Muladhara Chakra Activation: मूलधारा चक्र की चमत्करी शक्तियां तथा उनके लाभ

Muladhara chakra activation- मूलाधार चक्र जिसे अंग्रेजी में Root Chakra रूट चक्र कहते हैं। इसकी एक्टिवेशन विधि जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि मूलाधार चक्र है क्या तथा इसका आपके जीवन में महत्व क्या है?

Root Chakra Meaning In Hindi

मूलाधार का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है मूल तथा आधार। मूल का अर्थ जड़ तथा आधार का अर्थ नींव होता है। अंग्रेजी में रूट का अर्थ भी जड़ ही होता है।

जिस प्रकार एक वृक्ष की मजबूती उसकी जड़ों पर निर्भर करती हैं, एक इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर होती है ठीक उसी प्रकार हमारे अस्तित्व का जड़ हमारे शरीर में मौजूद रूट चक्र अर्थात मूलाधार चक्र है। दूसरे शब्दों में कहें तो मूलाधार चक्र का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है।

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इसी चक्र से प्राण ऊर्जा जागृत होकर सहस्रार चक्र तक जाती है जिसे दूसरे शब्दों में कुंडलिनी शक्ति भी कहते हैं। कुंडलिनी शक्ति इसी मूलाधार चक्र में सुप्त अवस्था में पड़ी रहती है।

यह चक्र रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से में जननेंद्रिय तथा गुदा के मध्य में स्थित होता है।
जब तक मनुष्य का मूलाधार चक्र शुद्ध नहीं होता तब तक उसका जीवन तामसिक तथा मन विभिन्न आसक्तियों, भ्रमों में फंसा रहता है।

Muladhara Chakra Activation- Muladhara chakra powers

संतुलित तथा सक्रिय मूलाधार चक्र मनुष्य में सकारात्मक ऊर्जा, उत्साह तथा विकास लाने में सहायक होता है। यदि यह अशुद्ध या बंद है तो मनुष्य में नकारात्मक गुण जैसे कि सुस्ती, स्वार्थ तथा भौतिक आसक्तियां ज्यादा प्रबल हो जाती हैं। परिणाम स्वरूप मनुष्य निराश तथा दुखी रहने लगता है।

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इस चक्र का संकेत चित्र चार पंखुड़ियों वाला कमल है। जिसका अर्थ है कि शरीर की चार महत्वपूर्ण नाड़ियों से मिलकर इस चक्र का निर्माण हुआ है। यहां से चार भिन्न ध्वनियों, वम्, शम, सम्, शम का निर्माण होता है जो मस्तिष्क तथा हृदय के भागों में प्रकंपन पैदा करती हैं।

दूसरे शब्दों में, यह चक्र आपके दिल तथा दिमाग पर प्रभावी असर करता है। इसलिए इसका संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है।

कमल के बीच उल्टा त्रिकोण भी मूलाधार चक्र का एक सांकेतिक चिन्ह है। जिसका अर्थ है ब्रह्मांड से आने वाली ऊर्जा नीचे की तरफ प्रवाहित हो रही है।

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इस चक्र का रंग लाल है जो शक्ति का प्रतीक है। शक्ति अर्थात ऊर्जा गति, जागृति तथा विकास। यदि मूलाधार चक्र सक्रिय और संतुलित है तो मनुष्य के जीवन में सकारात्मक प्रगति होती रहती है।

हमारा शरीर पांच तत्व, धरती, पानी, आकाश, हवा, अग्नि से मिलकर बना हुआ है। मूलाधार चक्र पृथ्वी तत्व से जुड़ा हुआ है। सक्रिय होने पर पृथ्वी के सारे गुण मनुष्य के अंदर दिखाई देते हैं।

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Muladhara chakra yoga poses

1- ताड़ासन अर्थात पर्वतासन

हमने देखा मूलाधार चक्र पृथ्वी से जुड़ा हुआ है। ताड़ासन अर्थात पर्वतासन पृथ्वी से आपकी संबंधों को मजबूत करता है आपके शरीर को मन से जोड़कर आपको वर्तमान में जीने की प्रेरणा देता है।

२- वीरभद्रासन

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मूलाधार चक्र के आसपास जितने भी शरीर के अंग हैं जैसे कि घुटने, पैर, कूल्हे इत्यादि, यह आसन उन अंगों को मजबूत करता है। पृथ्वी के साथ आपके संबंधों में दृढ़ता लाता है तथा आपके मूलाधार चक्र को बैलेंस करने में मदद करता है।

३- सेतुबंध आसन अर्थात मुद्रा

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यह मुद्रा आपके पैरों को मजबूती से धरती के साथ जोड़ता है तथा मूलाधार चक्र से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को आपके रीढ़ की हड्डियों में से सुचारू रूप से प्रवाहित करने में मदद करता है।

Muladhara chakra activation in Hindi

इस चक्र को सक्रिय करने के लिए कुछ मुद्राएं उपर्युक्त योगासन, क्रिस्टल तथा कई ध्यान की विधियां है। यदि आप अपने मूलाधार चक्र को सक्रिय अथवा संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं तो इन क्रियाओं के साथ-साथ आपको अपने कर्मों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

कुछ ऐसे कर्म जो आपके इस चक्र को संतुलित करने में या सक्रिय करने में मदद करते हैं। तथा कुछ ऐसे भी कर्म है जो उसे नकारात्मक रूप से प्रभवित कर बंद कर देते हैं।

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Muladhara chakra meditation

मुलधारा चक्र को सक्रिय करने या संतुलित करने के लिए कई विधियां हैं। यहां पर आपको कम समय में करने के लिए एक छोटी सी विधि बता रही हूं।

* कुर्सी पर या जमीन पर आसान बिछाकर आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं। अपनी रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें।

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* ध्यान मुद्रा में ही अपने अंगूठे तथा तर्जनी ऊंगली को मिलाकर हथेलियों को घुटने पर रख,आकाश की तरफ़ खोलें।

* आंखें बंद कर तीन लंबी गहरी सांस लें तथा छोड़ दें। अपना सारा ध्यान पेरेनियम अर्थात जननेन्द्रिय तथा गुदा के बीच केंद्रित करें।

* ध्यान को बिना कहीं भटकाए, गहरी तथा लंबी सांस लें, रोके रखें तथा छोड़ दें।

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* सांसों के आवागम के साथ मूलाधार चक्र के आस- पास हो रही प्रतिक्रिया पर ध्यान दें।

इसके अलावा आप निम्नलिखत विधियों द्वारा भी मूलाधार चक्र को स्वच्छ, सक्रिय तथा संतुलित कर सकते हैं।

१- मंत्र उच्चारण द्वारा भी मूलाधार चक्र को सक्रिय अथवा संतुलित किया जा सकता है।

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२- चक्र विधि के रोज़ाना अभ्यास से यह चक्र आसानी से सक्रिय तथा संतुलित हो सकता है।

३- योगासन द्वारा भी मूलाधार चक्र को सक्रिय अथवा संतुलित किया जा सकता है।

Muladhara chakra activation benefits

जैसा कि हमने देखा कि मूलाधार चक्र पहला तथा सबसे महत्वपूर्ण चक्र है। इसका बंद होना, या गंदा होना, बाकी सारे चक्रों को प्रभावित कर जीवन को नकारात्मक मोड़ दे सकता है। इसको सक्रिय करने से तथा सुचारू रूप से चलने से कई सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं।

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१- सुचारू मूलाधार चक्र से आपकी आंतरिक ज्ञान बढ़ता है।
२- यह चक्र आपकी याददाश्त तथा फोकस को बढ़ाता है।
३- भावनाओं को नियंत्रित कर जीवन में सही फैसले लेने की शक्ति देता है तथा मार्गदर्शन भी करता है।
४- जीवन में शांति तथा प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाता है।
५- किसी भी प्रकार की मानसिक तथा शरीर के निचले हिस्से से संबंधित बीमारियों से बचाता है।
६- रोटी, कपड़ा, मकान अर्थात जीवन की मूलभूत तथा भौतिक आवश्यकताओं की। सुरक्षा प्रदान करता है।
७- किसी भी प्रकार की भूतकाल की परिस्थितियों से निकाल आपको वर्तमान में जीना सिखाता है।

Muladhara chakra activation Mantra

मूलाधार चक्र का मूल मंत्र लम है। इस मंत्र के उच्चारण से शरीर में जिस ऊर्जा का संचार होता है वह मूलाधार को संतुलित करने में मदद करती है।

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Mooladhara chakra activation symptoms

मूलाधार चक्र को सक्रिय करना और संतुलित रखना बिल्कुल भी आसान नहीं है। यदि आप ध्यान, योगासन या मंत्र द्वारा इसे सक्रिय करने की कोशिश कर रहे हैं तो ये इन लक्षणों द्वारा आप अपनी प्रगति जान सकते हैं।

१- आप स्वयं को प्रकृति के प्रति अत्यधिक आकर्षित पाएंगे। भौतिकता से हटकर आपका मन धरातल की तरफ़ खींचने लगता है। साधारण और शांत जीवन व्यतीत करना अच्छा लगता है।

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जैसे किसी पौधे की जड़ धरती के अंदर फैलने लगती है वैसा ही भारीपन आपको महसूस हो सकता है। पृथ्वी तत्व के साथ संबंध के साथ खिंचाव बढ़ जाता है, ऐसे समय में आपको अपने खान पान का खास खयाल रखने की आवश्कता होती है। हल्का खाएं ताकि अपनी ऊर्जा को संतुलित रख सकें तथा हल्का महसूस कर सकें।

२- मूलाधार चक्र की सक्रियता के साथ आपको शरीर के विभिन्न हिस्सों में झुनझुनी या गरमाहट का आभास हो सकता है। जैसा कि यह प्रथम चक्र है तो इसके खुलते ही ऊर्जा अपना स्थान बदलकर पूरे शरीर में फैलने लगती है। इसलिए यह लक्षण मुख्य रूप से पाया जाता है।

३- नींद का स्वरूप बदल सकता है। ऊर्जा जब इस चक्र से ऊपर की ओर प्रवाहित होना शुरू करती है तो अनेक शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन होते हैं। कुछ लोगों को बेचैनी की वजह से जल्दी नींद ना आने की शिकायत हो सकती है। घबराने की आवश्यकता नहीं, जैसे ही ऊर्जा अपना रास्ता खोज लेती है, सब कुछ सामान्य हो जाता है।

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