Dhauti Kriya in Hindi गज कर्ण के नाम से जानी जाने वाली धौती क्रिया हठयोग के षटकर्म में से एक महत्वपूर्ण क्रिया है। जिस प्रकार मन तथा शरीर के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न मुद्राएं तथा आसन बनाए उसी प्रकार शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने के लिया कुछ क्रियाओं का अविष्कार भी किया था।
मनुष्य चाहे कितना भी योग प्राणायाम अथवा ध्यान मुद्राओं का अभ्यास कर ले इनका लाभ तब तक पूर्ण रूप से नहीं मिलता जब तक भोजन शुद्ध हो। इंसान तीन चीजों से मिलकर बना है, भोजन, विचार तथा कर्म। ये तीन चीजें उसके भविष्य की खुशियों अथवा दुखों को निर्धारित करती हैं।
उदाहरण के लिए यदि आपने जरूरत से ज्यादा अथवा अशुद्ध भोजन कर लिया तो तबियत खराब होना लाज़मी है। तबियत खराब होने के बाद विचार दूषित होना साधारण है तथा इसके बाद कुछ दिन नाखुश अथवा असामान्य होना भी मान्य है। इसलिए भोजन तथा विचारों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कई बार बहुत खयाल रखने के बावजूद भी खाने में कुछ उल्टा सीधा अथवा किसी अन्य कारण से बदहजमी हो जाती है। यदि ऐसे हालातों में समय पर इलाज ना किया गया तो कई बीमारियों के पनपने के अंदेश होते हैं।
ऐसे में हठयोग का एक कर्म धौति क्रिया Dhauti Kriya अत्यंत लाभदायक है। इस आर्टिकल में धौती क्रिया है, कितने प्रकार की है, करने की विधि तथा उससे होने वाले लाभों के बारे में जानेंगे।
What is Dhauti Kriya धौती क्रिया क्या है
धौती का अर्थ साफ़ करना होता है, इस प्रकार धौती क्रिया का अर्थ साफ़ करने की प्रक्रिया अथवा विधि होती है। संस्कृत में गज कर्ण के नाम से जाना वाला धौती क्रिया हाथियों के प्राकृतिक व्यवहार से प्रेरित है।
जब हाथी को अपच होती है अथवा कुछ विषैले भोजन उसके शरीर में चले जाते हैं तो वह अपने सूंड को भोजन नली द में डालकर सारे विषैले तत्व बाहर फेंक देता है।
वैसे तो मानव शरीर स्वयं अपच की स्थिति में उल्टियों के माध्यम से शरीर को स्वच्छ करता है। किन्तु जिस प्रकार जिस घर में हम रहते हैं, उसमें कोई गंदगी हो या ना हो हम प्रतिदिन झाड़ू पोछा करके साफ़ रखते हैं उसी प्रकार शरीर का ध्यान रखना आवश्यक है।
समय समय पर पेट को पूर्ण रूप से साफ़ कर देना पाचन तंत्र तथा स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है।
Types of Dhauti Kriya in Hindi धौती क्रिया के प्रकार
धौती क्रिया करने के तीन मुख्य तरीके हैं, जो आपको सरल लगे उसे अपनाएं
१- Vaman Dhauti Kriya/ Jal Dhauti kriya/ Kunjal Kriya
जैसा कि नाम से ही साफ़ है कि यह क्रिया जल की मदद से की जाती है। संस्कृत में वमन का अर्थ उल्टी करना होता है। इस प्रकार इस विधि में पानी की सहायता से उल्टी के माध्यम से पेट को साफ़ करना है।
इस विधि को सप्ताह में एक बार सुबह खाली पेट की जा सकती है।
विधि
१- Dhauti Kriya एक लीटर पानी को हल्का गर्म करें तथा उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं।
२- खड़े होकर सारा पानी बिना रुके पी जाएं। अक्सर एक साथ इतना पानी रुक रुक कर पिया जाता है। किन्तु इस अभ्यास के लिए बिना रुके पिएं।
३- बाएं हाथ से पेट को दबाते हुए आगे की ओर झुकें तथा दाहिने हाथ की दो उंगलियों को मुंह में डालकर जी गले तक ले जाएं। ऐसा करने से उल्टी आ जायेगी।
४- इस प्रकार पानी कुछ ही देर में उल्टी के माध्यम से सभी जहरीले तत्वों को बाहर निकाल देते है।
सावधानी: उच्च रक्तचाप तथा काला पानी के रोगियों के लिए जल धौती क्रिया वर्जित है।
२- Vastra Dhauti Kriya वस्त्र धौती क्रिया
इस क्रिया में मुलायम वस्त्र की मदद से भोजन नली की सफ़ाई की जाती है। इसे आंतरिक शोधन भी कहते हैं।
विधि
१- चार से पांच इंच चौड़ा तथा आठ गज लंबा मुलायम सूती कपड़े को अच्छी तरह धोकर साफ़ कर लें। (इस कपड़े को मुंह के अंदर लेना है इसलिए अच्छी तरह साफ़ करें तथा सुखाएं)
२- Dhauti Kriya नमक मिले पानी को हल्का गरम करें तथा कपड़े को गोल रोल बनाकर उसमें डूबा दें।
३- आसन बिछाकर उसपर कागासन में बैठें तथा कपड़े को मुंह में लें। हाथ की मदद से रोल खोले जाएं तथा कपड़े को धीरे धीरे निगलना शुरू करें।
४- यदि निगलने में मुश्किल हो तो रुककर थूक अथवा एक घूंट पानी की मदद लें। (ध्यान रहे अधिक पानी के प्रयोग से उल्टी की संभावना है इसलिए कम पानी का प्रयोग करें।)
५- आधा से ज्यादा कपड़ा अंदर जाने के बाद रुकें तथा शरीर को हिलाएं। जिस प्रकार किसी चीज़ को मिलाने के लिए उसे हिलाकर मिलाया जाता है उसी पाकर पेट को गोल घुमाएं।
६- फिर कपड़े को पकड़कर धीरे धीरे बाहर की ओर खींचना शुरू करें। ध्यान रहे निगलते या कपड़े को बाहर निकालते समय किसी प्रकार की जल्दबाजी न करें।
सावधानी: कपड़ा निगलना आसन काम नहीं है इसलिए पहली बार इस क्रिया को किसी योग्य शिक्षक की निगरानी में करें।
Dhauti Kriya Benefits धौती क्रिया के लाभ
१- क्रिया गले के माध्यम से की जाती है अतः गले में खांसी या खरा की समस्या से मुक्ति मिलती है।
२- नालियों की सफ़ाई होने के कारण स्वांस संबंधी समस्याएं दूर होती हैं तथा फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।
३- जिन लोगों को लगातार कफ की समस्या होती है उनके लिए धौती क्रिया अत्यंत लाभकारी है क्योंकि इससे न सिर्फ भोजन नली साफ़ होती है बल्कि कफ को जड़ से हटाने में सहायक है।
४- जैसा कि इस क्रिया का सीधा संबंध भोजन नली से है तो नली साफ़ होने के कारण अपच अथवा गैस की समस्या से मुक्ति मिलती है।
५- Dhauti Kriya नलियों की सफ़ाई होने के कारण पाचन तंत्र स्वस्थ होता है तथा सुचारू रूप से काम करता है।
६- समय समय पर शरीर से अनावश्यक तत्वों को Dhauti Kriya धौती क्रिया के माध्यम से निकाल देने से शरीर में अतिरिक्त वसा नही जमा होती। इस प्रकार मोटापे से बचाने अथवा मोटापा कम करने में भी यह क्रिया सहायक है।
७- किसी भी शारीरिक समस्याओं अथवा बीमारियों की जड़ पाचन तंत्र ही होता है। समय समय पर इसकी सफाई करते रहने से बीमारियों को आने के मौका नहीं मिलता इस प्रकार रोग प्रतिकार शक्ति भी बढ़ती है।
८- स्वस्थ शरीर मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत जरूरी है। इस प्रकार धौती क्रिया सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि संपूर्ण शारीरिक अथवा मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
Dhauti kriya Precautions धौती क्रिया में सावधानियां
१- सर्वप्रथम कोई भी धौती क्रिया का अभ्यास किसी शिक्षक की उपस्थिति में तथा उनके कहे अनुसार करें।
२- वस्त्र धौती क्रिया के अभ्यास से पूर्व मानसिक रूप से स्वयं को तैयार करें तथा क्रिया के दौरान सहज रहने की कोशिश करें। जल्दबाजी अथवा असहजता से अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
३- एक साथ सम्पूर्ण वस्त्र को निगलने की कोशिश न करें, नियमित अभ्यास से निगलने की क्षमता बढ़ती जायेगी।
४- सम्पूर्ण लाभ लेने के लिए धौती क्रिया भोजन के दो से तीन घंटों के भीतर ही करें। अधिक समय लगाएंगे तो पूरा लाभ नहीं मिलेगा।
५- इस क्रिया के बाद चावल की खीर खाने की सलाह दी जाती है।
६- रक्तचाप, हृदय रोग, अमाशय, अथवा हर्निया से पीड़ित लोगों के लिए यह क्रिया वर्जित है। फिर भी यदि आप इसे करना चाहें तो चिकित्सक से सलाह लेकर तथा किसी योग शिक्षक की निगरानी में करें।
Final Words: धौती क्रिया का नियमित अभ्यास शरीर को निरोगी रखने में मदद करता है। यदि आप अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहते हैं तो इसका अभ्यास कर अनुभव ज़रूर करें।
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