भी इस आसन को दिनचर्या में शामिल करें।

इस सलाह के पीछे मेरा वह अनुभव है जो वृक्षासन के अभ्यास से लाभ के रूप में मिला है। MysticMind के इस आर्टिकल में वृक्षासन से होने वाले लाभों/ Vrikshasana Steps and Benefits के साथ इसके अभ्यास की सही विधि एवं सावधानियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

जिस प्रकार मकान की सुरक्षा उसकी मजबूत नींव पर निर्भर करती है, उसी प्रकार मानव शरीर का सुरक्षित चलते फिरते रहना उसके पैरों पर निर्भर करता है।

पैरों की मजबूती के साथ कुछ ऐसे छिपे रहस्य इस योगासन में हैं जिसके बारे में आगे पढ़ेंगे। यही कारण था कि प्राचीन समय में रावण के साथ कई अन्य सिद्ध योगियों ने तपस्या के लिए इस आसन का चुनाव किया था।

वृक्षासन से होने वाले लाभों/ Vrikshasana Benefits जानने से पहले जानते हैं कि इस अद्भुत आसन का अर्थ क्या है?

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Vrikshasana Meaning in Hindi | वृक्षासन का अर्थ

पाश्चात्य देशों में Tree Pose के नाम से प्रचलित वृक्षासन संस्कृत के दो शब्दों वृक्ष एवं आसन से मिलकर बना है। वृक्ष अर्थात पेड़ और आसन अर्थात खड़े होने, बैठने की अवस्था।

इस प्रकार वृक्षासन का अर्थ है शरीर को वह अवस्था जिसमें इसका आकार खड़े वृक्ष के समान दिखाई दे।

आसनों की उत्पत्ति के पीछे का विज्ञान यही है कि संसार में जो कुछ भी शक्तिशाली तथा लाभकारी है उसका ग्रहण मनुष्य स्वयं में कर अपने जीवन को अधिक बेहतर बनाए।

वृक्षासन से होने वाले लाभों/Vrikshasana Benefits को जानने के बाद कोई भी व्यक्ति स्वयं को इसके अभ्यास से रोक नहीं पाता है।

Vrikshasana Benefits/ वृक्षासन से होने वाले लाभों के बारे में जानने से पहले इसका सही रूप से अभ्यास करना अति आवश्यक है। आइए देखते हैं इस आसन को करने की सही विधि क्या है?

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How to do vrikshasana and it’s benefits in Hindi | वृक्षासन अभ्यास की सही विधि

योग आसनों के अभ्यास का सर्वोत्तम समय सूर्यास्त के पहले का है किंतु आदि आपके लिए उचित ना हो तो आप खाने के ६ घंटे पहले अथवा बाद में भी कर सकते हैं। मात्र ध्यान रहे पेट पूर्ण रूप से खाली हो।

Vrikshasana Steps इस प्रकार हैं –

Vrikshasana Yoga Images/ Vrikshasana Benefits

#१ शांत एवं हवादार स्थान पर समतल ज़मीन देखकर चटाई अथवा योग मैट पर ताड़ासन में खड़े हो जाएं (सीधा ज़मीन पर योगासनों का अभ्यास ना करें)।

#२ चार से पांच लंबी गहरी सांस लें तथा आराम से बाहर छोड़ें। ऐसा करने से शरीर तैयार तथा मन शांत एवं एकाग्रचित्त हो जाता है।

#३ अब दाहिने पैर को घुटने से अंदर की ओर मोड़ें तथा बाईं जांघ पर जितना संभव हो उतना ऊपर की ओर ले जाकर दाहिने तलवे को टिका दें।

#४ थोड़ी देर शांत रहकर सम्पूर्ण शरीर का वजन बाएं पैर पर संतुलन कर दोनों हाथों को धीरे धीरे ऊपर उठाएं। सिर के ऊपर हाथों को ले जाकर नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।

#५ शुरुआती दिनों में जितनी देर संभव हो सके इसी मुद्रा में खड़े होकर सांसों पर ध्यान दें। सिर बिल्कुल सीधा तथा नजरें सामने की ओर रखें।

#६ तने हुए शरीर में हो रहे खिंचाव को महसूस करें तथा शरीर का संतुलन बनाए रखें। नमस्कार मुद्रा के साथ मन में कृतज्ञता का भाव रख इस आसन कम से कम ३० सेकंड तक करने की कोशिश करें।

#७ धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे लेकर आने के बाद दाहिने पैर को आराम से सामान्य अवस्था अर्थात सीधा करें। किसी भी प्रकार की जल्दबाजी ना करें।

#८ पांच सेकंड के बाद बाएं पैर को अंदर के तरफ़ मोड़कर दाहिने जांघ से टिका दें तथा हाथों को ऊपर ले जाकर वही प्रक्रिया दोहराएं। इस प्रकार वृक्षासन योग का एक चक्र पूरा होता है।

#९ अभ्यास के साथ एक पैर पर खड़े होने का समय बढ़ाते जाएं। शुरू में यदि मुश्किल लगे तो हाथों को सिर के ऊपर ले जाने के बजाय कमर पर रख सकते हैं। अभ्यास के साथ संतुलन बढ़ेगा तथा हाथों को ऊपर ले जाना आसन हो जाएगा।

वृक्षासन का कुछ मिनटों का अभ्यास मनुष्य कोअनेकों शारीरिक एवं मानसिक लाभ का अनुभव कराता है। आइए देखते हैं Vrikshasana Benefits/ वृक्षासन से क्या लाभ होते हैं।

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Benefits of Vrikshasana | Vrikshasana benefits in Hindi वृक्षासन के लाभ

#१ वृक्षासन का नियमित अभ्यास शरीर के साथ मन को भी संतुलित करता है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति मानसिक रूप से दृढ़ एवम् संतुलित जीवन जीने लगता है।

#२ वृक्षासन से जांघों, पिंडलियों, टखने एवं घुटनों की हड्डियों में रक्त संचार बढ़ता है। जिससे ये पहले से मजबूत बनते हैं।

#३ Vrikshasana Benefits शारीरिक संतुलन के साथ नियमित वृक्षासन के अभ्यास से मानसिक फोकस भी जबरदस्त बढ़ता है। परिणामस्वरूप कार्य क्षमता बढ़ने के साथ कार्य में सफलता जल्दी मिलने लगती है।

#४ जिस प्रकार वृक्ष दूसरों को फल देकर कभी घमंड नहीं करता उसी प्रकार कृतज्ञता का भाव स्वत: बढ़ने लगता है। शरीर के संतुलन के साथ अनाहत चक्र को भी संतुलन करता है।

#५ Vrikshasana Benefits सम्पूर्ण शरीर की हड्डियों को मजबूत एवं सीधा बनाता है। शरीर का पोश्चर ठीक करने में वृक्षासन अत्यंत सहायक आसन है।

#६ सम्पूर्ण शरीर में तनाव लाकर सभी मसल्स एवं नसों को सक्रिय कर देता है। जिसके कारण शरीर के हर हिस्से में ऑक्सीजन एवं रक्त संचार बढ़ जाने से ऊर्जावान महसूस होने लगता है।

#७ वृक्षासन का नियमित अभ्यास शरीर अथवा पैरों में दर्द को कम करता है तथा मन को शांत रखने में मदद करता है।

#८ सही तरीके से किया गया वृक्षासन का अभ्यास पैरों की समस्या जैसे कि साइटिका जैसे बीमारी से भी राहत दिलाता है।

#९ Vrikshasana Benefits लंबे समय तक किया गया अभ्यास कमर तथा जांघों की अतिरिक वसा को कम कर कमर को सुदृढ़ एवं आकर्षक बनाता है।

Vrikshasana Benefits जानने के साथ इस आसन के अभ्यास से पूर्व कुछ बातों का विशेष ध्यान देना अति आवश्यक है। सावधानी पूर्वक एवं सही तरीके से किया गया अभ्यास बेहद लाभकारी होता है। आइए देखते हैं, क्या क्या सावधानियां बरतनी आवश्यक है।

Vrikshasana Precautions in Hindi वृक्षासन की सावधानियां

#१ उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, माइग्रेन अथवा किसी भी गंभीर बीमारी की हालत में इस आसन का अभ्यास ना करें। अथवा चिकित्सक की सलाह एम योग्य शिक्षक की निगरानी अनिवार्य है।

#२ शरीर के किसी भी हिस्से में हड्डियों की कोई गंभीर समस्या होने पर इस आसन के अभ्यास पूर्व चिकित्सक की राय अवश्य लें।

#३ शुरुआती दिनों में शिक्षक की निगरानी में ही इस आसन का अभ्यास करें अथवा शरीर के संतुलन पर विशेष ध्यान रखें।

Final Words: उम्मीद है, Vrikshasana Benefits/ वृक्षासन के लाभों को जानने के बाद इस आसन का अभ्यास अपनी दिनचर्या का हिस्सा बन जायेगा।

लेख दूसरों के साथ साझा कर उनको भी सही राह दिखाएं।

सबका भला हो

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