Ganesh Atharvashirsha in Hindi: सनातन पंरपरा में श्रीगणेश जी को प्रथम देवता के तौर पर प्रतिस्थापित किया गया है. श्री गणेश भगवान विध्न विनाश और सभी दुखों को हरने वाले भगवान हैं. समस्त देवताओं में श्री गणेश जी का सबसे विशिष्ट महत्व है.
यही वजह है कि हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य, किसी अनुष्ठान और उत्कृष्टतम कार्य प्रयोजन के पूर्व भगवान गणेश की आराधना की जाती है. उनके पूजन, अर्चन और वंदन से समस्त प्रकार के विध्न दूर होते हैं और कार्य संपूर्ण हो जाते हैं.
गणेश उत्सव के 10 दिनों में भगवान गणेश के भक्त उनकी निरंतर आराधना करते हैं. भक्तगण तरह तरह के अनुष्ठान, मंत्र और विधियों से उनकी आराधना करते हैं.
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अनेकों प्रकार के जाप, पाठ, श्लोक एवं स्तोत्र के माध्यम से भगवान श्री गणेश जी का पूजन अर्चन होता है.
मान्यता है कि इन सभी पाठों में से गणेश अथर्वशीर्ष पाठ भगवान श्री गणेश जी को बेहद प्रिय होता है. गणेश अथर्वशीर्ष पाठ बेहद मंगलकारी होता है.
शुद्ध अंतःकरण एवं श्रद्धा भावना से गणेश अथर्वशीर्ष पाठ करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को तमाम विध्नों से बचाते हैं.
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गणेश अथर्वशीर्ष पाठ के लाभ | Benefits Of Ganesh Atharvashirsha in Hindi
- गणेश अथर्वशीर्ष पाठ को नियमित रुप से करने से तन और मन की आंतरिक शुद्धि होती है.
- गणेश अथर्वशीर्ष पाठ करने से सकारात्मकता आती है.
- गणेश अथर्वशीर्ष पाठ करने से न सिर्फ शारीरिक और मानसिक मजबूती आती है.
- गणेश अथर्वशीर्ष पाठ से मन स्थिर होता है जिससे निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है. यह जीवन में उतरोत्तर सफलता प्राप्त कराती है.
- गणेश अथर्वशीर्ष के नियमित पाठ से शरीर के अंदर से तमाम विषैले तत्व बाहर आ जाते हैं और चेहरे पर कांति आती है.
- गणेश अथर्वशीर्ष पाठ से मन की चंचलता समाप्त होती है. जीवन में स्थिरता का भाव पैदा होता है. इस वजह से एकाग्रता बढ़ती है और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है.
- चूंकि भगवान श्री गणेश जी को विध्न विनाशक कहा जाता है.
- इस वजह से गणेश अथर्वशीर्ष पाठ करने से तमाम तरह के कार्य प्रयोजनों में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
श्री गणेश अथर्वशीर्ष पाठ कैसे करें | How To Chant Ganesh Atharvashirsha in Hindi
#1 सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने के लिए किसी पूजा या अनुष्ठान की जरुरत नहीं पड़ती.
#2 आप चाहें तो बिना किसी प्रतिमा या तस्वीर के भी गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ कर सकते हैं.
#3 महिलाओं के लिए भी ये पाठ बेहद शुभ फलदायक होता है लेकिन माहवारी के दौरान गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने से बचना होगा.
#4 गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने से पूर्व स्नानादि से निवृत हो लें. पाठ करने के लिए किसी भी ऐसे स्थान का चयन कर लें, जो शुद्ध हो और जहां पर सात्विक माहौल हो. मन को शांत कर लें तत्पश्चात ही पाठ की शुभारंभ करें.
#5 गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें कि आप की रीढ़ एकदम सीधी रहे.
#6 वैसे तो नियमानुसार गणेश अथर्वशीर्ष पाठ रोजाना करना चाहिए किंतु प्रत्येक महीने में आने वाले विशेष दिनों जैसे संकष्टी चतुर्थी के दिन संध्या वेला में 21 पाठ करना चाहिए.
#7 अगर गणेश अथर्वशीर्ष के पाठ के साथ साथ एक माला ओम गं गणपतये नमः का भी जाप किया जाए तो यह मंगलकारी होता है.
श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ हिंदी में अर्थ सहित | Ganesh Atharvashirsha in Hindi
श्री गणेशाय नमः
ॐ भद्रं कर्णेभि शृणुयाम देवा:। भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।।
स्थिरै रंगै स्तुष्टुवां सहस्तनुभि:। व्यशेम देवहितं यदायु:।1।
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:। स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:।
स्वस्ति न स्तार्क्ष्र्यो अरिष्ट नेमि:।। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।2।
ॐ शांति:। शांति:।। शांति:।।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष
ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि
त्वमेव केवलं कर्ताऽ सि
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि
त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम्।।1।।
Ganesh Atharvashirsha in Hindi- हिंदी अर्थ : ओंकारापति भगवान गणेश आपको नमस्कार है. हे भगवान गणेश, आप प्रत्यक्ष तत्व हो, आप ही केवल कर्ता हो, आप ही केवल धर्ता हो. आप ही केवल हर्ता हो.
निश्चित रुप से आप इन सब रुपों में विराजमान ब्रह्म हो. आप साक्षात नित्य आत्मस्वरुप हो.
ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि।।2।।
हिंदी अर्थ: मैं ऋत न्याययुक्त बात कहता हूं. सत्य कहता हूं.
Ganesh Atharvashirsha in Hindi
अव त्व मां। अव वक्तारं।
अव श्रोतारं। अव दातारं।
अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं।
अव पश्चातात। अव पुरस्तात।
अवोत्तरात्तात। अव दक्षिणात्तात्।
अवचोर्ध्वात्तात्।। अवाधरात्तात्।।
सर्वतो मां पाहि-पाहि समंतात्।।3।।
हिंदी अर्थ: हे पार्वतीनंदन… मैं तुम्हारा शिष्य हूं, मेरी रक्षा करो. आचार्य की रक्षा करो. श्रोता की रक्षा करो. दाता की रक्षा करो. धाता की रक्षा करो. व्याख्याता आचार्य की रक्षा करो.
पूर्व से, उत्तर से, दक्षिण से, उपर से, नीचे से रक्षा करो. हर ओर से मेरी रक्षा करो. चारों ओर से मेरी रक्षा करो. हे पार्वतीनंदन…
मैं तुम्हारा शिष्य हूं, मेरी रक्षा करो. आचार्य की रक्षा करो. श्रोता की रक्षा करो. दाता की रक्षा करो. धाता की रक्षा करो. व्याख्याता आचार्य की रक्षा करो. पूर्व से, उत्तर से, दक्षिण से, उपर से, नीचे से रक्षा करो.
हर ओर से मेरी रक्षा करो. चारों ओर से मेरी रक्षा करो.
त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मय:।
त्वमानंदमसयस्त्वं ब्रह्ममय:।
त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽषि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्माषि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽषि।।4।।
Ganesh Atharvashirsha in Hindi- हिंदी अर्थ: तुम वाङ्मय हो, चिन्मय हो. तुम आनंदमय हो. तुम ब्रह्ममय हो. तुम सच्चिदानंद अद्वितीय हो. तुम प्रत्यक्ष ब्रह्म हो. तुम दानमय विज्ञानमय हो.
सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते।
सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।
सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति।
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभ:।
त्वं चत्वारिकाकूपदानि।।5।।
हिंदी अर्थ: यह जगत तुमसे उत्पन्न होता है. यह सारा जगत तुममें लय को प्राप्त होगा. इस सारे जगत की तुममें प्रतीति हो रही है.
तुम भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश हो. परा, पश्चंती, बैखरी और मध्यमा वाणी के ये विभाग तुम्हीं हो.
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Ganesh Atharvashirsha in Hindi
त्वं गुणत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत:। त्वं कालत्रयातीत:।
त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यं।
त्वं शक्तित्रयात्मक:।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं
रूद्रस्त्वं इंद्रस्त्वं अग्निस्त्वं
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं
ब्रह्मभूर्भुव:स्वरोम्।।6।।
Ganesh Atharvashirsha in Hindi- हिंदी अर्थ: तुम सत्व, रज और तम तीनों गुणों से परे हो. तुम जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति इन तीनों अवस्थाओं से परे हो.
तुम स्थूल, सूक्ष्म औ वर्तमान तीनों देहों से परे हो. तुम भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों से परे हो. तुम मूलाधार चक्र में नित्य स्थित रहते हो. इच्छा, क्रिया और ज्ञान तीन प्रकार की शक्तियाँ तुम्हीं हो. तुम्हारा योगीजन नित्य ध्यान करते हैं.
तुम ब्रह्मा हो, तुम विष्णु हो, तुम रुद्र हो, तुम इन्द्र हो, तुम अग्नि हो, तुम वायु हो, तुम सूर्य हो, तुम चंद्रमा हो, तुम ब्रह्म हो, भू:, र्भूव:, स्व: ये तीनों लोक तथा ॐकार वाच्य पर ब्रह्म भी तुम हो.
गणादि पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।
अनुस्वार: परतर:। अर्धेन्दुलसितं।
तारेण ऋद्धं। एतत्तव मनुस्वरूपं।
गकार: पूर्वरूपं। अकारो मध्यमरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्यरूपं। बिन्दुरूत्तररूपं।
नाद: संधानं। सँ हितासंधि:
सैषा गणेश विद्या। गणकऋषि:
निचृद्गायत्रीच्छंद:। गणपतिर्देवता।
ॐ गं गणपतये नम:।।7।।
हिंदी अर्थ: गण के आदि अर्थात ‘ग्’ कर पहले उच्चारण करें. उसके बाद वर्णों के आदि अर्थात ‘अ’ उच्चारण करें. उसके बाद अनुस्वार उच्चारित होता है.
इस प्रकार अर्धचंद्र से सुशोभित ‘गं’ ॐकार से अवरुद्ध होने पर तुम्हारे बीज मंत्र का स्वरूप (ॐ गं) है. गकार इसका पूर्वरूप है. बिन्दु उत्तर रूप है.
नाद संधान है. संहिता संविध है. ऐसी यह गणेश विद्या है. इस महामंत्र के गणक ऋषि हैं. निचृंग्दाय छंद है.
श्री मद्महागणपति देवता हैं. वह महामंत्र है-
ॐ गं गणपतये नम:
एकदंताय विद्महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात।।8।।
Ganesh Atharvashirsha in Hindi- हिंदी अर्थ: एक दंत को हम जानते हैं. वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं. वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें. यह गणेश गायत्री है.
Ganesh Atharvashirsha in Hindi
एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम्।
रदं च वरदं हस्तैर्विभ्राणं मूषकध्वजम्।
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।
रक्तगंधाऽनुलिप्तांगं रक्तपुष्पै: सुपुजितम्।।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्।
आविर्भूतं च सृष्टयादौ प्रकृते पुरुषात्परम्।
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वर:।।9।।
हिंदी अर्थ: एकदंत चतुर्भज चारों हाथों में पाक्ष, अंकुश, अभय और वरदान की मुद्रा धारण किए तथा मूषक चिह्न की ध्वजा लिए हुए, रक्तवर्ण लंबोदर वाले सूप जैसे बड़े-बड़े कानों वाले रक्त वस्त्रधारी शरीर प रक्त चंदन का लेप किए हुए रक्तपुष्पों से भलिभाँति पूजित।
भक्त पर अनुकम्पा करने वाले देवता, जगत के कारण अच्युत, सृष्टि के आदि में आविर्भूत प्रकृति और पुरुष से परे श्रीगणेशजी का जो नित्य ध्यान करता है, वह योगी सब योगियों में श्रेष्ठ है.
नमो व्रातपतये। नमो गणपतये।
नम: प्रमथपतये।
नमस्तेऽस्तु लंबोदरायैकदंताय।
विघ्ननाशिने शिवसुताय।
श्रीवरदमूर्तये नमो नम:।।10।।
Ganesh Atharvashirsha in Hindi- हिंदी अर्थ: व्रात (देव समूह) के नायक को नमस्कार. गणपति को नमस्कार.
प्रथमपति (शिवजी के गणों के अधिनायक) के लिए नमस्कार. लंबोदर को, एकदंत को, शिवजी के पुत्र को तथा श्रीवरदमूर्ति को नमस्कार-नमस्कार.
एतदथर्वशीर्ष योऽधीते।
स ब्रह्मभूयाय कल्पते।
स सर्व विघ्नैर्नबाध्यते।
स सर्वत: सुखमेधते।
स पञ्चमहापापात्प्रमुच्यते।।11।।
हिंदी अर्थ: यह अथर्वशीर्ष (अथर्ववेद का उपनिषद) है. इसका पाठ जो करता है, ब्रह्म को प्राप्त करने का अधिकारी हो जाता है. सब प्रकार के विघ्न उसके लिए बाधक नहीं होते.
वह सब जगह सुख पाता है. वह पांचों प्रकार के महान पातकों तथा उपपातकों से मुक्त हो जाता है.
Ganesh Atharvashirsha in Hindi
सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति।
प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति।
सायंप्रात: प्रयुंजानोऽपापो भवति।
सर्वत्राधीयानोऽपविघ्नो भवति।
धर्मार्थकाममोक्षं च विंदति।।12।।
Ganesh Atharvashirsha in Hindi- हिंदी अर्थ: सायंकाल पाठ करने वाला दिन के पापों का नाश करता है, प्रात:काल पाठ करने वाला रात्रि के पापों का नाश करता है. जो प्रात:- सायं दोनों समय इस पाठ का प्रयोग करता है वह निष्पाप हो जाता है.
वह सर्वत्र विघ्नों का नाश करता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्राप्त करता है.
इदमथर्वशीर्षमशिष्याय न देयम्।
यो यदि मोहाद्दास्यति स पापीयान् भवति।
सहस्रावर्तनात् यं यं काममधीते तं तमनेन साधयेत्।13।।
हिंदी अर्थ: इस गणपति अथर्वशीर्ष को जो शिष्य न हो उसे नहीं देना चाहिए. जो मोह के कारण देता है वह पातकी हो जाता है.
सहस्र बार पाठ करने से जिन-जिन कामों-कामनाओं का उच्चारण करता है, उनकी सिद्धि इसके द्वारा ही मनुष्य कर सकता है.
अनेन गणपतिमभिषिंचति
स वाग्मी भवति
चतुर्थ्यामनश्र्नन जपति
स विद्यावान भवति।
इत्यथर्वणवाक्यं।
ब्रह्माद्यावरणं विद्यात्
न बिभेति कदाचनेति।।14।।
हिंदी अर्थ: गणेश अथर्वशीष के माध्यम से जो गणेश जी को स्नान कराता है, वह वक्ता बन जाता है.
जो चतुर्थी तिथि को उपवास करके जाप करता है, वह विद्वान बन जाता है और जो इस पाठ को तपश्चरण करना चाहता है, उसे कभी भी किसी प्रकार का भय नहीं लगता.
यो दूर्वांकुरैंर्यजति
स वैश्रवणोपमो भवति।
यो लाजैर्यजति स यशोवान भवति
स मेधावान भवति।
यो मोदकसहस्रेण यजति
स वाञ्छित फलमवाप्रोति।
य: साज्यसमिद्भिर्यजति
स सर्वं लभते स सर्वं लभते।।15।।
हिंदी अर्थ: जो दुर्वांकुर के माध्यम से भगवान गणेश का पूजन करता है, वह कुबेर के समान हो जाता है. जो धानी लाई के द्वारा भगवान गणेश का यजन करता है, वह मेधावी और यशस्वी हो जाता है.
हजारों लड्डुओं द्वारा यजन करने वाले जातक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है. जो घी समेत समिधा से यजन करता है, उसे भगवान गणेश की कृपा से सब कुछ प्राप्त हो जाता है.
Ganesh Atharvashirsha in Hindi
अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग्ग्राहयित्वा
सूर्यवर्चस्वी भवति।
सूर्यग्रहे महानद्यां प्रतिमासंनिधौ
वा जप्त्वा सिद्धमंत्रों भवति।
महाविघ्नात्प्रमुच्यते।
महादोषात्प्रमुच्यते।
महापापात् प्रमुच्यते।
स सर्वविद्भवति से सर्वविद्भवति।
य एवं वेद इत्युपनिषद्।।16।।
हिंदी अर्थ: सम्यक विधि से 08 विप्रां को ग्राह कराने पर सूर्य के समान तेजस्वी प्राप्त होता है. सूर्य ग्रहण के काल में किसी महानदी अथवा प्रतिमा के निकट गणेश अथर्वशीर्ष के जाप से मंत्र सिद्धी होती है.
महाविघ्नों से मुक्ति प्राप्त होती है. इस तरह से ज्ञान प्राप्त करने वाला सर्वज्ञ हो जाता है.
इति श्री गणपति अथर्वशीर्ष संपूर्ण :
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