बैल पोला त्योहार की रोचक जानकारी | Bail Pola Festival in Hindi

What is Pola Festival in Hindi | When is Pola Festival in Hindi | Importance of Bail Pola Festival in Hindi | Pola Festival in Chhattisgarh

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है और शुरुआत से ही खेती करने के लिए बैलों का उपयोग किया जाता रहा है। इसलिए उनके प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शाने के लिए हर साल पोला पर्व मनाया जाता है।

इस खास त्योहार के दिन गाय बैलों को सजा धजा कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। खासकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में इस पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को बैल पोला के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन अन्न माता गर्भधारण करती हैं, इसलिए किसान इस दिन खेती का कोई काम नहीं करते हैं, ताकि अन्न माता को आराम मिल सके। तो आइए जानते हैं इस खूबसूरत त्योहार Pola Festival in Hindi के बारे में विस्तार से।

इस लेख में हम जानेंगे

  • पोला पर्व का महत्व क्या है?
  • पोला त्यौहार कैसे मनाते हैं?
  • मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार कैसे मनाते हैं?
  • पोला पर्व में पूजा कैसे की जाती है?
  • पोला त्यौहार महाराष्ट्र में कैसे मनाते हैं?
  • और कहां-कहां मनाया जाता है पोला त्यौहार?
  • पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा?

आइए सबसे पहले जानते हैं कि पोला त्यौहार क्या है एवं पोला त्योहार क्यों मनाया जाता है?

पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा? | What is Pola Festival in Hindi

दरअसल भगवान श्री कृष्ण से इस पर्व के नाम का तार जुड़ा हुआ बताया जाता है। मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण माता यशोदा और वासुदेव के घर रह रहे थे, तो उनके मामा कंस उन्हें मारने के लिए हमेशा नई-नई योजना बनाकर अलग-अलग तरह के राक्षसों को उनके पास भेजते रहते थे, लेकिन श्री कृष्ण के पास आकर वो राक्षस खुद मारा जाता था।

ऐसे में एक बार कंस ने पोला सुर नाम के राक्षस को श्रीकृष्ण की हत्या करने के लिए भेजा, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने अन्य राक्षसों की तरह ही उसे भी मौत के घाट उतार दिया। कहा जाता है कि जिस दिन श्री कृष्ण ने पोला सुर नाम के राक्षस को मारा था वो दिन भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि थी।

इसलिए इस दिन को पोला के नाम से जाना जाता है। आइए जानते है कि पोला त्योहार का क्या महत्व है?

पोला पर्व का महत्व क्या है? | Importnace of Pola Festival in Hindi

पोला पर्व के दिन किसान अपने गाय, बैल और अन्य मवेशियों को नहला-धुला कर उन्हें अच्छे से सजाते हैं। इसके बाद उनकी पूरी श्रद्धा से पूजा-आराधना करते हैं। किसान पूरे साल भर खेती में योगदान देने के लिए बैलों को धन्यवाद देते हैं।

कई जगहों पर पोला पर्व के दिन लोग चक्की की पूजा भी करते हैं, क्योंकि चक्की भी गृहस्ती का प्रतीक होता है। इस खास त्यौहार के दिन कई जगहों पर जुलूस निकाला जाता है और मेले भी लगाए जाते हैं।

तो वहीं छोटे बच्चे मिट्टी या लकड़ी के बैल व घोड़े को सजाकर अपने जानने वालों के घर जाते हैं और लोग उन्हें तोहफे के तौर पर पैसे या कुछ ना कुछ देते हैं।

अब जानते हैं कि पोला का त्योहार किन किन प्रदेशों में किस प्रकार से मनाया जाता है?

पोला त्यौहार कैसे मनाते हैं? Pola Festival in Hindi

पोला त्यौहार को दो तरीके से मनाया जाता है, जिसमें एक होता है बड़ा पोला और दूसरा होता है छोटा पोला। बड़ा पोला को मनाने के लिए असली बैलों को सजा-धजा कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

तो वहीं छोटा पोला में गाय, बैल और घोड़ों के खिलौने बनाए जाते हैं, जिससे छोटे बच्चे खेलते हैं और उसे लेकर घर-घर जाते हैं और उन बच्चों को लोग कुछ ना कुछ तोहफे में देते हैं। वैसे अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

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महाराष्ट्र में पोला त्यौहार कैसे मनाते हैं? | Pola Festival in Maharashtra

  • पोला पर्व के पहले दिन महाराष्ट्र के किसान अपने बैलों के मुंह और गले से रस्सी निकाल देते हैं।
  • इसके बाद बैलों को बेसन और हल्दी का लेप लगाया जाता है और फिर तेल से मालिश की जाती है।
  • ये सब करने के बाद हल्के गर्म पानी से उन्हें नहलाया जाता है। अगर पास में तालाब या नदी हो, तो वहां ले जाकर नहलाते हैं। नहीं तो घर पर ही पानी लेकर उन्हें नहाते हैं।
  • नहाने के बाद बैलों के सींग को कलर करते हैं और उन्हें काफी अच्छे से सजाते हैं।
  • अब उन्हें रंग-बिरंगे खूबसूरत कपड़े पहनाए जाते हैं। इन सबके अलावा फूलों की माला और अनेकों तरह से जेवर से उन्हें सजाया जाता है और साल भी ओढ़ाया जाता है।
  • इसके साथ-साथ परिवार के सभी सदस्य मिलकर नाच गाना भी करते हैं।
  • आज के दिन बैलों के पुराने रस्सी को बदलकर नए रस्सी पहनाए जाते हैं।
  • गांव के सारे लोग बैलों को सजाकर एक जगह पर इकट्ठा करते हैं, ताकि हर कोई हर किसी के बैल को देख सके।
  • इसके बाद सब अपने-अपने बैलों की पूजा करते हैं और ढोल नगाड़े के साथ जुलूस निकालते हैं।
  • पोला त्यौहार के दिन घरों में महिलाएं गुझिया, पूरन पोली जैसे अनेकों तरह के खाने की चीजें बनाती हैं।
  • इसी दिन से कई किसान अपनी खेती की नई शुरुआत करते हैं।
  • कई जगहों पर मेले का आयोजन किया जाता है और वहां पर अलग-अलग तरह की प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं, जैसे कबड्डी, वॉलीबॉल, रेसलिंग और खो-खो इत्यादि।
  • पोला का ये त्यौहार इंसानों के मन में जानवरों के प्रति सम्मान को जगाने का काम करता है। जैसे-जैसे ये त्यौहार करीब आता जाता है, हर एक किसान एक-दूसरे को हैप्पी पोला कह कर मुबारकबाद देने लग जाते हैं।

आइए जानते हैं कि मध्य प्रदेश एवं छत्तीस गढ़ में पोला का त्योहार कैसे मनाया जाता है?

Pola Festival in Chhattisgarh Pola Festival in Hindi

  • मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इन दोनों ही राज्यों में आदिवासी जाति एवं जनजाति के लोग भारी संख्या में रहते हैं।
  • यहां पर असली के बैल के साथ-साथ लकड़ी और लोहे से बनाए गए नकली बैल की भी पूजा होती है।
  • इसके अलावा यहां पर पीतल और लकड़ी के घोड़े बनाकर लोग उनकी भी पूजा करते हैं।
  • पोला पर्व के दिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोग हाथ से चलाने वाली चक्की की पूजा भी करते हैं।
  • पहले के जमाने में बैल और घोड़े का इस्तेमाल तो लोग मुख्य तौर पर करते ही थे, साथ ही गेहूं जैसे अनाज को पीसने के लिए चक्की का इस्तेमाल भी करते थे। इसलिए पोला पर्व के दिन यहां के लोग चक्की की पूजा भी करते हैं।
  • आज के दिन गुझिया, सेव, मीठे खुरमे जैसे तरह-तरह के पकवान बनाकर उनको चढ़ाया जाता है। इन पकवानों को एक थैली में रखकर घोड़े के खिलौने के ऊपर रखा जाता है।
  • दूसरे दिन छोटे-छोटे बच्चे इन खिलौनों को लेकर अपने पास-पड़ोस और जानने वालों के घर में जाते हैं और सबसे तोहफे के तौर पर पैसे लेते हैं।
  • पोला पर्व के दिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में लोग बांस के बनाए हुए गेड़ी का जुलूस निकालते हैं। इसमें एक लंबे बांस के नीचे उससे छोटे बांस को तिरछा करके लगाते हैं और फिर उसपर बैलेंस करके खड़े होकर चलते हैं।
  • ये गेड़ी कई साइज में बनाए जाते हैं। क्योंकि इस जुलूस में बच्चे और बड़े सभी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। दरअसल ये मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का एक तरह का पारंपरिक खेल है।

जानते हैं कि इस त्योहार की किस तरह से मनाया जाता है अर्थात विशेष पूजा कैसे करते हैं?

पोला पर्व में कैसे करते हैं पूजा? | Pola Festival in Hindi

पोला पर्व की पहली रात्रि को गर्भ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती हैं। यानी कि इसी दिन धान में दूध भरता है। इसी वजह से आज के दिन किसी को भी खेतों में नहीं जाने दिया जाता है।

जब रात को गांव के सारे लोग सो जाते हैं, तब गांव के मुखिया और पंडित के अलावा कुछ अन्य सहयोगी आधी रात को गांव और गांव की सीमा क्षेत्र में मौजूद सभी मंदिरों में जाकर देवी-देवताओं की विशेष पूजा करते हैं। रातभर ये प्रक्रिया चलती है।

रात को की जाने वाली इस पूजा के प्रसाद को घर लाने की परंपरा नहीं है, बल्कि वहीं पर इसे खा लिया जाता है। कहते हैं कि अगर किसी की पत्नी गर्भवती रहती है, तो वो व्यक्ति इस पूजा में सम्मिलित नहीं हो सकता है।

इस पूजा में जो कोई भी सम्मिलित होता है वो जूते-चप्पल नहीं पहन सकता है। खाली पैर ही पूजा के लिए जाना होता है। कहते हैं कि खाली पैर होने के बावजूद किसी के पैर में कुछ भी नहीं चुभता है और ना ही किसी को किसी तरह की शारीरिक परेशानी होती है।

सुबह होते ही महिलाएं घर में लोहारी, अनरसा, गुड़ का चीला, खुरमी, ठेठरी, भजिया, मुरकू, गुजिया, मुठिया, तसमई के अलावा अनेकों प्रकार के छत्तीसगढ़ी पकवान बनाती हैं। किसान अपने मवेशियों को नहला-धुला कर उनके खूर व सींग में पेंट या पॉलिश करके उन्हें काफी अच्छे से सजाते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

सब एक-दूसरे के घर पर जाकर पर्व की बधाई देते हैं और खाते-पीते हैं। शाम होने पर गांव की लड़कियां एक साथ होकर गांव के बाहर किसी चौराहे या फिर किसी मैदान पर (जहां नंदी बैल की प्रतिमा स्थापित हो रखी हो) पोरा पटकने के लिए जाती हैं। इस परंपरा को निभाने के लिए सभी युवतियां अपने-अपने घरों से मिट्टी के बने खिलौने ले जाती हैं।

ऐसा करके नंदी बैल के प्रति वो अपनी आस्था को दर्शाते हैं। तो वहीं युवा वर्ग के लोग तरह-तरह के खेल खेलते हुए मनोरंजन करते हैं। भारत के उपर्युक्त विशेष प्रदेशों के अलावा भी कुछ जगहों पर बैल पोला त्योहार अत्यन्त उत्साह के साथ मनाया जाता है।

आइए देखते हैं और कहां-कहां मनाया जाता है पोला का त्यौहार?

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कहां-कहां मनाया जाता है पोला का त्यौहार | Pola Festival in Hindi

बैलों और अन्य मवेशियों की पूजा का ये त्यौहार छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम और सिक्किम राज्यों में भी मनाया जाता है। भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी पोला पर्व का त्यौहार मनाया जाता है।

नेपाल में इसे कुशग्रहणी या कुशोत्पाटिनी अमावस्या, अघोरा चतुर्दशी और वहां के लोकल भाषा में डगयाली के नाम से मनाते हैं। नेपाल में इसे कुशग्रहणी या कुशोत्पाटिनी अमावस्या इसलिए कहा जाता है क्योंकि आज के दिन ही पूरे सालभर किए जाने वाले श्राद्ध तथा धार्मिक कार्यों के लिए कुश, जो कि एक विशेष प्रकार की घास होती है को इकट्ठा किया जाता है, ताकि किसी भी धार्मिक या श्राद्ध कार्यों में इसका उपयोग किया जा सके।

FAQS

1- अमावस्या में कौन कौन सा त्योहार मनाया जाता है?

भाद्रपद अमावस्या के दिन पोला, कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली, एवं शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या के रुप में मनाया जाता है।

प्रतिवर्ष ये दिन त्योहार के रुप में मनाए जाते हैं। इसके अलावा हर साल कोई न कोई त्योहार अमावस्या के दिन तिथि के हिसाब से आ जाता है।

2- छत्तीसगढ़ में तीजा पोरा क्यों मनाया जाता है?

छत्तीसगढ़ का तीजा पोरा एक महत्त्वपूर्ण एवं प्रचलित त्योहार है। यह त्योहार महिलाएं अपने जीवन साथी की लंबी उम्र के लिए। मायके में मनाती हैं।

तीज़ त्योहार के कुछ दिन पहले ही मायके वाले जाकर अपनी बहन बेटियों को ससुराल से लेकर आते हैं तथा पोला के तीन दिन बाद स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।

Final Words: भारत की विविधता में एकता भरने वाला पोला त्योहार बड़ा ही रोमांचक त्योहार है एवं देखने लायक है। उम्मीद है पोला से संबधित सभी जानकारी आपकी उत्कंठा मिटा चुकी होगी।

यदि आपको यह आर्टिकल ज्ञानवर्धक लगा हो तो दूसरों को साझा करें तथा पोला त्योहार से अवगत कराएं।

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सबका मंगल हो

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