Shashankasana in Hindi जीवन के कुछ पलों की भांति कुछ अवस्था भी भुलाए नहीं भूलती। उदाहरण के लिए बचपन! बचपन जीवन की पहली वह अविस्मरणीय अवस्था है जो आजीवन याद आती है। कारण?
बचपन में जो खुशी एक टॉफी खाने अथवा पसंदीदा खिलौने मिल जाने पर मिलती थी वह बड़े होने के बाद लाखों की कर खरीदने पर भी नहीं मिलती। मां के हाथों की मार या पिता की डांट थोड़ी देर डराती तो ज़रूर है किन्तु अगली सुबह याद नहीं होती।
ऐसे ना जाने कितने कारण और ना भूलने जैसी यादें हैं जो हमें आजीवन बचपन की ओर खींच ही लेते हैं। बचपन की वह मासूमियत उम्र के साथ ना जाने कहां खो जाती है। सिर्फ़ वह मासूमियत नहीं बल्कि वह पल याद आते हैं जो बिस्तर पर पड़ते ही बेखायाल सो जाया करते थे।
ज्यादातर हम उन्हीं पलों को याद करते हैं जो खुशियां देते हैं, ऐसे लगता है कि बचपन दुखों से बिल्कुल अनजान था। जबकि असलियत यह है कि समय के साथ हम दिमाग का ज्यादा अधिक प्रयोग करने लगते हैं। बचपन में इतना सोचने की आदत नहीं थी।
योगासन, मुद्राएं, तथा ध्यान का अभ्यास इस अधिक सोचने की आदत को प्राकृतिक रूप से बदलकर बचपन की उस खुशियों को दोबारा जीने का रास्ता दिखाते हैं। शशांकासन एक ऐसा आसन है जो बचपन की मासूमियत और वर्तमान को जीने में मदद करता है।
MysticMind के इस आर्टिकल में शशांकासन Shashankasana के अभ्यास के सही तरीके तथा इसके लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा करेंगे।
सबसे पहले देखते हैं कि शशांकासन का अर्थ क्या है?
What is Shashankasana Yoga in Hindi
अन्य आसनों की तरह शशांकासन योग की उत्पत्ति भी संस्कृत भाषा के शशांक तथा आसन दो शब्दों से मिलकर बना है। अंग्रेजी में Hare Pose से जाना जाने वाले इस आसन को Rabbit Pose भी कहते हैं।
शशांक का अर्थ खरगोश तथा आसन से तात्पर्य है कि बैठने की अवस्था है। शशांकासन के अभ्यास दौरान अवस्था बैठे हुए खरगोश की भांति हो जाती है इसलिए इसे शशांकासन के नाम से जाना जाता है।
कुछ लोग इसे स्ट्राइक कोबरा पोज तथा बालासन के नाम से भी जानते हैं। यदि आपने अभी तक इस आसन का अभ्यास नहीं किया है तो इसकेअभ्यास से मिलने वाले लाभों को जानने के बाद अवश्य करेंगे।
Shashankasana शशांक आसन के अभ्यास से होने वाले लाभों को जानने से पहले देखते हैं कि किस प्रकार शशांकासन का सही अभ्यास करें।
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How to do Shashankasana in Hindi
किसी भी आसन का लाभ तभी मिलता है जब सही तरीके से अभ्यास किया जाता है। इसलिए Shashankasana Steps in Hindi को ध्यान से पढ़ें।
१- शशांकासन के अभ्यास के लिए किसी शांत तथा हवादार स्थान का जगह चुनें, योगा मैट बिछाकर उसपर बैठ जाएं।
२- बैठने के लिए वज्रासन का प्रयोग करें, इस आसन का शशांकासन अभ्यास में महत्वपूर्ण स्थान है।
३- अपने दोनों हथेलियों को पैरों के घुटनों पर रखें तथा कुछ देर सांसों के आवागमन पर ध्यान दें। किसी भी आसन के अभ्यास के पहले कम से कम १०-१५ लंबी गहरी सांस लेकर ध्यान को वर्तमान में लाएं।
४- Shashankasana अब सांस भीतर लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर लेकर बिल्कुल सीधा करें। मेरुदंड, गर्दन तथा सिर बिल्कुल एक सीध में रखें।
५- अब हाथों के साथ पूरे शरीर को धीरे धीरे नीचे की तरफ़ लाएं, साथ ही लयबद्ध तरीके से सांस बाहर छोड़ते जाएं।
६- दोनों हाथों को ज़मीन पर बिल्कुल सीधा रख दें, साथ ही सिर को अर्थात माथे को ज़मीन से लगा दें। ध्यान रहे माथे के साथ नाक से भी जमींन को छूने की कोशिश करें।
७- पंद्रह से बीस तक मन में गिनने तक उसी अवस्था में ज़मीन पर माथे को टिकाएं रखें फिर हाथों तथा सिर को ऊपर उठाते हुए, सांस अंदर भीतर लेते हुए सीधे हो जाएं। हाथों को सिर के ऊपर बिल्कुल सीधा, सम्पूर्ण शरीर बिल्कुल सीधा कर दें।
८- Shashankasana सांस बाहर छोड़ते हुए दोनों हाथों को वापस नीचे लाएं तथा घुटनों पर रखकर आराम की स्थित में आ जाएं। इस प्रकार शशांकासन का एक चक्र पूर्ण हुआ।
९- यह आसन पूरे शरीर तथा मस्तिष्क को इतना आराम देता है कि आप शुरू से ही पांच चक्र से ज्यादा का अभ्यास कर सकते हैं।
१०- समय के साथ ज़मीन पर टिकने का समय तथा शशांकासन कि अभ्यास चक्र को बढ़ाते जाएं।
Shashankasana Benefits in Hindi शशांक आसन से होने वाले लाभ
शशांक आसन अभ्यास की विधि जानने के बाद आपको इससे होने वाले लाभों का अंदाजा हो ही गया होगा। कभी कभी कुछ गुप्त लाभ भी होते हैं जिनका अंदाज़ा नहीं मिलता। उन गुप्त लाभों को जानने के बाद इसका अभ्यास करना अधिक उत्साह वर्धक लगने लगेगा।
१- वज्रासन पाचनतंत्र सुधारने तथा पर संबंधी बीमारियों को दूर करने का सहज उपाय है। Shashankasana शशांकासन की पहली और आखिरी सीढ़ी वज्रासन होने से संपूर्ण समय वज्रासन में ही जाता है। इस प्रकार यह आसन पेट तथा पाचन तंत्र के लिए बेहद लाभकारी है।
२- हाथों को ऊपर उठाने तथा सम्पूर्ण शरीर को सीधा रखने से सर्वाधिक प्रभाव पेट, छाती, गर्दन एवं पीठ पर पड़ता है। इसलिए शशांकासन के नियमित अभ्यास करने से स्वसन। नली स्वच्छ होती है तथा सांसों संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
३- Shashankasana शशांकासन अभ्यास से पेट की अतिरिक्त वसा जलती है जिससे मोटापा अथवा कमर की चर्बी कम करने में भी सहायता मिलती है।
४- अक्सर बैठने की गलत अवस्था के कारण पीठ तथा गर्दन में दर्द की शिकायत होने लगती है। शशांकासन बैठने की तथा सीधे खड़े होने की अवस्था को ठीक कर व्यक्तित्व में चार चांद लगाने का काम करता है।
५- शशांकासन के नियमित अभ्यास से पीनियल ग्रंथि अर्थात आज्ञा चक्र सक्रिय होता है। जिसके कारण मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है तथा। तनाव कम होकर कार्य क्षमता बढ़ने लगती है।
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६- यह आसन नियमित अभ्यास करने पर थायराइड तथा पैराथायराइड ग्रंथि को भी प्रभावित कर उन्हें संतुलित करता है। फलस्वरप गले की किसी भी प्रकार की बीमारी दूर करने में तथा इनसे बचाने में सहायता करता है।
७- Rabit Pose अथवा Shashankasana के नियमित अभ्यास से मेरुदंड मजबूत तथा लचीला बनने के साथ इसमें स्थित सातों चक्र सक्रिय होने लगते हैं। फलस्वरूप कुण्डलिनी शक्ति को जगाकर उसके लाभों से जीवन बदलने की नई दिशा मिलती है।
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८- पेट की चर्बी कम करने के साथ साथ शशांकासन का अभ्यास कब्ज़ को दूर कर सम्पूर्ण मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
९- कब्ज़ के कारण ही मलमूत्र संबंधी रोग जैसे कि बवासीर, फिशर अथवा अन्य बीमारियां शुरू होती है। Shashankasana कब्ज़ के साथ इन बीमारियों से भी मुक्ति दिलाता है।
१०- महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ साथ शशांकासन गर्भाशय को भी मजबूत करता है।
११- माथे अर्थात आज्ञा चक्र से पृथ्वी को छूना अर्थात शरीर में इस तत्व का संतुलन होना होता है। जो मन में चल रहे अनवरत विचारों को विराम लगाने में सहायक है।
१२- Shashankasana शशांकासन के नियमित अभ्यास से क्रोध, चिड़चिड़ापन, नकारात्मक विचारों से मुक्ति के साथ समस्याओं को सुलझाने की शक्ति तथा बुद्धिमत्ता भी बढ़ती है।
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Shashankasana Precautions
प्रत्येक आसन के अभ्यास से पहले सावधानियों को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा परिणाम विपरीत है जाते हैं। इस आसन के अभ्यास से पहले निम्न बातों का ध्यान रखें।
१- स्लीप डिस्क अथवा मेरूंदड में किसी स्वास्थ्य समस्या की अवस्था में शशांकासन का अभ्यास ना करें।
२- गर्भावस्था में इस आसन का अभ्यास पूर्ण रूप से वर्जित है।
३- उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोग की अवस्था में चिकित्सक से सलाह लेने के बाद योग्य शिक्षक की निगरानी में ही योगासनों का अभ्यास करें।
४- गर्दन अथवा शरीर के अन्य किसी अन्य अंगों में गंभीर बीमारी की हालत में योग्य शिक्षक का सहयोग अवश्य लें। बिना चिकित्सक की सलाह के शशांकासन का अभ्यास ना करें।
५- मोतियाबिंदु, चक्कर आना तथा पेट में किसी गंभीर बीमारी की हालात में इस आसन का अभ्यास बिना चिकित्सक की सलाह ना करें।
Shashankasana के पहले किए जाने वाले आसन
आसनों को सही क्रम से करने पर इनका अतिरिक्त तथा सम्पूर्ण लाभ मिलता है क्योंकि शरीर के सभी अंगों पर ध्यान जय है। Shashankasana के पहले यदि Balasana बालासन, वज्रासन तथा भुजंगासन का अभ्यास करें तो इसके अभ्यास में सहजता महसूस होगी। साथ ही साथ इसका लाभ कम समय में ही मिलने लगेगा।
Final Words: शशांकासन Shashankasana के नियमित अभ्यास से जीवन में जो परिवर्तन होगा वो उस बच्चे जैसा खुश रहने में मदद करता है जिसकी आप चाह रखते हैं। स्वस्थ शरीर तथा मन, जीवन में खुशियों को निमंत्रण देता है।
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भवतु सब्बै मंगलम!
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