Nabhi Chakra In Hindi: नाभि चक्र संतुलित करने के 4 तरीके तथा इसके लाभ

Nabhi Chakra In Hindi मानव शरीर अनगिनत छोटे छोटे चक्रों के संतुलित रहने से स्वस्थ रहता है, जिनमें से सात मुख्य चक्र हैं। इन्हीं सातों चक्रों से शरीर के भिन्न भिन्न अंग जुडे़ हुए हैं। शरीर में किसी बीमारी का आरम्भ होना अर्थात उस अंग से सम्बन्धित चक्र का असंतुलित होता है। इन सातों चक्रों के बारे में जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं।

सात चक्र तथा उनके लाभ

आज हम सातों चक्रों में से तीसरे चक्र अर्थात नाभि चक्र  के बारे में विस्तार से जानने वाले हैं।

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What is Nabhi Chakra in Hindi क्या है नाभि चक्र?

Nabhi Chakra in Hindi images


Nabhi Chakra In Hindi क्या कभी ऐसा हुआ है कि बिना किसी बीमारी के आप कमज़ोर, निराश, हतोत्साहित तथा नीरस महसूस करते हैं? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नाभि चक्र में कुछ असंतुलन हो जाता है।

नाभि चक्र शारीरिक प्रक्रियाओं को संतुलित रखने में प्रमुख योगदान करता है। इसे दूसरे शब्दों में मणिपुर चक्र भी कहते हैं। नाभि चक्र शरीर के अमाशय, पित्ताशय तथा पाचन तंत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार है।

Nabhi Chakra In Hindi दूसरे शब्दों में कहूं तो पाचन तंत्र सम्पूर्ण शरीर को प्रभावित करता है इसलिए नाभि चक्र का असंतुलन अनेक शारीरिक समस्याएं उत्पन्न करता है।

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दूसरी ओर, नाभि चक्र से ही मानसिक स्वास्थ्य जैसे कि आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति तथा कार्यक्षमता तथा भावनाओं को नियंत्रण रखने का कार्य भी नाभि चक्र ही करता है। इस चक्र के असंतुलन से नकारात्मक भावनाएं जैसी कि डर, शंका, ईर्ष्या द्वेष मनुष्य को परेशान करने लगती हैं।

Nabhi Chakra Problems in Hindi नाभि चक्र असंतुलित होने से आने वाली समस्याएं

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१- नाभि चक्र में असंतुलन सर्वप्रथम पाचन तंत्र को अस्वस्थ करता है जिसको वजह से अपच, उल्टी, दस्त अथवा कब्ज़ की समस्या होती है।

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२- Nabhi Chakra In Hindi  बिना किसी करना अचानक अस्वस्थ अथवा कमज़ोर महसूस करना भी नाभि चक्र के असंतुलित होने का परिणाम है।

३- पाचन तंत्र के असंतुलन की वजह से सिरदर्द अथवा किसी अन्य एलर्जिक समस्याओं का उत्पन्न होना भी नाभि चक्र के असंतुलन का परिणाम है।

४- दांतों का अचानक पीला होना, आंखों की रोशनी प्रभावित होना अथवा बालों का असमय सफ़ेद होना भी नाभि चक्र के असंतुलन की वजह से होता है।

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५- Nabhi Chakra In Hindi  इच्छाशक्ति अथवा आत्म विश्वास में कमी नाभि चक्र के असंतुलन की वजह से बढ़ने लगता है।

६- मानसिक असंतुलन जैसे कि बिना किसी कारण अथवा छोटी छोटी बातों पर चिंतित रहना तथा अधिक सोचना भी नाभि चक्र के असंतुलित होने का संकेत है।

7- अवसाद, निराशा, चिड़चिड़ापन, थकान तथा कुंठा भी नाभि चक्र के असंतुलन के परिणाम होता है।

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Nabhi chakra Treatment in Hindi नाभि चक्र संतुलित करने के तरीके

नाभि चक्र के असंतुलित होने पर किसी विशेषज्ञ की सहायता से इसे ठीक किया जा सकता है। कुछ प्रचलित घरेलू उपाय जो विशेषकर भारत में प्रचलित है जैसे कि मालिश, लोटे या दीए की सहायता से, नसों को दबाकर अथवा पैरों के धागा बांधकर। किन्तु ये ऐसे तरीके हैं जिसे आप किसी अनुभवी व्यक्ति की मदद से ही करें।

यदि आप स्वयं अपना नाभि चक्र संतुलित करना चाहते हैं तो ध्यान तथा योग की मदद से कर सकते हैं। कुछ विशेष आसान तथा ध्यान विधि जो आपको उचित तथा सजह लगे उसके अभ्यास से नाभि चक्र को संतुलित कर सकते हैं।

Nabhi Chakra In Hindi/ Nabhi Chakra Treatment in Sahajyoga

सहजयोग ऐसी योग विद्या है जिसमें हर बीमारी का इलाज है अर्थात चक्रों के संतुलन करने के सरल तरीके बताए गए हैं।कुछ आसन जिनके नियमित अभ्यास से नाभि चक्र को संतुलित कर सुखी तथा निरोगी जीवन जीया जा सकता है।

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Nabhi Chakra In Hindi नीचे दिए गए चार आसनों को नियमित अभ्यास से उपर्युक्त सभी समस्याओं से जल्दी ही निजात मिलेगी।

१- उत्तानपादासन

ज़मीन पर आसान बिछाकर पीठ के बल सीधा लेट जाएं। दोनों हाथों को शरीर से सटाकर रखें। लंबी गहरी सांस लें तथा सांस को भीतर रोककर रखें।

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नितम्बों के नीचे के अंग जैसे कि पैर तथा ऊपर के अंग अर्थात पेट, छाती तथा सिर को ऊपर उठाएं। मन में दस तक गिनने तक इसी अवस्था में रहें तथा जिस हिस्से पर ज्यादा तनाव महसूस हो ध्यान वहां दें।

फिर आराम से सांसों को धीरे धीरे छोड़ते हुए पहले की स्थिति अर्थात पूरे शरीर को आसन पर लिटा दें।

२- धनुरासन

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धनुरासन Images
Nabhi Chakra In Hindi  अब आसन पर पेट के बल सीधा होकर लेट जाएं। दोनों पैरों को ऊपर की ओर मोड़कर ले जाएं तथा दोनों हाथों से टखने को पकड़ लें। गहरी सांस लें तथा भीतर रोककर रखें।

हाथों से पैरों को खींचे तथा सिर और छाती को ज़मीन से ऊपर उठाएं। शरीर के जिस हिस्से में सबसे अधिक तनाव महसूस हो ध्यान वहां रोककर रखें। फिर धीरे धीरे सांसों को छोड़ते हुए एक एक अंग को ज़मीन पर लाएं तथा आराम की स्थिति में आ जाएं।

३- चक्रासन

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चक्रासन images
आसन पर पीठ के बल लेट जाएं। पैरों को घुटने से मोड़कर एड़ियों को नितम्बों के नीचे तक लाएं। दोनों हाथों को मोड़कर कंधे के पास ले जाएं तथा हथेलियों को ऊपर की ओर खुला रखें। लंबी गहरी सांस ले तथा भीतर रोकें।

Nabhi Chakra In Hindi  पूरे शरीर को ऊपर उठाएं, सिर्फ हथेलियों तथा एड़ियों पर पूरे शरीर का भार रखें तथा शरीर को चक्र का आकार दें।

शरीर के जिस हिस्से में तनाव महसूस हो, ध्यान को वहां ले जाएं, जितनी देर सम्भव हो इस अवस्था में रहें। फिर सांसों को छोड़ते हुए पूरे शरीर को आसन पर आराम की अवस्था में लाएं।

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४- मत्स्यासन

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Picture Credit: https://commons.wikimedia.org/

पद्मासन की अवस्था में बैठकर हाथों का सहारा लेकर शरीर को पीछे की ओर झुकाएं। जब सिर ज़मीन को छूने लगे तो रीढ़ की हड्डियों को सुव्यस्थित कर धनुष का आकार बनाएं। अब पैरों के दोनों अंगूठों को दोनों हाथों से पकड़ लें तथा कुहानियों को ज़मीन से ऊपर रखें। सांसों पर ध्यान दें, कुछ देर इसी अवस्था में रहें। फिर आराम से पद्मासन की अवस्था में शरीर को वापस लाएं।

नोट: Nabhi Chakra In Hindi प्रत्येक आसान के बीच कुछ देर का विराम लें। प्रत्येक सप्ताह आसान का अभ्यास बढ़ाएं जैसे कि पहले हफ्ते एक बार, दूसरे हफ़्ते तीन तथा क्रमशः। योगासन शांत मन से तथा धैर्यपूर्वक करने से ही इच्छित लाभ देता है इसलिए इन आसनों को ध्यानपूर्वक करें। जल्दबाजी में करने से कोई दूसरी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

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अंत में कुछ मिनट के लिए शवासन ज़रूर करें।

Nabhi Chakra Meditation Benefits नाभि चक्र संतुलन के लाभ

नाभि चक्र ध्यान शरीर और मन दोनों के संतुलन का अद्भुत संगम है। निरंतर नाभि चक्र ध्यान करने से अद्भुत लाभ देखने के लिए मिलते हैं। चक्र ध्यान कैसे करें जानने के लिए नीचे लिंक पर जाएं।

Chakra Meditation Benefits in Hindi चक्र ध्यान कैसे करें तथा इसके 7 लाभ

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नाभि चक्र ध्यान के लाभ

१- नाभि चक्र ध्यान अथवा मंत्र जाप से पेट संबंधी बीमारियां जैसे कि अपच, उल्टी, दस्त, कब्ज़ आदि में तुरंत आराम मिलता है।

२- किडनी, लीवर, तथा पाचन तंत्र को सुचारु रूप से चलाने तथा उनके स्वास्थ्य में नाभि चक्र ध्यान लाभदायक है।

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३- Nabhi Chakra In Hindi  इस ध्यान से मायग्रेन, मधुमेह तथा हृदय रोग को ठीक करने में मदद मिलती है। सांसों सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं तथा फेफड़े स्वास्थ्य होते हैं।

४- भावनात्मक असंतुलन काबू करने के लिए नाभि चक्र ध्यान अत्यंत प्रभावी है। किसी भी प्रकार की भावना को आपके मन तथा शरीर पर हावी न होने के लिए नाभि चक्र ध्यान करें।

५- किसी भी प्रकार की मानसिक कमज़ोरी जैसे कि कम आत्मविश्वास, गिल्ट की फीलिंग, अवसाद, निराशा, डर आदि को भगाकर आपको उत्साहित तथा ऊर्जा से भरपूर करने में नाभि चक्र ध्यान सहायक है।

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६- Nabhi Chakra In Hindi  नाभि चक्र ध्यान अथवा मंत्रोच्चार करने से दिशाहीन जीवन को। सही दिशा मिलती है तथा जीवन सुखी तथा शांतिमय हो जाता है।

Nabhi chakra mantra in Hindi  नाभि चक्र मंत्र

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नाभि चक्र का मंत्र “रम” है। इस मंत्र के नियमित कुछ देर तक अभ्यास करने से भी नाभि चक्र संतुलित होता है तथा पेट से सम्बन्धित बीमारियों से मुक्ति तथा पीड़ा से आराम मिलता है।

Final Words: नाभि चक्र शरीर को स्वस्थ रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण रोल निभाता है। अतः किसी भी प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक अवस्था में असंतुलन होते ही सर्वप्रथम नाभि चक्र पर विशेष ध्यान दें।
Nabhi Chakra In Hindi आर्टिकल अच्छा तथा लाभदायक लगा हो तो दूसरों के साथ अवश्य साझा करें।

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