ध्यान मुद्रा के लाभ और हानि | ध्यान मुद्रा के प्रकार | Dhyana Mudra in Hindi

Dhyana Mudra in Hindi | Gyan Mudra in Hindi | Dhyan Mudra in Hindi Benefits | Dhyana Mudra Benefits in Hindi

अध्यात्म मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए ज्ञान के सहयोगी अन्य बातें भी हैं। उदाहरण के लिए ध्यनियों के लिए ज्ञान और ध्यान मुद्राएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। क्या आपके मन मे भी यह सवाल उठा कि ध्यान मुद्रा क्या है?

क्या आपने कभी भगवान महावीर, बुद्ध अथवा अन्य किसी योगी के बैठने की स्थिति पर गौर किया है? यदि आपका जवाब हां है तो आपके मन में यह सवाल उठा होगा कि अन्य योगियों की भांति ये लोग ज्ञान मुद्रा में क्यों नहीं बैठे?

इस आर्टिकल में हम आपके इस Mystic Dhyana Mudra ध्यान मुद्रा से जुड़े इन सवालों के अलावा भी कई अन्य महत्वपूर्ण सवालों के जवाब लेकर आए हैं।

Dhyana Mudra ध्यान मुद्रा के अनेकों लाभ हैं, यहां यह कहने अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इसी कारण गौतम बुद्ध तथा महावीर स्वामी ने ध्यान मुद्रा को अपनाया। सबसे पहले देखते हैं कि ध्यान मुद्रा का अर्थ क्या है?

Dhyana Mudra in Hindi

ध्यान मुद्रा का यदि शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो एक ऐसी मुद्रा अथवा हाथों के उंगलियों की स्थिति जो ध्यान अर्थात मेडिटेशन अभ्यास को गहरा करने तथा बेहतर परिणाम लाने में मदद करती है।

इस प्रकार हमारे हिसाब से ध्यान मुद्रा एक पवित्र विधि है जिसमें हाथों तथा उंगलियों को विशेष प्रकार से स्थित कर प्राणशक्ति को संचारित किया जाता है।

ध्यान अर्थात मेडिटेशन को गहरा बनाने में जिस प्रकार स्थान तथा आसन का महत्व है, उसी प्रकार मुद्रा भी मायने रखती है। मुद्राएं महज बैठने की स्थिति नहीं है बल्कि इसके पीछे गहरा विज्ञान है।

योग मुद्राएं स्वयं तथा ईश्वर से ही नहीं बल्कि पंच तत्वों से हमारा संबंध स्थापित करती हैं। मुद्राएं इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन पांच तत्वों का सिर्फ हमारे शरीर ही नहीं बल्कि मन पर भी विशेष प्रभाव पड़ता है।

मस्तिष्क की कोशिकाएं इन तत्वों से प्रभावित होती हैं इसलिए ध्यान के अभ्यास में योगी का समस्त सृष्टि से संबंध स्थापित होता है।

इस ध्यान मुद्रा, जिसे महात्मा बुद्ध तथा महावीर स्वामी ने अपनाया, के अनेकों लाभ हैं जो हम आगे चलकर देखेंगे। पहले ध्यान मुद्रा की सही विधि के बारे में Step by Step Dhyana Mudra जानते हैं।

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Dhyana Mudra Steps in Hindi

 

Dhyana Mudra ध्यान मुद्रा का अभ्यास तो सरल है किन्तु इसका सही ज्ञान अति आवश्यक है। तो, देखते हैं कि ध्यान मुद्रा कैसे करें।

१- सर्वप्रथम यह जान लेना आवश्यक है कि ध्यान मुद्रा योग की गहराई का अनुभव कराती है इसलिए इस मुद्रा का अभ्यास सोच समझकर करें।

२- किसी हवादार, स्वच्छ तथा यौगिक वातावरण में ज़मीन पर आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं। ध्यान मुद्र के अभ्यास के लिए सुखासन सर्वश्रेष्ठ आसन है।

३- बाएं हाथ को सैक्राल चक्र के पास अर्थात पाल्थी के बीच, हथेली को आकाश की तरफ़ खुली करके रखें।

४- अब दाहिने हाथ को घुटने से मोड़कर हथेली को बाएं हाथ की हथेली के ऊपर रख दें। ध्यान रहे हथेलियां आसमान की तरफ़ खुली रहें।

५- बाएं हाथ के अंगूठे को दाएं हाथ के अंगूठे के पास टिका देने के बाद मेरुदंड को बिल्कुल सीधा रख ध्यान अवस्था में आ जाएं।

६- आंखें बंद कर, सांसों के आवागम पर ध्यान दें तथा कुछ देर बाद ध्यान की गहराई में जाने लगेंगे क्योंकि ऊर्जा का प्रवाह तेज़ी से होने लगता है।

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Dhyana Mudra Hand Position

ज्ञान मुद्रा अथवा किसी अन्य मुद्रा में उंगलियों की अवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जबकि ध्यान मुद्रा में सम्पूर्ण उंगलियां एक साथ काम करती है। दूसरे शब्दों में कहूं तो ध्यान मुद्रा Dhyana Mudra किसी एक तत्व नहीं बल्कि पांचों तत्वों का संतुलन करता है।

Types Of Dhyana Mudra in Hindi

Buddha Dhyana Mudra

महात्मा बुद्ध ने जिस प्रकार इस मुद्रा Dhyana Mudra का अभ्यास कर बुद्धत्व प्राप्ति की तथा महावीर स्वामी ने लाखों जीवन परिवर्तन किए, इस ध्यान मुद्रा का अभ्यास कर जीवन में सुख शक्ति, समृद्धि लाना सरल हो जाता है।

Gyan mudra

ज्ञान मुद्रा शरीर में उपस्थित दो तत्वों का संतुलन कर मस्तिष्क को ज्ञान ग्रहण के लिए उत्साहित करती है। इसके अलावा भी ज्ञान मुद्रा के अत्यंत महत्वपूर्ण लाभ है।

ज्ञान मुद्रा का अभ्यास अक्सर सांसारिक लोग ध्यान अथवा योग प्राणायाम के अभ्यास में करते हैं।

Shiv Dhyan Mudra

भगवान शिव अक्सर ज्ञान मुद्रा में ध्यान मग्न दिखाई देते हैं इसलिए उन्हें त्रिकालदर्शी कहा जाता है।

Dhyana Mudra Benefits Bnefits of Dhyana Mudra in Hindi

ध्यान मुद्रा का अभ्यास करने वाले बहुत काम किंतु महान योगी किसी पहचान के मोहताज नहीं। इस जादुई मुद्रा का लाभ जानने के बाद आपकी उत्कंठा इसके अभ्यास की अवश्य होगी। देखते हैं, क्यों महात्मा बुद्ध अथवा भगवान महावीर को ध्यान मुद्रा ज्ञान मुद्रा से अधिक प्रिय थी?

१- ध्यान मुद्रा का अभ्यास जीवन के किसी वर्ग विशेष में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवन के लिए लाभकारी है।

२- अन्य मुद्राओं की भांति ध्यान मुद्रा Dhyana Mudra किन्हीं दो तत्वों को नहीं बल्कि पांचों तत्व अर्थात, जल, वायु, अग्नि आकाश एवं पृथ्वी सबको संतुलित करती है।

३- Dhyana Mudra ध्यान मुद्रा का अभ्यास निज हित से बढ़कर परोपकार की भावना जगाने के साथ उस मार्ग पर चलने के लिए मार्ग भी प्रशस्त करती है।

४- ध्यान मुद्रा मनुष्य को उसकी चेतना के सर्वोच्च स्तर तक ले जाती है जहां जाने के बाद कुछ भी असम्भव अथवा अज्ञात नहीं रह जाता है।

५- ध्यान मुद्रा पंच तत्व से बने इस शरीर में तत्वों के संतुलन के साथ ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाती है फलस्वरूप रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ जाती है।

६- ध्यान मुद्रा के अभ्यास से मस्तिष्क में स्वस्थ न्यूरॉन बनते है, विचारों की संख्या कम होने लगती है परिणाम स्वरूप इंसान । आकर्षण के नियम का प्रयोग कर जीवन के अपनी इच्छानुसार आकर दे सकता है।

७- Dhyana Mudra ध्यान मुद्रा सबसे पहले तथा सर्वाधिक आज्ञा चक्र को सक्रिय करती है परिणाम स्वरूप मनुष्य अपने अंदर छिपी शक्तियों का प्रयोग स्व तथा दूसरों के कल्याण के लिए करने में सक्षम हो जाता है।

८- ध्यान मुद्रा उपरोक्त सभी लाभों से पहले एकाग्रता की शक्ति को जादुई तरीके से बढ़ा देती है तथा ज्ञान के ग्रहण के लिए मन को खुला कर देती है।

९- Dhyana Mudra ध्यान मुद्रा के सही अभ्यास से मौन से मिलने वाली हर शक्ति का लाभ मिलता है। साथ ही कुण्डलिनी शक्ति को कम समय में सक्रिय करने के लिए ध्यान मुद्रा में किया गया ध्यान अत्यंत प्रभावी होता है।

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Dhyan Mudra Precautions | Precautions of Dhyana Mudra in Hindi

मुद्राओं अथवा योग के अभ्यास से कोई हानि तो नहीं होती है। फिर भी, सावधानियों के तौर पर बस इतना कहना चाहेंगे कि यदि आप ध्यान की गहराई में नहीं उतारना चाहते, तो ध्यान मुद्रा के बजाय ज्ञान मुद्रा का अभ्यास करें।

जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा की ध्यान मुद्रा का सबसे अधिक प्रभाव आज्ञा चक्र पर पड़ता है, और आज्ञा चक्र के खुलने से पहले कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी पड़ती है। इसलिए ध्यान मुद्रा के अभ्यास से पहले आज्ञा चक्र के बारे में सब कुछ नीचे लिंक पर जाकर जान लें।

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FAQ:

Dhyan Lagane Ke Liye Sarvottam Aasan Kaun Sa Hai?

ध्यान लगाने के लिए सबसे अधिक आरामदायक, प्रभावी तथा प्रचलित आसन सुखासन है। इसके अलावा काफ़ी लोग पद्मासन, अर्ध पदमासन, वज्रासन तथा सिद्धासन का प्रयोग भी करते है।

मेरे हिसाब से ध्यान लगाने के लिए सर्वश्रेष्ठ आसन वही है जिसमें आप सहज होकर लंबे समय ध्यान मग्न रह सकें तथा आपको किसी प्रकार का शारीरिक दुष्परिणाम ना उठाना पड़े।

मेरी इस मान्यता के पीछे मेरा उद्देश्य मात्र यह है कि आसन तो आप बाद में कोई भी प्रयोग कर सकते हैं, महत्व पूर्ण आपका ध्यान लगाना है। इसलिए शुरू में अपनी सुविधानुसार आसन चुनें, जब ध्यान लगने लगे तो अन्य आसनों को भी आजमाएं।

जो आपको अधिक प्रभावी लगे उसे अपनाएं।

Final Words: Dhyana Mudra मात्र योगियों की ही नहीं बल्कि हम और आप जैसे इंसान को भी इंद्रियजीत बनाने में सक्षम है। अपने ध्यान को गहरा तथा प्रभावी बनाने के लिए कम से कम इक्कीस दिन इस मुद्रा का अभ्यास कर अंतर ज़रूर आजमाएं।

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भवतु सब्बै मगलम्!

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