Nadi Shodhan Pranayam in Hindi : किसी शहर की साफ़ सफ़ाई तथा शहरवासियों के स्वास्थ्य के लिए उस शहर में बहने वाले पानी का विशेष प्रभाव होता है। जिन नालियों अथवा नालों से होकर पानी बहता है, यदि उसे समय समय पर साफ़ नहीं किया गया तो पूरा शहर बीमारी की चपेट में आने की संभावना होती है।
क्या अपने कभी सोचा है कि आपके शरीर को सुचारु रूप से चलाने के लिए इनमें बहत्तर हज़ार नालियां बह रही हैं?
सबसे महत्वपूर्ण यह बात है कि गली, शहर के नालों की तरह शरीर की नाड़ियों अथवा नालियों को स्वच्छ रखना आवश्यक है। शारीरिक तथा मानसिक बीमारियां इस बात का संकेत हैं कि शरीर के अंदर किसी नली के प्रवाह में रुकावट आई है।
Nadi Shodhan Pranayam in Hindi प्राचीन ऋषि मुनियों ने इनकी शुद्धता का खयाल रखने के लिए योग प्राणायम की कई विधियों बनाई थीं। जिनमें से सबसे आसान तथा सबसे। महत्वपूर्ण विधि नाड़ी शोधन प्राणायाम है।
नाड़ीशोधन प्राणायाम क्या है, इसे कैसे करें तथा इसके क्या क्या लाभ होते हैं, इन सभी स्वालों के जवाब इस पोस्ट में विस्तार से मिलेंगे।
What is Nadi Shodhan Pranayam in Hindiनाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है?
शाब्दिक अर्थ ही इसके भाव को साफ़ साफ़ बता देता है – नाड़ी का अर्थ नाली अथवा रास्ता होता है, शोधन मतलब शुद्ध करना तथा प्राणायाम का अर्थ स्वसन प्रक्रिया है। इस प्रकार नाड़ी शोधन प्राणायाम का अर्थ है सांसों के माध्यम से रक्त वाहक नालियों अर्थात नाड़ियों की शुद्धता करना।
Importance of Nadi Shodhan Pranayam in Hindi
नाड़ी शोधन प्राणायाम का महत्व
यदि आप सूक्ष्म रूप से ध्यान देंगे तो पाएंगे कि अक्सर मनुष्य छोटी छोटी सांस लेता है। दूसरे शब्दों में कहूं तो सांस लंबी होनी चाहिए जो पेट तक जाए किन्तु मनुष्य सांस लेता है तो गले अथवा छाती तक ही लेता है।
जिस प्रकार किसी चीज़ की समय पर सफ़ाई ना की जाए तो उसमें गंदगी जमा हो जाती है उसी प्रकार इन नाड़ियों में भी सफ़ाई ना करने के कारण रुकावट आती हैं।
जब नाड़ियों में अवरोध होता है तो उस दिशा में रक्त प्रवाह कम हो जाता है तथा भिन्न भिन्न बीमारियां आने लगती हैं। इसलिए शरीर में सुचारू रूप से रक्त प्रवाह करने के लिए नाड़ी शोधन प्राणायाम अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Nadi Shodhan Pranayam in Hindi नाड़ियों का महत्व/
नाड़ी शोधन का महत्व
इड़ा, पिंगला तथा सुषुम्ना ये तीन मुख्य नाड़ियां जो रीढ़ को हड्डी में सूक्ष्म रूप से हैं। इन्हीं नाड़ियों के माध्यम से सम्पूर्ण शरीर की अन्य नाड़ियों में रक्त प्रवाह तथा आक्सीजन का प्रवाह होता है। जो शरीर के अंगों को पोषक तत्व पहुंचाते हैं तथा हमारे स्वास्थ्य का खयाल रखते हैं।
Nadi Shodhan Pranayam in Hindi: नाड़ियां में अवरोध आने के कारण
यदि आज से सौ साल पहले का इतिहास देखेंगे तो जो बीमारियां आज आम हो गई हैं उनका नामोनिशान नहीं था। इन बीमारियों का आगमन नाड़ियों में अवरोध के कारण ही हुआ है जो निम्न हैं।
१- सर्वप्रथम कारण है आधुनिक जीवन – शैली, जिसमें असमय तथा स्वस्थ भोजन सम्मिलित हैं। नींद की कमी के कारण भी नाड़ियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
२- Nadi Shodhan Pranayam in Hindi विचारों का सबसे प्रभाव मन पर पड़ता है जो शरीर पर दिखाई देते हैं। नकारात्मक विचार शरीर की प्रक्रिया को असंतुलित करते हैं।
३- किसी भी प्रकार के तनाव का सीधा असर आपकी सांसों पर देखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर जब आप क्रोधित होते हैं तो सांसे छोटी हो जाती हैं इसलिए जल्दी जल्दी सांस लेते हैं।
४- शारीरिक तथा मानसिक चोट के कारण भी नाड़ियां अवरूद्ध हो जाती हैं। समय पर उपचार ना कराया जाय तो परिणाम अच्छे नहीं होते।
५- हानिकारक भोजन अथवा किसी भी प्रकार का विषैला भोजन शरीर में प्रवेश करने से भी नाड़ियों में अवरोध उत्तपन्न हो जाता है।
How to Do Nadi Shodhan Pranayam in Hindi / नाड़ी शोधन कैसे करें
Nadi Shodhana Pranayam Steps in Hindi बहुत ही आसान प्रक्रिया है किन्तु ध्यान पूर्वक करने से इसके परिणाम स्वास्थ्य लाभ के साथ रोग प्रतिकार शक्ति भी बढ़ाते हैं।
१- आसान बिछाकर सिद्धासन, सुखासन अथवा पद्मासन में बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी अथवा पीठ को पूर्णतः सीधा रखें। सांसों पर कुछ क्षण ध्यान दें तथा उनको शांत एवं सामान्य होने दें।
२- दाहिने हाथ की हथेलियों को मुंह के सामने लाकर तर्जनी एवं बीच को उंगली को ललाट के मध्य में हल्के से टीका दें।
३- अंगूठे से दाहिनी नासिका छिद्र को पूर्ण रूप से बंद करें तथा बाईं नासिका से लंबी गहरी स्वांस भरें।
४- अब अनामिका उंगली से बाईं नासिका छिद्र को सम्पूर्ण रूप से बंद करें तथा दाहिनी नासिका से अंगूठा हटाकर सांस को धीरे धीरे बाहर छोड़ दें।
५- Nadi Shodhan Pranayam in Hindi इस प्रक्रिया के दौरान कनिष्ठा यानि सबसे छोटी उंगली को अंदर की तरफ़ मोड़कर रखें।
६- दोबारा से दाहिने नसीकाछिद्र को बंद कर बाएं नाक से सांस भरें। फिर बाएं नसीकाछिद्र को बंद कर दाएं से बाहर छोड़ दें।
७- इस प्रकार नाड़ी शोधन का एक चक्र तब पूरा होता है जब एक नासिका से सांस अंदर लेकर दूसरी से बाहर छोड़ते हैं। एक बार में प्रभावी परिणाम के लिए कम से कम ९ चक्र पूरा करें।
Nadi Shodhan Pranayam in Hindi: नाड़ीशोधन अभ्यास के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
१- सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय स्वसन प्रणाली में प्राकृतिक बदलाव होता है इस समय एक नासिका अधिक चलती है इसलिए इस समय नाड़ी शोधन का अभ्यास वर्जित माना जाता है।
२- नदी शोधन प्रक्रिया में किसी प्रकार का ज़ोर ना लगाएं। जितना संभव हो इसे प्राकृतिक रहने दें। निरंतर अभ्यास से समय अवधि प्राकृतिक रूप से बढ़ने लगेगी।
३- Nadi Shodhan Pranayam in Hindi नाड़ी शोधन के दौरान किसी भी हाल में मुंह से सांस ना लें तथा किसी भी प्रकार की आवाज़ ना करें।
४- नाड़ी शोधन प्राणायाम कभी भी भरे पेट के साथ न करें। सुबह खाली पेट करना ज्यादा प्रभावी होता है। यदि आप दिन के किसी अन्य समय में इसका अभ्यास करना चाहें तो ध्यान रहे कि एक घण्टे पहले से कुछ खाएं या पिएं नहीं।
Nadi Shodhan Pranayama Benefits in Hindi/ NadiShodhan Pranayam Ke Fayde
नाड़ी शोधन प्राणायाम के लाभ
१- नाड़ी शोधन प्राणायाम श्वसन प्रणाली को स्वच्छ कर सम्पूर्ण शरीर को रक्त धमनियों के माध्यम से पोषक तत्व पहुंचाने में मदद करता है।
२- अक्सर लोग अपने दाएं अथवा बाएं किसी एक ही तरफ़ के ब्रेन का प्रयोग करते हैं। नाड़ी शोधन प्रयाम के अभ्यास से दोनों ब्रेन को एक साथ सक्रिय किया जा सकता है।
३- शरीर के तापमान के संतुलन के नाड़ियों को शुद्ध कर शरीर में आक्सीजन प्रवाह में नाड़ी शोधन प्राणायाम मदद करता है।
४- Nadi Shodhan Pranayam in Hindi किसी भी प्रकार के शारीरिक तथा मानसिक तनाव में मुक्त कर मन को शांत तथा वर्तमान में रखता है।
५- रक्तचाप संतुलन में, ह्रदय तथा फेफड़ों सम्बन्धी बीमारियों में Nadishodhan नाड़ी शोधन प्राणायाम विशेष लाभदायक होता है।
६- किसी भी प्रकार के ध्यान अभ्यास के पहले कुछ देर तक नाड़ी प्राणायाम का अभ्यास करने से ध्यान को को अवस्था लंबे समय बाद होती है, जल्दी मिल जाती है।
७- Nadi Shodhan Pranayam in Hindi नाड़ी शोधन प्राणायाम के अभ्यास से किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना, आलस्य दूर होता है। शरीर तथा मस्तिष्क में भरपूर ऊर्जा प्रवाह होने के कारण कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
८- Nadishodhan नाड़ी शोधन प्राणायाम के अभ्यास से मन तनाव रहित तथा ऊर्जावान होने के साथ एकाग्रता में जबरदस्त तेज़ आता है। फलस्वरूप मनुष्य अपने सपनों को पूरा करने में सफलता प्राप्त करता है।
९- शरीर को सारे ज़रूरी तत्व प्रदान कर शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने में नाड़ी शोधन का निरंतर अभ्यास लाभदायक है।
Final Words: उम्मीद है Nadi Shodhan Pranayam in Hindi से संबंधित आपके सारे सवालों के जवाब मिल गए होंगे।
नोट: Nadishodhan प्राणायाम से बीमारियों में लाभ अवश्य होता है किंतु यह किसी भी प्रकार की दवाई का स्थान नहीं ले सकता। अतः यदि आप पहले से कोई दवा ले रहे हैं तो अभ्यास के पहले एक बार चिकित्सक से ज़रूर चेक करें।
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