प्राण वायु क्या है | प्राण वायु का महत्व | What is Prana Vayu in Hindi

Prana Vayu in Hindi | Prana Vayu Meaning in Hindi | Prana Vayu Apana Vayu in Hindi

प्राण वायु अर्थात जीने के लिए सबसे आवश्यक वायु। भारतीय संस्कृति में योग, प्राणायाम और वेदांत के अध्ययन के “प्राण वायु” एक विशेष विषय है।

आइए जानते हैं कि प्राण वायु क्या है ।

प्राण वायु क्या है |  What is Prana Vayu in Hindi 

प्राण वायु ब्रह्मांड की ऊर्जा को व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा में प्रवाहित करने का एकमात्र माध्यम है। प्राण वायु के माध्यम से ही ऊर्जा हमारे भीतर प्रवेश करती है।

कहने की आवश्यकता नहीं कि ऊर्जा हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुख, स्थिरता और समानता पके लिए अत्यंत आवश्यक है।

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आइए जानते हैं कि हमारे जीवन के अलग अलग पहलुओं में प्राण वायु का क्या महत्व है?

Importance of Prana Vayu in Hindi | प्राण वायु का महत्व

१- शरीर में प्राण वायु का महत्व

प्राण वायु ही शरीर में ऊर्जा को लाने एवं उसके माध्यम से शारीरिक क्रियाओं को सुचारु रुप से चलाने का कार्य करती है। प्राण वायु के सुचारु रुप एवं स्वस्थ आवागमन से हमारे शरीर की प्राकृतिक प्रक्रियाएं, जैसे श्वसन, हृदय की धड़कन, खाना पचाना, बाहरी गतिविधियाँ, आदि नियंत्रित होती हैं।

शुद्ध प्राण वायु एवं सुचारु प्रवाह से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है और हमारी कार्य शक्ति अथवा ऊर्जा स्तर में सुधार होता है। प्राण वायु के सुचारु संचालन में योग और प्राणायाम और ध्यान का महत्वपूर्ण योगदान है।

योगासनों के नियमित अभ्यास और कुछ विशेष प्राणायाम का अभ्यास करके हम प्राण वायु को शुद्ध, स्थिर और संतुलित बना सकते हैं। इस प्रकार हम शरीर का पाचन तंत्र, रोग प्रतिकार शक्ति , मानसिक क्षमता एवं और शारीरिक। स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं।

२- मन के लिए प्राण वायु का महत्व

प्राण वायु मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारे मन की स्थिति और भावनाएं प्राण वायु की शुद्धता एवं प्रवाह को प्रभावित करती हैं। मनुष्य योग और प्राणायाम के माध्यम से प्राण वायु को सुचारु करके अपने मन को स्थिर एवं शांत बना सकता है।

प्राण वायु की गतिशीलता सांसों की गति एवं, मन की स्थिति को प्रभावित करता है। लंबे समय के जागरूक अभ्यास से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है। साथ ही प्राण वायु की शुद्धता से मानसिक तनाव, चिंता और अशांति दूर होती है।

३- आध्यात्मिक लाभों के लिए प्राण वायु का महत्व

प्राण वायु आध्यात्मिक और आत्मज्ञान की प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ध्यान और प्राणायाम के माध्यम सेव्यक्ति अपने आंतरिक स्थिति को सुधारता है। दूसरे शब्दों के कहूं तो स्वयं के साथ अथवा अपनी आत्मा के साथ संबंध स्थापित करता है।

प्राण वायु पर जागरूक रहकर, विशेष ध्यान देकर व्यक्ति अपनी चेतना को ऊँचाईयों तक ले जा सकता है। यही कारण है कि योगियों एवं ध्यानियों के जीवन में प्राण वायु को विषेश महत्व दिया जाता है।

प्राणायाम के अभ्यास से ध्यान की उच्च अवस्था में जाने एवं, चक्रों को जागृत कर अद्वैत अनुभूति का आनंद देने में प्राण वायु का योगदान है।

Area of Prana Vayu in Hindi| प्राण वायु का स्थान

प्राण वायु तो सर्वत्र है किंतू मनुष्य के शरीर में इसका स्थान तन्त्रिकाओं एवं नाड़ी नेटवर्क में माना जाता है। इन्हीं क्षेत्रों से प्राण वायु प्रवाहित होती है। शास्त्रों के अनुसार प्राण वायु के तीन मुख्य नाड़ी क्षेत्र होती हैं, जिन्हें नाड़ी सुन्दरी, नाड़ी चंद्रिका, और नाड़ी हंसिनी कहा जाता है।

ये नाड़ियां जुड़ी होने के कारण प्राण वायु में निहित ऊर्जा को ऊर्जा को शरीर के विभिन्न अंगों में प्रवाहित करती हैं। वेदांत दर्शन के अनुसार प्राण वायु सर्वव्यापी और अपरिमित है। यह सृष्टि पर जीवित सभी जीवों को जीवित रखने वाली ऊर्जा है जिसका हमारे शरीर, मन, और आत्मा के साथ संबद्ध है।

प्राण वायु की गहराई और स्थान बताना संभव नहीं क्योंकि यह एक गहरा आध्यात्मिक विषय है।

Types of Prana Vayu in Hindi | प्राण वायु के प्रकार

१- प्राण वायु

पयह सबसे मूल प्राण शक्ति है जो शरीर के संचालन एवं चयापचय के लिए जिम्मेदार होती है। यह प्राण वायु श्वास, खाना पचाना, हृदय की धड़कन, आदि सामान्य शारीरिक क्रियाओं के संचालन का कार्य करती है।

२- अपान वायु

अपान वायु भी प्राण वायु का एक पप्रकार है जो शरीर की अन्य क्रियाओं के लिए जिम्मेदार होता है। इनका कार्य मलाशय की प्रक्रियाओं, मूत्र त्यागने, गर्भाशय की क्रियाओं को नियंत्रित करने का होता है।

३- समान वायु

समान वायु शरीर के सभी भागों में ऊर्जा के संचालन के लिए जिम्मेदार होती है। यह प्राण वायु को शरीर के विभिन्न अंगों एवं कोशिकाओं तक पहुंचाने के साथ उनके पोषण के कार्य को भी संचालित करती है।

४- उदान वायु

उदान वायु मनुष्य के विचारों विचारों एवं भावनाओं से संबंधित है। इसके संतुलित होने से व्यक्ति अध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करता है।

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Mantra for Prana Vayu in Hindi | प्राण वायु मंत्र

प्राण वायु को शुद्ध एवं संतुलित करने के लिए ऋषि मुनियों द्वारा विभिन्न मंत्रों का उपयोग भी किया जाता रहा है। कुछ प्रमुख प्राण वायु मंत्र नीचे दिए गए हैं।

1- ॐ भूर्भुवः स्वः: (Om Bhur Bhuva Swaha)

यह सूर्य देव का मंत्र है जो प्राण वायु के संतुलन के लिए उपयोगी है। इस मंत्र का जाप करने से प्राण वायु शुद्ध होती है एवं शरीर में सुचारु रुप से ऊर्जा प्रवाहित होती है।

2- ॐ शांति शांति शांति: (Om Shanti Shanti Shanti)

यह मंत्र विशेष रुप से मन की शांति और स्थिरता के लिए उपयोगी है। इसके नियमति जाप करने से मन को शांति और सुकून मिलता साथ ही तनाव दूर करने में मदद मिलती है।

3- ओं नमो भगवते वासुदेवाय (Om Namo Bhagavate Vasudevaya)

यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है। इसका जाप करने से प्राण वायु शुद्ध एवं संतुलित होती है। साथ ही व्यक्ति भावनात्मक रुप से मजबूत बनता है।

Final Words – इस प्रकार देखा जाय तो प्राण वायु शरीर, मन और आत्मा के लिए आवश्यक ऊर्जा का स्रोत है। योग, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से हम प्राण वायु को शुद्ध, संतुलित और स्थिर बनाकर अपने जीवन को स्वस्थ्य रख सकते हैं।

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