Kapalbhati Yoga Kaise Kare यदि आज मैं आपसे एक सरल सा सवाल करूं कि सुखी जीवन की बेसिक ज़रूरतें क्या हैं? मुझे पूरी उम्मीद है आपका जवाब होगा – रोटी कपड़ा और मकान!
इसमें कुछ गलत नहीं है पर मेरे एक सवाल का जवाब दें, रोटी कपड़ा और मकान के बिना आप कितने दिन ज़िंदा रह सकते हैं?
Kapalbhati Yoga Kaise Kare सांस लिए बिना आप कितनी देर जीवित रह सकते हैं? मेरे हिसाब से तो सबसे आवश्यक सांसें हैं! दुर्भाग्यवश किसी का इस ओर ध्यान नहीं जाता क्योंकि ये मुफ़्त में मिल जाती है! किन्तु जीवन में जितनी परेशानी और बीमारियां हैं उनका कारण यही है कि हम बेसिक चीजों पर ध्यान देना भूल गए हैं।
सुखमय, शांतिमय तथा निरोगी जीवन जीने के लिए ही प्राचीन समय से योग साधना, प्राणायम तथा विभिन्न आसन मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है। ये ऐसी विधियां हैं जो सरल हैं, किन्तु किसी भी बीमारी को ठीक करने की क्षमता रखती हैं।
इन्हीं विधियों में से एक प्रचलित विधि कपालभाति है। आज हम इस विधि को करने के तरीके तथा इससे होने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Kapalbhati Yoga Kaise Kare -What is Kapalbhati कपालभाति क्या है?
कपालभाति ऋषि पतंजलि के हठयोग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सांसों को व्यवस्थित करके शरीर को सुचारु रूप से चलाने के लिए कपालभाति अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरल शब्दों में कहूं तो स्वास प्रणाली का संतुलन करने वाला प्राणायम है।
Kapalbhati Yoga Kaise Kare कपालभाति का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो यह दो शब्दों – कपाल तथा भाति से मिलकर बना है। कपाल का अर्थ सिर अथवा मस्तक होता है तथा भाति अर्थात प्रकाश अथवा बोध। इस प्रकार कपालभाति का छिपा अर्थ देखें तो इस शरीर के चलाने वाले मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का कार्य कपालभाति प्राणायम करता है।
कपालभाति अभ्यास में छोटी छोटी सांसों का बलपूर्वक अभ्यास शामिल है।
Kapalbhati Yoga Kaise Kare/ Types of Kapalbhati
कपालभाति के प्रकार
मुख्य रूप से कपालभाति प्राणायम के तीन प्रकार होते हैं।
१- वातकृपा कपालभाति: इसमें सांसों को रोकना तथा छोड़ने की प्रक्रिया शामिल होती है।
२- विमुक्तकर्म कपालभाति: इसमें जल का प्रयोग किया जाता है। नाक से जल को भीतर लेना तथा मुंह से बाहर निकालने की प्रक्रिया है।
३- शीतकर्म कपालभाति: इसका अभ्यास विमुक्तकर्म के बिल्कुल विपरीत है। मुंह द्वारा जल अंदर लेकर नाक द्वारा बाहर निकालने का अभ्यास किया जाता है।
Kapalbhati Yoga Kaise Kare/ How To Do Kapalbhati in Hindi
कपालभाति कैसे करें
कपालभाति करने से पूर्व कुछ देर तक अनुलोम विलोम करना आवश्यक है। सांसों को रिदम देने के लिए पहले कुछ मिनट तक अनुलोम विलोम करें फिर कपालभाति का अभ्यास करें।
१- पद्मासन सिदधासन अथवा वज्रासन में ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। कुछ लोगों का मानना है कि पद्मासन ज्यादा लाभकारी है। किन्तु आपको जो भी आसान आरामदायक लगे उसका प्रयोग करें। आप कुर्सी पर भी सही तरीके से बैठकर कपालभाति का अभ्यास कर सकते हैं।
२- रीढ़ की हड्डी अर्थात पीठ बिल्कुल सीधी रखें। दोनों हथेलियों को घुटनों पर आकाश की ओर खुला रखें।
३- अनुलोम विलोम के लिए दाहिने हाथ के अंगूठे से अपनी दाईं नासिका को पूरी तरह बंद करें तथा बाईं नासिक से लंबी गहरी सांस लें।
४- सांस भीतर लेने के बाद अनामिका उंगली से बाईं नासिका को भी बंद कर दें।
५- अब दाईं नासिका को खोलकर सांस बाहर छोड़ें। फिर इसी दाईं नासिक से लंबी गहरी सांस लेने के बाद अंगूठे से इसे बंद करें तथा बाईं नासिका से सांस को बाहर छोड़ें।
६- बारी बारी से दोनों नासिकाओं द्वारा सांस भीतर लें तथा छोड़ें। इस प्रक्रिया को ७-१० बार दोहराएं।
Kapalbhati Yoga Kaise Kare: Kapalabhati karne ka tarika बिल्कुल आसान है किन्तु शुरू में कुछ बातों का ध्यान देना आवश्यक है इसलिए स्टेप पर ध्यान दें।
७- Kapalbhati Yoga Kaise Kare अनुलोम विलोम करने के बाद एक मिनट तक आराम की अवस्था में रहें। सांसों को सामान्य होने दें।
८- लंबी गहरी सांस लें तथा उसे पेट में रोक कर रखें। शरीर के सारे अंगों पर ध्यान ले जाएं तथा धीरे धीरे सांस बाहर छोड़ दें। इस प्रकार सम्पूर्ण शरीर ढीला छोड़कर आराम की अवस्था में लाएं।
९- Kapalbhati Yoga Kaise Kare फिर से एक लंबी गहरी सांस लें तथा इस बार सांसों को बाहर छोड़ने में ज्यादा ज़ोर दें। सांसों को अंदर लें तथा पेट को बिल्कुल अंदर लेते हुए झटके से सांस बाहर छोड़ें।
१०- सांस छोड़ते समय नाभि को रीढ़ की हड्डी से मिलाने की कोशिश करें। जब आप सांस को बाहर फेंकते हैं तो फेफड़ों में होने वाली प्रतिक्रिया पर भी ध्यान दें।
११- कपालभाति प्राणायम के एक चक्र में २० बार सांस को बाहर फेंके। एक चक्र पूरा होने के बाद कुछ क्षण का आराम लें।
१२- Kapalbhati Yoga Kaise Kare एक क्रम पूरा होने के बाद शरीर तथा मन में होने वाले बदलाव को आंखें बंद कर ध्यान से देखने की कोशिश करें। उसके बाद दूसरा क्रम शुरू करें।
Kapalbhati benefits in Hindi/ kapalabhati ke fayde/
कपालभाति प्राणायाम के लाभ
जैसा कि मैंने शुरू में ही कहा कपालभाति प्राणायम सुखी तथा शांत जीवन के लिए अमृत समान है। किन्तु बीमारियों आदि में किस प्रकार कपालभाति लाभ देता है वे नीचे है:

१- कपालभाति से सर्वप्रथम स्वास नली स्वच्छ होती है। नाड़ियों को स्वच्छ कर चक्रों को सक्रिय करने में कपालभाति अत्यंत लाभकारी है।
२- कपालभाति के नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र अधिक स्वस्थ होता है। पेट संबंधी बीमारियां जैसे कि अपच, कब्ज़ आदि की शिकायत खत्म हो जाती है।
३- कपालभाति के अभ्यास से संपूर्ण शरीर में रक्त संचार होने के कारण आलस्य दूर होता है तथा व्यक्ति अधिक क्रियाशील हो जाता है। आलस अथवा थकान दूर करने में कपालभाति सहायक है।
४- फेफड़ों में जमा गंदगी को स्वच्छ करने का सबसे सरल तरीका कपालभाति है। सांसों से संबंधित बीमारियां जैसे कि अस्थमा तथा बलगम को समस्या को दूर करने में कपालभाति प्रभावी प्राणायम है।
५- विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने तथा मधुमेह जैसी बीमारियों से बचने के लिए कपालभाति सहायक सिद्ध हुआ है।
६- नाड़ियों में रक्त प्रवाह सुचारू होने की वजह से मस्तिष्क में होने वाली प्रक्रिया में भी सुधार होता है। अतः तनाव, अनिद्रा, अथवा किसी भी मानसिक बीमारी से कपालभाति बचाता है।
७- शरीर में मौजूद पांचों तत्वों को संतुलित करता है परिणामस्वरूप वात, पित्त अथवा अन्य समस्याओं से बचाता है।
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Kapalbhati Yoga Kaise Kare-
कपालभाति करते समय सावधानियां/ ध्यान देने योग्य बातें
१- कपालभाति का अभ्यास किसी भी समय कर सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि आपका पेट बिल्कुल खाली होना चाहिए। यदि आप सुबह के बजाय दोपहर या शाम में करते हैं तो कम से काम एक घंटा पहले से कुछ खाएं या पिएं नहीं।
२- अभ्यास के दौरान यदि आपको घबराहट हो रही है, चक्कर आ रहा है अथवा अन्य कोई शारीरिक असुविधा महसूस हो रही हो तो तुरंत अभ्यास रोक दें।
३- यदि आप पहले से किसी मानसिक समस्या जैसे कि हायपरटेंशन अथवा अवसाद ग्रस्त हैं तो किसी शिक्षक की निगरानी में इसका अभ्यास करें।
Kapalbhati Yoga Kaise Kare/
कपालभाति प्राणायाम किन अवस्थाओं में न करें
कपालभाति एक तेज़ प्राणायाम प्रक्रिया है जिसमे न सिर्फ़ मानसिक बल्कि शारीरिक बल का भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका अभ्यास करने की अनुमति नहीं है।
१- गर्भावस्था तथा मासिक धर्म के दौरान कपालभाति का अभ्यास बिल्कुल नहीं करना चाहिए। प्रसव के कुछ महीनों बाद तक भी इसका अभ्यास ना करें।
२- पेट के किसी भी प्रकार के आप्रेशन के कुछ महीनों बाद तक कपालभाति ना करें। अन्यथा स्टिचेस को नुकसान पहुंच सकता है।
३- रीढ़ की हड्डी में यदि कोई समस्या जैसे कि स्लीप डिस्क अथवा कमर दर्द की अवस्था में कपालभाति का अभ्यास वर्जित है।
४- अशुद्ध वातावरण में जहां की हवा दूषित हो, कपालभाति का अभ्यास बिल्कुल ना करें। दूषित हवा शरीर में जाकर बीमारियां उत्पन्न कर सकती हैं।
Final Words: उम्मीद है Kapalbhati Yoga Kaise Kare का उत्तर मिल गया होगा। चाहे आप कोई भी व्यायाम, योग, ध्यान अथवा मुद्रा का अभ्यास करते हों, कुछ चक्र कपालभाति का अवश्य जोड़ें। आपके अन्य अभ्यास का लाभ दोगुना करने, शरीर को अधिक स्वस्थ तथा मन को शांत करने के लिए सबसे आसान अभ्यास है।
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