Mandukasana in Hindi मानव योनि में जन्म लेना मात्र इसलिए सौभाग्य नहीं है कि हमारे पास मस्तिष्क है तथा हम सोच विचार कर सकते हैं। मनुष्य होने का एक लाभ यह भी है कि हम अपने में, बुद्धि, तथा शरीर को जैसे चाहे वैसे सांचे में ढाल सकते हैं।
योग तथा मुद्राएं शरीर तथा मस्तिष्क के व्यायाम एवं स्वास्थ्य के लिए सबसे सरल एवं आसन साधन हैं। व्यायाम अथवा शरीर का आवश्यक परिश्रम ना होने के कारण शारीरिक बीमारियों के साथ मानसिक बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। इस धरती पर पाए जाने वाले सभी जीवों में कुछ ना कुछ ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हमें सीख देते हैं।
प्राचीन काल में ऋषि मुनियों ने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इनके गुणों को अपनाने के लिए आसनों का निर्माण किया। जिनके अभ्यास से ना सिर्फ उनके गुण बल्कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में भी लाभ मिलता है।
हठ योग में शामिल भुजंगासन की तरह मंडूकासन Mandukasana भी शरीर को लचीला बनाने तथा मानसिक स्वास्थ्य को अधिक सुदृढ करता है।
MysticMind के इस लेख में आज हम Madukasana and Its benefits के बारे में विस्तार से जानकारी साझा करेंगे। मुझे पूरी उम्मीद है इससे मिलने वाले लाभों को जानने के बाद आप इसके अभ्यास करने से खुद को नहीं रोक सकेंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि मंडूकासन क्या है तथा इसके नाम में क्या रहस्य छिपा है?
What is Mandukasana in Hindi
पाश्चात्य देशों में Frog Pose के नाम से प्रसिद्ध मंडुकासना संस्कृत के दो शब्दों में मिलकर बना है। मंडूक का अर्थ मेंढक तथा आसन अर्थता बैठने की अवस्थित, इस प्रकार मंडूकासन एक ऐसा आसन है जिसमें शरीर की अवस्था मेंढक के जैसी हो जाती है।
मेंढक के आकर में शरीर को स्थिर कर ने से संपूर्ण पेट का व्यायाम होता है जो शरीर तथा मन दोनों को प्रभावित करता है। मंडूकासन Mandukasana का नियमित अभ्यास अनेकों स्वास्थ्य लाभ देता है। इस आसन के लाभ जानने से पहले देखते हैं कि इसका सही अभ्यास कैसे करें।
How to do Mandukasana in Hindi/ How do You Perform Mandukasana
आसनों का सम्पूर्ण लाभ लेने के लिए Madukasana Steps को अच्छी तरह समझकर सही तरीके से अभ्यास करना आवश्यक है। Mandukasana for Beginners and regular practionar दोनों के लिए एक ही नियमों का पालन आवश्यक है। अंतर सिर्फ़ अभ्यास अवधि में होता है।
१- मंडूकासन के अभ्यास के लिए सर्वप्रथम एक शांत एवं हवादार स्थान का चुनाव करें। चटाई अथवा योगा मैट दोनोंपैरों को घुटने से मोड़कर नितंबों के नीचे करें तथा उसके ऊपर अथवा वज्रासन में बैठ जाएं।
२- लंबी गहरी सांस भरें, सांसों को पेट तक जाते हुए महसूस करें तथा सांसों को अंदर ही रोककर १५ से बीस तक गिनती करें। फिर धीरे धीरे सांसों को मुंह से बाहर छोड़ दें।
३- पांच से छह बार सांसों को भीतर लेकर रोकें फिर छोड़ दें। इस प्रकार ध्यान को वर्तमान में लाएं तथा शरीर को मंडूकासन के लिए तैयार करें।
४- अब दोनों हाथों के अंगूठे को अंदर की ओर मोड़कर उंगलियों से मुट्ठी बांध लें। दोनों मुट्ठियों को नाभि के पास ले जाकर दोनों ओर रख दें।
५- लंबी गहरी सांस लें तथा सांस बाहर छोड़ते हुए सामने की ओर झुकना शुरू करें। ध्यान रहे दोनों मुट्ठी नाभि के पास होने की वजह से झुकते समय पेट पर दबाव पड़ेगा।
६- जितना नीचे तक जा सकते हैं जाएं तथा सांसों को रोककर नज़रें बिल्कुल सामने की और टिकाए रखें। पंद्रह से बीस तक की गिनती मन में गिनें तथा सांस अंदर लें।
७- धीरे धीरे शरीर को ऊपर उठाते हुए सीधे हो जाएं। हाथों को सामान्य करें तथा सांसों को सामान्य होने दें। इस प्रकार मंडूकासन का एक चक्र पूरा हुआ।
८- तीन से पांच चक्र से मंडूकासन का अभ्यास शुरू करें तथा अभ्यास के साथ आने वाले दिनों में नीचे रुकने का समय तथा चक्र की संख्या बढ़ाते जाएं। इस प्रकार अभ्यास से इस आसन के लाभ शीघ्र मिलना शुरू हो जाएगा।
Mandukasana Benefits in Hindi
आइए अब देखते हैं कि What are the benefits of Mandukasana in Hindi?
इस आसन से मिलने वाले अद्भुत लाभ स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य हैं। चलिए इन्हें विस्तार में देखते हैं।
१- हाथों की उंगलियों से सही रूप से मुट्ठी बांधने पर शरीर में पांचों तत्वों का संतुलन होता है जो सभी मुद्राओं के अभ्यास का लाभ प्रदान करता है।
२- नाभि चक्र के असंतुलन से अनेकों शारीरिक दुष्प्रभाव देखने के लिए मिलते हैं। Mandukasana मंडूकासन का नियमित अभ्यास नाभि चक्र को सक्रिय, संतुलित तथा सही स्थान पर रखता है। नाभि सरकने की समस्या से मुक्ति मिलती है।
३- सभी बीमारियों की शुरुआत असंतुलित पाचन प्रक्रिया की वजह से होती है। मंडूकासन का अभ्यास पाचन तंत्र को संतुलित करता है तथा अतिरिक्त हवा को शरीर से बाहर निकाल गैस की समस्या से भी राहत देता है।
४- मंडूकासन Mandukasana के एक चक्रमें ही पेट के सभी अंगों, किडनी, लीवर, के आसपास की ऊर्जा मे आंतों में परिवर्तन होता है। रक्त संचार बढ़ने लगता है, फलस्वरूप सभी अंगों की कार्य प्रक्रिया बढ़ जाती है।
५- मंडूकासन के नियमित पांच चक्रों का अभ्यास अपच, कब्ज तथा अन्य पेट संबंधी बीमारियों को दूर करने में सहायक हैं। फलस्वरूप बवासीर, फिशर आदि की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
६- पाचन तंत्र संतुलित होने से पेट के आस पास की चर्बी कम होने लगती है। इस प्रकार मंडूकासन का अभ्यास मोटापा कम करने में भी अत्यंत लाभकारी है।
७- नीचे झुकते तथा वापस ऊपर उठते समय सीने तथा जांघों पर जोर पड़ता है जिससे जांघों के आस पास की अतिरिक्त वसा जलने लगती है। जो मोटापे के कम करती है।
८- सीने पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण फेफड़ों में जमा गंदगी साफ होती है, रक्त संचार बढ़ता है तथा सांसों संबंधी बीमारियां दूर होने लगती हैं।
९- पाचन तंत्र संतुलित होने तथा फेफड़ों के स्वस्थ होने के कारण हृदय रोग एवं मधुमेह जैसी बड़ी बीमरियों से बचाव होता है। मधुमेह तथा हृदय रोगियों के लिए Mandukasana मंडूकासन रामबाण जैसा आसन है।
१०- मेरुदंड को लचीला बनाने तथा चक्रों को सक्रिय करने में मेरुदंड का विशेष योगदान होताहै। नियमित इस आसान काअभ्यास कुंडलिनी शक्ति को जगाकर इसके सभी लाभों का अनुभव कराता है।
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११- स्त्रियों में अनियमित मासिक एवं मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। रक्त संचार व्यवस्थित होने के कारण स्त्रियों का स्वास्थ्य बेहतर होने लगता है।
१२- मंडूकासन Mandukasana के अभ्यास से रक्त संचार सुचारू होने के साथ सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम होने के कारण मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है। चिंता, अवसाद अथवा किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
१३- कंधे, पीठ, पैर एवं अन्य शारीरिक दर्द से मुक्ति मिलती है तथा बैठने एवं खड़े होने के पोस्चर में भी सुधार होता है। इस प्रकार व्यक्ति के व्यक्तित्व में मंडूकासन चार चांद लगा देता है।
MANDUKASANA PRECAUTIONS सावधानियां
मंडूकासन के अभ्यास के पूर्व कुछ बातों पर विशेष ध्यान दें। सावधानी पूर्ण किया जाय अभ्यास सम्पूर्ण लाभ देता है।
१- पीठ, पेट, कमर अथवा गर्दन में अत्यधिक दर्द अथवा किसी GAMBHEER बीमारी की अवस्था में इस आसन का अभ्यास चिकित्सक की सलाह के बिना न करें।
२- पेट मे अल्सर से परेशान लोग इस आसन का अभ्यास न करें। उच्च रक्तचाप, सिर दर्द अथवा हृदय रोगी योग्य शिक्षक की निगरानी एवं चिकित्सक से सलाह मशवरा लेकर मंडूकासन का अभ्यास करें।
३- गर्भवती एवं गर्भ धारण प्रक्रिया के दौरान Mandukasana मंडूकासन का अभ्यास न करें।
४- अभ्यास के दौरान शरीर के किसी भी अंग में तनाव ना लाएं बल्कि बिल्कुल स्वाभाविक तथा सामान्य तरीके से प्रक्रिया को दोहराएं। ध्यान को कहीं और ना ले जाकर वर्तमान में रखें।
NOTE: Mandukasana Yoga के अभ्यास से पहले वज्रासन, बालासन, धनुरासन तथा उष्ट्रासन का अभ्यास इस आसन के लाभ को दोगुना कर देता है।
FAQS:
१- Is mandukasana Good for Diabetes?
Mandukasana for Diabetes जीहां, बिल्कुल! डायबिटीज़ का मुख्य कारण असंतुलित पाचनतंत्र है। इस आसन का सबसे अधिक लाभ पाचन तंत्र को मिलता है तथा सम्पूर्ण शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। जिसके फलस्वरूप शुगर का स्तर सामान्य होने लगती है। इसलिए डायबिटीज़ के रोगियों के लिए यह आसन उत्तम आसन माना जाता है।
२- Can We Breath During Mandukasana?
नीचे झुकते समय सांसों को बाहर छोड़ने के बाद जब तक नीचे झुकें हैं सांसों को रोककर रखें। इससे शरीर में भरी हुए अतिरिक्त व अनावश्यक गैस बाहर आ जाने से पाचन तंत्र में सुधार आता है। इस दौरान सांस ना लें, जितनी अधिक देर सांसों को रोक कर रख सकते हैं, रोक रखें। ऊपर उठते समय दोबारा सांस भीतर ले सकते हैं।
Final Words: मेरे अनुभव से मंडूकासन सभी के लिए अत्यंत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण आसन है। नियमति अभ्यास एक महीने के अंदर आपको परिवर्तन का अनुभव करा सकता है, इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में अवश्य जोड़ें।
यदि आर्टिकल अच्छा एवं लाभकारी लगे तो दूसरों के साथ साझा कर उनका मार्गदर्शन करें।
भवतु सब्बै मंगलम!