Shiva Mantra in Hindi | Rudra Mantra In Hindi | सर्व शक्तिशाली शिव मंत्र | शिव मंत्र लिस्ट | शिव मंत्र लिस्ट हिंदी | शिव मंत्र संस्कृत | गुप्त शिव मंत्र | शिव महाकाल मंत्र | महादेव मंत्र |
भगवान भोलेनाथ जिन्हें हम भगवान शंकर, भगवान शिव जैसे अनेकों नामों से जानते हैं. जिन्हें हम देवाधिदेव महादेव भी कहते हैं. भगवान शिव के भक्तों की संख्या करोड़ों में हैं.
मान्यता है कि इस ब्रह्मांड की रक्षा के लिए भगवान शिव ने विषपान किया और नीलकंठ कहलाएं. भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए भी कहा जाता है कि क्योंकि वो सबसे जल्द प्रसन्न होने वाले भगवान हैं.
थोड़ी सी पूजा अर्चना से भगवान शिव अपने भक्तों से प्रभावित हो जाते हैं और उनकी तमाम मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं.
भगवान शिव को सनातन धर्म में कल्याणकारी देवता माना गया है. भगवान शिव अपने भक्तों पर दया, कृपा और करुणा की बरसात कर देते हैं. अगर आप भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको कुछ विशेष मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप पर करना चाहिए.
इन मंत्रों के जाप से भगवान शिव अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं. आइए, आज हम आपको विस्तारपूर्वक उन मंत्रों की चर्चा करते हैं.ॐ नमः शिवाय का अर्थ क्या होता है ?
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1- ॐ नमः शिवाय | महादेव मंत्र
तमाम प्रचलित शिव मंत्रों में सर्वाधिक लोकप्रिय शिव मंत्र ॐ नमः शिवाय है. सर्वप्रथम हमें यह जानना चाहिए कि ॐ नमः शिवाय का अर्थ क्या होता है !
ॐ नमः शिवाय का यह आशय होता है कि मैं भगवान शिव को नमन करता हूं. ऐसी मान्यता है कि ॐ नमः शिवाय के जाप से भगवान शिव तत्काल प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर कृपा की बरसात कर देते हैं.
ॐ नमः शिवाय के जाप से क्या लाभ होता है ?
आपको बता दें कि ॐ नमः शिवाय के जाप से सांसारिक बाधाओं और पाप से मुक्ति मिलती है. इस मंत्र के शुद्ध उच्चारण से मानसिक शांति प्राप्त होती है.
अगर ॐ नमः शिवाय मंत्र का दिन में 108 बार जाप किया जाए तो तन और मन दोनों को शांति मिलती है. महादेव की कृपा से शरीर निरोग रहता है और दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है.
2- रुद्र मंत्र क्या है | रुद्र मंत्र का अर्थ क्या होता है ?
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः को रुद्र मंत्र कहा जाता है. ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः का अर्थ होता है मैं पवित्र रुद्र को नमन करता हूं.
इस मंत्र के माध्यम से आपकी समस्त मनोकामनाएं भगवान शिव तक पहुंचती है.
रुद्र मंत्र के जाप से क्या लाभ होता है
ॐ नमो भगवते रुद्रा के जाप से जातक पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनती है. यह मंत्र इतना अधिक पवित्र और शक्तिशाली माना गया है कि इसका जाप करने से बड़ी से बड़ी बीमारी दूर हो जाती है.
लंबे समय से चली आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती है. जो लोग चारों ओर से कष्ट में घिरे हो, उन्हें रुद्र मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से सभी समस्याओं का तत्काल निवारण हो जाता है.
रुद्र मंत्र की एक और विशेषता यह होती है कि जो भी इसको जपने वाले के साथ जाप के समय उपस्थित होता है, उस पर भगवान शिव की समान कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि रुद्र मंत्र के लगातार जाप से जातक को भगवान भोलेनाथ का सान्निध्य प्राप्त होता है.
रुद्र मंत्र जाप करने की विधि
मंत्र कोई भी हो उसके जाप के दो ही तरीके होते हैं. प्रथम निष्काम अर्थात बिना किसी लाभ की आशा के. इसका प्रयोजन सिर्फ प्रभु को प्रसन्न करना होता है.
अगर आप भी इसी प्रयोजन से मंत्र जाप करवा रहे हैं तो इसमें बहुत ज्यादा नियमों को मानने की आवश्यक्ता नहीं होती है लेकिन अगर आप किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मंत्र जाप करवाना चाहते हैं तो आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :
इस मंत्र का जाप शुक्ल पक्ष के सोमवार को ही करें. अगर उस दिन प्रदोष व्रत हुआ तो इसे सोने पर सुहागा माना जाएगा.
अगर आपकी इच्छा हो जाप के दिन आप व्रत कर करते हैं.
व्रत के दिन स्वच्छ वस्त्र धारण करें. स्नानादि से निवृत होकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें. मन ही मन में भगवान भोलेनाथ का ध्यान करें.
जाप से पूर्व शिवलिंग पर गंगाजल अर्पण करें. तत्पश्चात बेलपत्र, धतूरा, चंदन, धूप, फल, फूल आदि समर्पित करते हुए रुद्र मंत्र के जाप का संकल्प धारण करें. संकल्प में यह प्रण करना है कि आप कितने रुद्र मंत्र का जाप करेंगे और इसके पीछे आपका उद्देश्य क्या है.
संकल्प के बाद भगवान महादेव से यह प्रार्थना करें कि वह आपके रुद्र मंत्र के जाप को निर्विध्न समाप्त होने में सफलता प्रदान करें.
आप चाहें तो मौन रुप से भी मंत्र जप कर सकते हैं. मंत्र जाप करते समय किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न करें. गाने की तरह गा गाकर मंत्र जाप न करें. गर्दन को जोरे जोर से न हिलाएं. शांत भाव से एकरुप होकर मंत्र का जाप करें.
3- Shiva Mantra In Hindi | महामृत्युंजय जाप क्या है ?
भगवान शिव का महामृत्युंजय जाप मनुष्य को तमाम संकटों से निजात दिला सकता है. महामृत्युंजय मंत्र के जाप से भारी से भारी कष्ट, बड़ी से बड़ी असाध्य बीमारियां भी दूर हो जाती है.
कहावत भी है कि खुद काल महाकाल भगवान शिव से भय खाता है. महामृत्युंजय मंत्र इतना शक्तिशाली होता है कि इससे अकाल मृत्यु का संकट भी समाप्त हो जाता है.
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कब करना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु टल जाता है. अगर आप श्रावण मास के अतिरिक्त अन्य दिनों में भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या करवाना चाहते हैं इसके लिए सोमवार का दिन ही उपयुक्त होता है.
महामृत्युंजय मंत्र दो प्रकार के होते हैं. पहला लघु महामृत्युंजय मंत्र और दूसरा संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र. आइए, हम चर्चा करते हैं महामृत्युंजय मंत्र की जाप विधि और लाभ आदि के विषय में.
किसे करना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप
अगर कोई किसी असाध्य बीमारी से ग्रसित है अथवा उस पर अकाल मृत्यु का भय मंडरा रहा है तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य कराना चाहिए. भगवान शिव की कृपा से ही यह खतरा टल सकता है.
अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के ग्रह दोष अथवा ग्रहों से होने वाली पीड़ा को भी दूर करना चाहता है तो उसे भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाना चाहिए.
पाप आदि से मुक्ति के लिए भी लोग महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाते हैं. महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार होता है.
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ.
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ.
महामृत्युंजय मंत्र की जाप विधि
महामृत्युंजय मंत्र के जाप के समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से होनी चाहिए.
महामृत्युंजय मंत्र के जाप के लिए किसी विद्वान एवं योग्य ब्राह्मण का ही चयन करना चाहिए ताकी मंत्र का उच्चारण बिल्कुल शुद्ध एवं स्पष्ट हो.
मंत्र के जाप में बेहद सावधानी का ख्याल रखना होगा क्योंकि महामृत्युंजय मंत्र के गलत जाप के विपरीत परिणाम भी आ सकते हैं अथवा मंत्र जाप निष्प्रभावी भी हो सकता है.
कितनी बार होना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप
महामृत्युंजय मंत्र जाप की संख्या : अगर आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवा रहे हैं और इसे सवा लाख बार और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप करवा रहे हैं तो इसे 11 लाख बार कराना चाहिए.
महामृत्युंजय मंत्र के जाप का समय
महामृत्युंजय मंत्र के जाप को लेकर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसके लिए उचित समय प्रातः काल से लेकर दोपहर पूर्व तक ही होना चाहिए.
4- Shiva Mantra In Hindi | शिव तांडव स्तोत्र की रचना
इसके अतिरिक्त अब हम बात कर लेते हैं शिव तांडव स्त्रोत की. इसे रावण तांडव स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है. इसकी रचना लंकापति रावण द्वारा की गई थी. इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोकों की रचना कर भगवान भोलेनाथ की स्तुति की थी.
शिव तांडव स्तोत्र की रचना कैसे हुई ?
ये सबको पता है कि रावण अहंकारी था. इसी अंहकार के वशीभूत होकर एक दिन उसने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास शुरु कर दिया. भगवान शिव ने यह देखकर अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर एक जगह पर स्थिर कर दिया.
इस प्रक्रिया में रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया. इस पीड़ा से निवारण हेतु विद्वान रावण ने शिव तांडव स्तोत्र के माध्यम से भगवान भोलेनाथ की स्तुति शुरु कर दी. रावण की इसी स्तुति को शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जाना जाता है.
मान्यता है कि अन्य किसी दूसरे पाठ या मंत्र की तुलना में भगवान शिव को यह अत्यधिक प्रिय है. इसके पाठ से भगवान शिव तत्काल प्रसन्न हो जाते हैं. इसे बेहद चमत्कारिक माना जाता है. आइए, आज चर्चा करते हैं शिव तांडव स्तोत्र के फायदे और पाठ करने की विधि के बारे में.
Shiva Tandav Lyrics in Hindi | शिव तांडव स्तोत्र?
सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्
श्रीगणेशाय नमः
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् |
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||१||
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि |
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||२||
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे |
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ||३||
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे |
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||४||
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः |
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ||५||
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् |
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ||६||
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके |
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ||७||
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः |
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ||८||
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् |
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ||९||
अखर्व(अगर्व) सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् |
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ||१०||
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ||११||
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ||१२||
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् |
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ||१३||
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् |
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ||१६||
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ||१७||
इति श्रीरावण-कृतम्
शिव-ताण्डव-स्तोत्रम्
सम्पूर्णम्
शिव तांडव स्तोत्र के पाठ से लाभ
जो भी जातक शिव तांडव स्त्रोत के माध्यम से भगवान भोलेनाथ की आराधना करता है, उस पर महादेव प्रसन्न होते हैं. नियमित रुप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से धन दौलत, वैभव की कोई कमी नहीं रहती.
यह पाठ करने से साधक के व्यक्तित्व में निखार आता है. चेहरे पर तेज होता है. स्वाभिमान की भावना जाग्रत होती है. आत्मबल में वृद्धि होती है जिससे समाज में मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. इसके अतिरिक्त यह भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति प्रतिदिन इसका पाठ करता है, उसे वाणी की सिद्धि भी प्राप्त हो जाती है.
जो भी लोग अध्ययन, लेखन, चित्रकला, योग, नृत्य, संगीत आदि विषयों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें नियमित रुप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.
इसके पाठ से शनि दोष के कुप्रभावों से छुटकारा मिलता है. पितृदोष, कालसर्प योग, सर्प योग आदि दूर होता है.
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शिव तांडव स्तोत्र की विधि :
सर्वप्रथम प्रातःकाल जगकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रातः काल में या प्रदोष काल में करना चाहिए.
पाठ से पूर्व भगवान शंकर का पूजन करें.
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ जोर जोर से गाकर करना चाहिए. रावण ने भी इसी विधि से भगवान महादेव को मनाया था.
शिव तांडव स्तोत्र के पाठ के साथ ही अगर नृत्य भी किया जाए तो ये सर्वोत्तम फल देता है परंतु ऐसा केवल पुरुषों के लिए मान्य बताया गया है.
पाठ संपन्न हो जाने के पश्चात भगवान भोलेनाथ का ध्यान करें.
शिव तांडव स्तोत्र बेहद शक्तिशाली पाठ माना गया है लेकिन इस बात को लेकर किसी के प्रति दुर्भावना न पालें. किसी के बुरे की कामना कर इस पाठ को न करें.
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