Preksha Meditation in Hindi प्रेक्षा ध्यान जैन धर्म का प्रचलित ध्यान विधि है। यह ध्यान प्राचीन धार्मिक पुस्तकों तथा ज्ञान, विज्ञान तथा अनुभवों का सम्मिश्रण है। प्रेक्षा ध्यान का उद्देश्य अपनी भावनाओं, मनोदशा तथा व्यवहार को समझना है। स्वयं को समझकर अपने व्यवहार में परिवर्तन कर व्यक्तित्व में निखार लाना ही इस ध्यान का ध्येय है।
गौतम बुद्ध के विपश्यना ध्यान की भांति ही श्वेताम्बर तेरापंथी जैन धर्म का प्रचलित ध्यान प्रेक्षा ध्यान Preksha Meditation है। विपश्यना की ही भांति यह ध्यान भी साक्षी भाव सिखाता है, अंतर सिर्फ इतना है कि प्रेक्षा ध्यान विचारों की गहराइयों में ले जाता है।
प्रेक्षा ध्यान Preksha Meditation यह सिखाता है कि ध्यान का उद्देश्य मात्र शारीरिक स्तर पर बदलाव लाना नहीं बल्कि मनसा, वाचा क्रिया में परिवर्तन करना है। दूसरे शब्दों में कहूं तो विचारों, शब्दों तथा कर्मों में पवित्रता लाना है।
प्रेक्षा ध्यान Preksha Meditation आंतरिक अपूर्णता को दूर तथा आंतरिक द्वंद्व को समाप्त करने की प्रक्रिया है।
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Preksha Meditation/ Preksha Dhyan Meaning in Hindi
प्रेक्षा मेडिटेशन भारत की प्राचीनतम ध्यान विधि है जिसका अभ्यास भगवान महावीर ने करीब २६०० साल पहले की थी।
प्रेक्षा संस्कृत भाषा के मूल शब्द विक्स से लिया गया है जिसका अर्थ “देखना” होता है “। इस शब्द में उपसर्ग प्र जोड़ देने से वह विशेष बन जाता है। प्र+ विक्स = प्रीक्षा अर्थात “विशेष प्रकार का देखना।
देखने की प्रक्रिया तो हम सभी करते हैं, किन्तु किस स्तर पर देखते हैं, दरअसल यही सोचने की बात है।
प्रेक्षा ध्यान Preksha Meditation “विचारों की गहराई” पर अधिक जोर देता है। यदि आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि अक्सर आपके विचार आप स्वयं नहीं चुनते हैं।
इस ध्यान Preksha Meditation में अन्य चीजों पर भी जैसे कि स्वांस, शरीर के अंग, चिंतन, रंग आकार आदि पर भी ध्यान दिया जाता है। विचारों को सर्वोच्च महत्व इसलिए दिया गया है क्योंकि सच्चाई को जानना और उसे जीवन में धारण करना दो अलग चीजें हैं। विचारों को गहराई में देखने से उनको समझना तथा। धारणा में लाना काफ़ी हद तक आसान हो जाता है।
Preksha Meditation/ Preksha dhyan by Acharya Mahapragya in Hindi
यद्यपि यह ध्यान Preksha Meditation भगवान महावीर के समय से है किन्तु इसे आधुनिक समय का प्रारूप देकर सरल बनाने का काम आचार्य महाप्रज्ञ ने किया। चेतना के स्तर पर स्वयं का गहराई से निरीक्षण करना, विचारों की धारणा को सहज बना देता है।
आचार्य महाप्रज्ञ जी के शब्दों में,” वह व्यक्ति जिसका अपनी भावनाओं पर नियंत्रण है, जीवन में बहुत आगे जाता है। जिनका भावनाओं पर नियंत्रण नहीं किन्तु सीमित क्षमता है, वे कुछ हद तक अपने जीवन को संयमित रख सकते हैं। जो व्यक्ति अपनी भावनाओं और इच्छाओं का गुलाम है वह स्वयं ही खुद को नीचे गिराता जाता है। इसलिए जीवन में प्रगति लाने के लिए भावनाओं पर नियंत्रण आवश्यक है”।
How to do Preksha Meditation in Hindi
प्रेक्षा ध्यान में बैठने की स्थिति
ज़मीन पर या कुर्सी पर आराम की अवस्था में बैठें। शरीर तथा रीढ़ को सीधा रखें। यदि अप जमीन पर बैठे हैं तो अपनी सुविधानुसार पद्मासन या अर्ध पद्मासन अथवा सुखासन में बैठ सकते हैं।
हथेलियों को ज्ञान मुद्रा में घुटने के ऊपर रखें, ध्यान रहे हथेलियां ऊपर की तरफ़ खुली हों। आंखें बंद कर ध्यान के लिए तैयार हो जाएं। आप चाहें तो मंत्र का प्रयोग आरंभ में कर सकते हैं।
Preksha Meditation Steps
१- First step में सम्पूर्ण शरीर को विश्राम की अवस्था में लाएं। मन को शांत तथा शरीर के एक एक अंगों पर ध्यान ले जाकर उन्हें स्थिर करें।
इस प्रक्रिया से शरीर के अंगों को सहज रूप से सुदृढ़ कर मन को सकारात्मक किया जाता है।
२- Step Two में ध्यान को शरीर के अंगों से हटाकर और गहराई में ले जाएं। रीढ़ की हड्डी के सबसे नीचे के हिस्से में ध्यान ले जाएं। वहां से ध्यान को एक एक ऊर्जा केन्द्र अर्थात चक्रों से होते हुए ध्यान को ऊपर ले आएं।
Crown Chakra तक ध्यान को ले जाने तक सारे चक्र पूर्ण रूप से स्वच्छ तथा सक्रिय हो जाते हैं।
यह प्रक्रिया ऊर्जा केंद्रों से ऊर्जा का प्रवाह संतुलित करती है जिससे वर्तमान में रहने के साथ तथा सुखद अनुभव होने लगता है।
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३- Third Step में सांसों के आवागमन पर ध्यान दें। स्वांस के प्रवाह के साथ शरीर में जो अनुभव या प्रतिक्रिया होती है उस पर ध्यान दें। सांसों पर ध्यान देने से मन अधिक एकाग्र होने के साथ ध्यान की गहराई का अनुभव करता है। विचारों में सूक्ष्मता आने लगती है।
सांसों पर ध्यान देना शारीरिक क्रिया है किन्तु इस चरण तक आते आते आप इतनी गहराई में पहुंच जाते हैं कि विचारों पर ध्यान जाना सहज हो जाता है। इससे चेतना का स्तर बढ़ जाता है।
४- Preksha Meditation- ध्यान को शरीर के बाहरी तथा अंदरूनी अंगों पर ध्यान ले जाएं। उर्जा के केन्द्र सक्रिय होने की वजह से अब जो ऊर्जा अंगों में प्रवाहित होती है उससे बीमारियां ठीक होती हैं।
प्रेक्षा ध्यान सूक्ष्म रूप से शरीर के बाहरी तथा भीतरी अंगों का अवलोकन करना है। जिसकी वजह से आप अपने शरीर तथा उनमें होने वाली प्रतिक्रिया को बेहतर समझने लगते हैं।
५- Fifth Steps में चेतना की गहराइयों में जाना आसान हो जाता है। जहां से जीवन के स्रोत और चेतना के केन्द्र पर ध्यान टिकाना होता है। दूसरे शब्दों में कहूं तो शून्य की अवस्था में टिकना होता है।
यह अवस्था उस खाली खेत के सामन होती है जो बीजारोपण के लिए तैयार होता है। जितनी देर इस अवस्था में रहेंगे मानस पटल उतना ही स्वच्छ तथा प्रभावशाली बनता है।
६- लेश्या ध्यान – छठे स्टेप में शरीर, शरीर के अंगों से ध्यान को हटाकर अपने आस पास ध्यान देना होता है। उदाहरण के लिए अपना औरा -ऊर्जा का सुरक्षा कवच जो हमारे शरीर के आस पास है उसपर ध्यान देना होता है।
शरीर, मन स्वच्छ होने के साथ, बाहरी आवरण का भी साफ होना अति आवश्यक होता है। जब ध्यान वहां जाता है तो सतरंगी और दिखने लगता है।
७- Preksha Meditation– अनुप्रेक्षा अर्थात वह अवस्था जहां विचारों के नए बीज बोए जाते हैं। जिन विचारों, धारणाओं अथवा संकल्पों को परिवर्तित करना होता है या नए संकल्पों के बीज डालने होते हैं, वह इसी अवस्था में डाला जाता है।
इतने स्टेप्स पूरे होने तक आप चेतना के इस स्तर पर पहुंच चुके होते हैं जहां से आप अपने जीवन का मनचाहा आकार दे सकते हैं।
८- Preksha Meditation- आखरी स्टेप है भावनाओं का अवलोकन करना। जो भी संकल्प के बीज आपने डाले, उसके पूरा होने की कल्पना से आपके मन में कैसी भावना उत्पन्न होती है उसका अवलोकन करें।
उस भावनाओं को इतनी गहराइयों में देखें कि ध्यान के बाद भी वह आपको सत्य ही लगे।
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Preksha Meditation/ Preksha dhyan ke labh प्रेक्षा ध्यान के लाभ
१- प्रेक्षा ध्यान के अभ्यास से मानसिक, भावनात्मक तथा वैचारिक उथल पुथल से मुक्ति मिलती है। भावनाओं के साथ विचारों में भी पवित्रता होती है।
२- प्रेक्षा ध्यान Preksha Meditation का अभ्यास एकाग्रता का स्तर बढ़ाने के साथ रचनात्मक रूप से भी मजबूत बनाता है। इच्छा शक्ति दृढ़ करता है तथा अंतरज्ञान में वृद्धि होती है।
३- ध्यान के निरंतर अभ्यास से रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ने के साथ साथ शारीरिक, मानसिक ऊर्जा का प्रवाह भी बढ़ता है। जिसके परिणाम स्वरूप कार्य क्षमता बढ़ती है तथा थकान कम होती है।
४- स्वास्थ्य विरोधी आदतों अथवा नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। मन की गहराइयों में दबे पुराने जख्म भरते हैं तथा भय से छुटकारा मिलता है।
५- प्रेक्षा ध्यान Preksha Meditation के अभ्यास से चेतना के अनंत स्तर का आभास होता है। ज्ञान की गहराई में समझ आती है तथा असीम आनंद का अनुभव होता है।