Hindi Spiritual Story: जीवन को सही राह दिखाने वाली 2 सच्ची कहानियाँ

Hindi Spiritual Story क्या आपको लगता है कि आप बेहतर जीवन जी सकते हैं किन्तु तक़दीर आपका साथ नहीं दे रही है? या आपको लगता है ईश्वर आपके ख़िलाफ़ रहता है इसलिए आपके साथ बुरा होता ही?

ऐसी दो Hindi Spiritual Story/ हिंदी अध्यात्मिक कहानियां आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं जो आपके जीवन को एक नया मोड़ दे सकती हैं।

इन अध्यात्मिक कहानियों को सिर्फ कहानी समझकर पढ़ने के बजाय इनमें निहित संदेश पर ध्यान दिया जाए, तो ये जीवन परिवर्तन कर सकती हैं।

अपने जीवन के स्तर को ऊपर उठाने का सबसे सहज तरीका पढ़ना है। पढ़ने से भी महत्वपूर्ण यह है कि आप क्या पढ़ते हैं? मेरा मानना है कि ऐसे लेख तथा कहानियां पढ़िए जो आपको उत्साहित करे, आपके जीवन को ऊंचा उठाने में सहयोग दे। आपके मन बुद्धि को तीव्र तथा कलात्मक तरीके से बढ़ाए।

आप जो कुछ भी पढ़ते हैं या देखते हैं आपके अवचेतन मन के लिए एक संदेश होता है और वह उन्हीं परिस्थितियों को आपके जीवन में लाता है। Hindi Spiritual Story

वचेतन मन क्या है, कैसे काम करता है तथा इसकी शक्तियां क्या है इसके बारे में मैंने पहले ही विस्तार से लिखा है। नीचे दिए लिंक पर जाकर आप पढ़ सकते हैं। अपने mind को कैसे train कर सकते हैं, सरल तरीके भी दिए हैं।

Subconscious Mind in Hindi: 7 Easy Ways to Activate Its Power

चलिए, पहले हम अपनी पहली Hindi spiritual story कहानी पढ़ते हैं।

Spiritual story of Inspiration in Hindi- Hindi spiritual story 1

पाश्चात्य जगत के एक मशहूर लेखक भारत घूमने के लिए आए हुए थे। अक्सर विदेशी एक बार में सारा भारत भ्रमण कर लेना मुनासिब समझते हैं। बात उन दिनों की है जब सुप्रसिद्ध बालाजी का मंदिर निर्माण कार्य चल रहा था।

लेखक निर्माण कार्य देखने के लिए वहां चले जाते हैं। Hindi Spiritual Story

कुछ मज़दूर उनको पत्थर तोड़ते हुए दिखे। मजदूरों को काम करते देख उनके मन में उनसे बात करने की जिज्ञासा जगी। उन्होंने पास जाकर एक मजदूर से पूछा,” भाई क्या कर रहे हो?”

“अंधे हो? दिखाई नहीं देता क्या कि पत्थर तोड़ रहा हूं? इतनी मेहनत के बाद भी सेठ बस थोड़े से पैसे देता है!” उसने गुस्से से उत्तर दिया और नज़र फेरकर पत्थर तोड़ने में लग गया।

लेखक वहां से जाने लगे। थोड़ी दूर पर उन्हें दूसरा मज़दूर दिखा, वह भी पहले की भांति पत्थर ही तोड़ रहा था। ना जाने क्या सोचकर लेखक ने उसके पास जाकर पहले वाला सवाल फिर से दोहराया।

उसने लेखक की तरफ़ देखा तथा सरलता से उत्तर दिया,” जीविका चलाने के लिए काम तो करना पड़ता है साहब। बस वही कर रहा हूं।” Hindi Spiritual Story

लेखक जवाब सुनकर आगे बढ़ गए, किन्तु उनके मन में एक सवाल कौंधने लगा। काम तो दोनों एक ही कर रहे थे, किन्तु जवाब दिन का तरीका इतना भिन्न क्यों था?

थोड़ी दूर पर उन्हें एक तीसरा मज़दूर पत्थर तोड़ते हुए दिखता है।

इस बार लेखक की जिज्ञासा उसका उत्तर जानने में सबसे अधिक थी। उन्होंने पास जाकर अपना सवाल दोहराया। Hindi Spiritual Story

मजदूर ने काम करना बंद किया। उसने मंदिर के गुंबद की तरफ़ एक नज़र डाली और मुस्कुराते हुए कहा, “ईश्वर के गृह (मंदिर) निर्माण में अपना योगदान दे रहा हूं साहब।”

Hindi Spiritual Story/ MysticMind

इस बार लेखक जवाब सुनकर भौचक्का रह गया। उसे तो प्रतिक्रिया जाननी थी किन्तु काम करने का इतना भिन्न नज़रिया उसके लिए नया था।

वह विदेशी लेखक अपने देश वापस चला गए। अपने किताब में उन्होंने लिखा कि काम यदि बोझ समझकर करोगे तो भारी किन्तु सेवा समझकर करोगे तो खुशी देता है।

कुछ सालों बाद लेखक दोबारा भारत भ्रमण के लिए आते हैं। मज़दूरों से दोबारा मिलने कि उत्सुकता में वह बालाजी दर्शन हेतु चले जाते हैं। Hindi Spiritual Story

उन्होंने आस पास हर जगह उन्हें खोजना शुरू किया। कुछ ही दिनों में पास में बन रही नई इमारत के पास काम करते हुए पहला मज़दूर उन्हें दिख गया। उसी हालत में मेहनत कर रहा था बस उम्र थोड़ी ढल गई थी।

उन्होंने आस पास बाकी के दो मजदूरों की खोज की। किन्तु वे कहीं नहीं दिखे। कुछ दिन खोजने के बाद उन्हें किसी शहर के किसी सेठ की काफ़ी चर्चा सुनी। उत्सुकतावश उस शहर से कुछ लेने के लिए वे उसकी दुकान पर जा पहुंचे। Hindi Spiritual Story

वहां जाकर लेखक चौंक उठा। सेठ कोई और नहीं बल्कि वह दूसरा मज़दूर था जिसने कहा था कि जीविका चलाने के लिए काम तो करना पड़ता है।

लेखक ने लिखा कि वह मज़दूर आज पहले से बेहतर जीवन जी रहा था किन्तु मेहनत पहले जैसी ही कर रहा था। अब तीसरे मज़दूर से मिलने की उत्सुकता में लेखक पूरा शहर छान मेरा किन्तु वह कहीं नहीं दिखा।

जब वह वापस जाने की तैयारी कर रहा था तो किसी ने उनसे कहा, आज तो मंदिर के महंत जी आने वाले हैं, उनके दर्शन बड़े दुर्लभ हैं। उनसे मिलकर फिर जाइए। लेखक रुक गए।

शाम को जब महंत जी ने मिलने गए तो यह देखकर चौंक गए कि महंत जी कोई और नहीं बल्कि वह तीसरा मज़दूर था जो काम को ईश्वर की सेवा समझकर कर रहा था। Hindi Spiritual Story

Hindi Spiritual Story/ Moral Stories

लोगों ने उसकी श्रृद्धा, ईमानदारी तथा लगन देखकर उसे मंदिर का महंत बना दिया।

Moral Of The Story: कर्मो के साथ ईश्वर आपकी भावना देखता है। जिस भावना के साथ आप काम करते हैं उसी के अनुसार फल और उम्मीद से अधिक इनाम आपको मिलता है।

Adhyatmik story in Hindi/ Hindi Spiritual Story २फूलवाला भिखारी

महाराष्ट्र के नासिक तथा मुंबई शहर के बीच एक खूबसूरत जगह हैं, जो इगतपुरी के नाम से जग प्रसिद्ध है। इस जगह को खासकर विपासना/विपश्यना ध्यान केंद्र के लिए जाना जाता है। इसके बारे के अधिक जानने के लिए पढ़ें।

कुछ सालों पहले एक भिखारी इसी स्टेशन पर भीख मांगकर अपनी जीविका चलाता था। जब भी इस स्टेशन से कोई रेलगाड़ी गुजरती, वह उसमें चढ़ जाता था। रेलगाड़ियों में अक्सर ऐसे लोग देखने के लिए मिल ही जाते हैं। ज्यादातर लोग तो उसे आगे जाने के लिए कहकर नकार देते थे, किन्तु कुछ लोग उसे दो – चार रुपए दे दिया करते थे।

Hindi Spiritual Story इस प्रकार हर दिन ५००- १००० रुपए वह आसानी से इकट्ठा कर लेता था। उसने इसे ही अपना धंधा समझकर जीना अपनी तक़दीर मान लिया था।

एक दिन जब वह रेलगाड़ी में भीख मांग रहा था। उसकी नज़र एक सूट- बुट पहने व्यक्ति पर पड़ी, जो अखबार पढ़ने में व्यस्त था। उस देखकर आसानी से अनुमान लगाया जा सकता था कि कोई रईस आदमी है।

उम्मीद का दामन पकड़े भिखारी उसके पास गया तथा हाथ फैलाकर बोला, “साहब, कुछ से दीजिए!”
उस व्यक्ति ने उसकी तरफ़ गौर से देखा और पूछा,” मैं एक व्यापारी हूं, यदि मैं कुछ देता हूं तो बदले में कुछ चाहता भी हूं। तुम्हारे पास मुझे देने के लिए क्या है?” Hindi Spiritual Story

” माफ़ करना साहब, मैं तो खुद मांग कर अपना जीवन यापन कर रहा हूं, मैं भला आपको क्या से सकता हूं।”

“यदि तुम मुझे कुछ नहीं दे सकते तो मैं तुम्हे कुछ नहीं दे सकता।” उस व्यक्ति ने खड़े होते हुए कहा। गाड़ी रुकी और वह चला गया।

भिखारी के मन में एक सवाल था जो चलने लगा “क्या अमीर लोगों से कुछ लेने के लिए उन्हें कुछ देना पड़ता है? मैं उन्हें क्या दे सकता हूं?”

प्रतिदिन की भांति वह भीख मांगता किन्तु उसके दिमाग में यह एक सवाल गूंजता रहता। कई दिन गुज़र गए।

एक दिन जब वह भोजन के लिए स्टेशन के पास, बगीचे में बैठकर भोजन कर रहा था, उसकी नज़र बाग में खिले फूलों पर पड़ी। उसके दिमाग में एक विचार कौंधा तथा वह खुशी से झूम उठा।

अगले दिन से वह अपने साथ कुछ ताज़े खिले फूल रखता। जब भी कोई उसे एक- दो रुपए दे देता, वह बदले में उन्हें फूल दे देता। लोग फूल पाकर खुश हो जाते थे। उसकी रोज़ की कमाई १००० से बढ़कर २००० तक हो गई थी। उस इस काम में और मज़ा आने लगा।

Spiritual and moral stories in Hindi एक दिन उसकी नज़र फिर से उस व्यक्ति पर पड़ी, जो पहले की ही भांति कोने में बैठा अख़बार पढ़ रहा था। वह उसके पास गया और हाथ आगे बढ़ते हुए बोला, ” साहब, कुछ तो से दीजिए , आज आपको देने के लिए मेरे पास ये फूल हैं।”

व्यक्ति मुस्कुराया और बोला,” अरे वाह, तुम तो अब मेरी तरह व्यापारी बन गए हो!”

जेब से दस रुपए का नोट निकालकर उसके हाथ में रख दिया। स्टेशन पर गाड़ी रुकी और व्यक्ति चला गया।

भिखारी के मन में दोबारा उसके विचार उधम मचाने लगे। “तुम तो मेरी तरह व्यापारी बन गए हो”

कुछ महीने बीत गए किन्तु उस भिखारी का अता पता नहीं था। उसके अद्भुत तरीके से भीख मांगने (भीख के बदले फूल) की वजह से वह सबकी नज़र में आ गया था।

Spiritual short story in Hindi- कुछ महीनों बाद, उसी स्टेशन पर सूट बुट पहने दो व्यक्ति आपस में टकरा गए।

Hindi Spiritual Story/ Moral Stories

” साहब, क्या आपने मुझे पहचाना?”
“नहीं, शायद हम पहली बार मिल रहे हैं।” दूसरे व्यक्ति ने याद करने की कोशिश करते हुए कहा।
“नहीं साहब, हम आज तीसरी बार मिल रहे हैं।” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

Spiritual and moral stories in Hindi “अच्छा, पहली दो बार हम कब मिले थे?” उत्सुकता वश उस व्यक्ति ने पूछा।
” क्या आपको याद है, कुछ महीनों पहले इसी जगह आपने एक भिखारी को यह कहकर कुछ नहीं दिया था कि उसके पास बदले में आपको देने के लिए कुछ नहीं है? दूसरी बार इसलिए दिया थे क्योंकि उसने बदले में आपको कुछ फूल दिए थे।”

“हां, याद आया!” कहते हुए वह इधर उधर देखने लगा, शायद उसकी नज़र भिखारी को खोजने लगी थी।
“मैं वही भिखारी हूं साहब। मैंने फूलों का व्यापार करना शुरू कर दिया। मैं किसानों के पास से फूल खरीदकर उसे शहर में ले जाकर बेच देता हूं।” उसके जुड़े हुए दोनों हाथ और होठों पर बिखरी मुस्कान मानों दुआओं के साथ उसे कोटि कोटि धन्यवाद दे रही थीं।

व्यापारी ने मुस्कुराते हुए उसकी पीठ ठोकी और दोनों अपने रास्ते चले गए।

Moral of The Story: तक़दीर बदलने के लिए बाद एक फैसला और मन में उस फैसले को सच करने की लगन काफ़ी होती है। तकदीर की चाबी आपके पास ही है। जब आप तक़दीर बदलने के लिए तैयार होते हैं, तो ईश्वर किसी न किसी के जरिए संदेश भेज ही देता है।

Final Words: उम्मीद है अपने इन  Hindi Spiritual Story से ज़रूर कुछ ना कुछ जीवन में उपयोग होने जैसी बात सीखी होगी। यदि आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो हमें कॉमेंट करके बताइए और दूसरों के साथ ज़रूर साझा करें।

 

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