सिद्धासन का सही तरीका,लाभ और सावधानियां | How to Do Siddhasana in Hindi

How to Do Siddhasana in Hindi कहते हैं जीवन तभी सफल होता है जब आप जो कुछ भी करते हैं उसमे सम्पूर्ण जी जान लगाकर करते हैं। आपके काम करने की लगन और उसके परिणाम से सिद्ध होता है कि आपने जीवन को सफ़ल बना लिया।

जैसे जीवन में सभी ज्ञान प्राप्त किया किंतु जीवन की गहराइयों को, प्रकृति के नियमों को नहीं जान पाए तो ज्ञान अधूरा रह जाता है उसी प्रकार योगासनों का अभ्यास करने वाले यदि सिद्धासन के बारे में ना जान पाए तो सम्पूर्ण योगाभ्यास अधूरा रह जाता है।

एक योगी महान तभी बनता है जब वह अपने योग में सिद्धि प्राप्त करता है। इन्हीं सिद्धियों की प्राप्ति के लिए सदियों पूर्व से योगी, साधु, महात्मा जंगलों एवं पर्वतों की कंदराओं में निवास करते रहे।

जीवन को बेहतर बनाने के लिए स्वयं पर जीत पाना आवश्यक होता है क्योंकि मनुष्य बाहरी वातावरण से कम अंदरूनी हलचल से अधिक प्रभावित होता है।

अनेक साधनाओं, तपस्याओं तथा अनुभवों के का निचोड़ मिलकर हठयोग बना जिसमें जीवन के हर क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करने की विधि बताई गई है।

हठ योग के अत्यंत महत्वपूर्ण अंग योगासनों में ऐसा ही एक सिद्ध आसन है जिसके अभ्यास से मनुष्य अपने शरीर हो नहीं बल्कि इन्द्रियों पर भी विजय प्राप्त कर सकता है।

योगासनों में सर्वश्रेष्ठ योगासन सिद्धासन को कहा जाता है। यही कारण है कि योगियों का सबसे पसंदीदा आसन ये है। इस अद्भुत आसन के नियमित अभ्यास से कुछ ही दिनों में अनेकों लाभ मिलना शुरू हो जाता है।

सिद्धासन का अभ्यास कैसे करते हैं / How to Do Siddhasana तथा इसके क्या लाभ हैं यह जानने से पहले जानते हैं कि सिद्धासन क्या है तथा इसका क्या अर्थ है?

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What is Siddhasana in Hindi

सिद्धासन संस्कृत के दो शब्द सिद्ध एवं आसन से मिलकर बना है। सिद्ध का अर्थ है सम्पूर्ण और आसन का अर्थ बैठने की मुद्रा। इस प्रकार सिद्धासन ऐसा आसन है जो सम्पूर्ण माना जाता है।

प्राचीन योगियों एवं संतों का पसंदीदा यह आसन उसी तरह से प्रभावी है जैसे ब्रह्मचर्यका बल। एक ऐसा शक्तिशाली एवं सिद्ध आसन है जिसका प्रयोग कर ध्यान अभ्यास को गहरा बनाया जा सकता है।

न सिर्फ़ आध्यामिक प्रगति बल्कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी सिद्धासन अत्यंत प्रभावी आसन है।

आसनों में सर्वश्रेष्ठ सिद्धासन गुप्त साधनाओं को सम्पूर्ण करने तथा उसके अभ्यास को अत्यंत शक्ति शाली बनाने का काम करता है।

सिद्धासन सिद्ध होने के साथ साथ योगासनों, एवं ध्यान का अभ्यास करने वालों के लिए अति आवश्यक आसन भी माना जाता है। अंततः यौगिक एवं आध्यात्मिक क्रियाओं का उद्देश्य सिद्धियां हासिल करना होता है जो सिद्धासन दिलाने में सहायक है।

इससे पहले कि हम इस अद्भुत आसन से मिलने वाले जादुई लाभों के बारे में जाने, देखते हैं How to Do Siddhasana/ सिद्धासन का सही अभ्यास कैसे करते हैं। आसनों का सम्पूर्ण फल तभी मिलता है जब अभ्यास सही रीति से किया जाए।

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How to do Siddhasana in Hindi

नीचे दिए गए Siddhasana Steps in Hindi / How to Do Siddhasana को पूर्ण रूप से अभ्यास करने से इस आसन के सभी लाभ प्राप्त अवश्य प्राप्त होंगे।

१- सिद्धासन, Siddhasana जैसा कि अपने ऊपर पढ़ा एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण एवं गुह्य आसन है इसलिए कोशिश करें कि शुरुआती दिनों में इसका अभ्यास शांत एवं एकांत में करें।

२- How to Do Siddhasana किसी शांत एवम् हवादार स्थान पर एकांत देखकर ज़मीन पर चटाई बिछाएं तथा दंडासन अवस्था में, मेरुदंड बिल्कुल सीधा रख बैठ जाएं।

३- अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर बाईं जांघ से सटाकर रख दें। ऐसा करते हुए ध्यान दें कि दाहिने पैर की एड़ी मूलाधार चक्र को छू रही हो। सिद्धासन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्स यही है कि एड़ी मूलाधार चक्र को स्पर्श करे।

४- How to Do Siddhasana अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने पैर के ऊपर रख दें। इस बार बाएं तलवे दाहिने जांघों से लगाएं तथा एड़ी जननांगों को छुए।

How to do Siddhasana Images

जैसा कि अपने ऊपर पढ़ा इस आसन में एड़ियों का बताएं हुए अंगों से स्पर्श अत्यंत आवश्यक है।

५- How to Do Siddhasana अब दोनों हथेलियों को घुटनों पर रखकर ज्ञान मुद्रा, ध्यान मुद्रा अथवा किसी अन्य मुद्रा में बैठ जाएं।

६- सम्पूर्ण शरीर जैसे कि रीढ़ की हड्डी, गर्दन एवं सिर को बिल्कुल सीधा कर ध्यान दोनों भौहों के बीच टिका दें।

७- जब ध्यान भौहों से भटके तो उसे सांसों पर लाएं तथा सांसों से भटके तो भौहों पर। इस प्रकार दस से पंद्रह मिनट तक सिद्धासन Siddhasana में बैठकर ध्यान का अभ्यास करें।

८- How to Do Siddhasana आप चाहें तो बीच में पैरों की अदला बदली कर सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि कितनी देर तक आप सिद्धासन का अभ्यास करते हैं, जितनी अधिक देर तक करेंगे उतनी ही जल्दी परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे।

उम्मीद है अब आपके How to Do Siddhasana का जवाब मिल गया होगा। यदि अभी भी कोई सवाल हो तो कॉमेंट बॉक्स में सवाल कर सकते हैं। आइए अब देखते हैं कि यदि सिद्धासन का नियमित आधे घंटे अभ्यास किया जाए तो इसके क्या लाभ मिलेंगे।

Benefits of Siddhasana in Hindi/ Siddhasana Benefits in Hindi

जैसा कि ऊपर अपने देखा यह आसन सभी आसनों में श्रेष्ठ एवं सिद्ध है, इसलिए इसके अभ्यास से मनुष्य में जादुई परिवर्तन होने लगता है।

१- सिद्धासन Siddhasana में बैठकर किया गया अभ्यास किसी भी यौगिक अथवा तांत्रिक साधना को जल्दी से सिद्ध करने में मदद मिलती है।

२- इस आसन में लंबे समय तक बैठने से प्राण ऊर्जा का संचार संपूर्ण शरीर में बढ़ जाता है जिससे मांस पेशियां स्वस्थ होने के साथ शरीर अधिक ऊर्जावान बन जाता है।

३- एक सिद्धासन का अभ्यास जालंधर बंध, मूलबंध एवं उड्डियान बंध, तीनों का लाभ एक साथ देता है।

४- सिद्धासन Siddhasana का अभ्यास तामसिक आदतों एवं अन्य विकारों पर काबू पाने में मदद करता है एवं व्यक्ति के मन में शांति एवम् आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह करता है।

५- मूलाधार चक्र पर इस आसन का सर्वाधिक प्रभाव पड़ने के कारण मूलाधार चक्र स्वच्छ एवं संतुलित होने लगता है। मूलाधार चक्र के सक्रिय होने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होने लगते है।

मूलाधार चक्र के सक्रिय होने से मिलने वाले लाभ

६- सिद्धासन Siddhasana का नियमित अभ्यास शरीर की मुख नदियों इड़ा एवं पिंगला के साथ अन्य सभी नदियों को स्वच्छ कर सांस संबंधी बीमारियों को दूर करता है। रक्त संचार बढ़ता है एवं कुंडलिनी शक्ति जागृत करने में मदद मिलती है।

७- कब्ज, थकान, अनिद्रा एवं पर संबधी विकारों को दूर करने में सिद्धासन का नियमित अभ्यास अत्यंत सहायक है। इसके साथ बवासीतथा फिशर जैसी समस्याओं को दूर कर शरीर को स्वस्थ एवं त्वचा को जवान तथा चमकदार बनाता है।

८- हृदय रोग, क्षय रोग, पुराना बुखार, शुक्र क्षय, वीर्य विकार,को दूर कर शरीर को रोग प्रतिकार शक्ति आसानी से बढ़ाने में सिद्धासन अत्यंत उपयोगी आसन है।

Siddhasana Precautions सिद्धासन अभ्यास में सावधानियां

आसनों के अभ्यास में छोटी सी गलती अथवा असावधानी शरीर पर विपरीत प्रभाव डालती है। इसलिए सिद्धासन Siddhasana अभ्यास में निम्न बातों पर अवश्य ध्यान दें।

१- जोड़ों के दर्द, कमर दर्द अथवा हड्डियों की कोई अन्य बीमारी की अवस्था में अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें।

२- गुदा एवं जननांगों में किसी भी प्रकार की बीमारी की अवस्था में डॉक्टर की सलाह से के साथ योग्य शिक्षक की निगरानी में ही सिद्धासन का अभ्यास करें।

३- मेरुदंड, गर्दन अथवा कमर की हड्डी में कोई समस्या होने पर सिद्धासन Siddhasana का अभ्यास ना करें। अथवा चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें।

४- जितनी देर सिद्धासन में आसानी से बैठ सकते हैं उतनी ही देर बैठें। शरीर के साथ किसी भी प्रकार की खींचा तानी अथवा जोर जबरदस्ती ना करें।

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सिद्धासन Siddhasana अभ्यास में ध्यान रखने योग्य अन्य महत्वपूर्ण बातें

१- सिद्धासन का अभ्यास खाली पेट तथा योगासनों के अभ्यास के अंत में ही करें।

२- सुबह सूर्योदय पूर्व अथवा अमृतवेला में किया गया सिद्धासन Siddhasana का अभ्यास अनेकों शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। अतः संभव हो तो इसी बात इस आसन का अभ्यास करें।

३- यदि सिद्धासन Siddhasana की मदद से किसी यौगिक क्रिया को सिद्ध करने की कोशिश कर रहे हों तो इसके बारे में किसी को ज्ञात न होने दें तथा अपनी साधना को गुप्त रखें।

Final Words: उम्मीद है इस लेख में आपके सवाल How to Do Siddhasana के साथ Siddhasana से संबंधी सभी जानकारियां मिल गई होंगी।

अपनी दिनचर्या में कुछ समय निकलकर सिद्धासन का अभ्यास अवश्य करें। इक्कीस दिन में ही आपको इसके लाभ दिखने शुरू हो जाएंगे।

लेख अच्छा लगा हो तो दूसरों के साथ साझा कर उनका मार्ग दर्शन करें।

भवतु सब्बै मंगलम!

 

 

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