Bhramari Pranayam in Hindi: भ्रामरी प्राणायाम से होने वाले 9 लाभ

Bhramari Pranayam in Hindi क्या आपको भी लगता है कि मानव मस्तिष्क ही शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है? वैसे तो मानव शरीर का एक एक अंग जीवन को सरल एवं सुचारू रूप से चलाने के लिए अति महत्वपूर्ण है।

मेरा मानना है कि मस्तिष्क के अलावा जो मुख्य रूप से महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है वे हैं पांच इन्द्रियां- नाक, कान, आंख, मुख एवं त्वचा। यदि ये इन्द्रियां काम न करे तो मस्तिष्क क्या करेगा?

मनुष्य अक्सर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान डेरा है पर इन इन्द्रियों के लिए कुछ नहीं करता है। विडंबना यही है कि इन्द्रिया ही हैं जो शरीर और मन दोनों को सर्वाधिक प्रभावित करती हैं। यदि मनुष्य अपनी इंद्रियों को अपने वश में कर ले तो जीवन उसकी मर्ज़ी से चलने लग जाय।

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खैर, इन इन्द्रियों के स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की अव्यवस्थता शरीर और मन दोनों को वा विचलित करता है। अध्यात्म जगत में इन्द्रियों, शरीर एवं मन पर अपना आधिपत्य करने के लिए ही योग एवं प्राणायाम का अविष्कार किया गया।

ऐसा ही एक अद्भुत प्राणायामजो इन्द्रियों के माध्यम से शरीर एवम् मन दोनों को प्रभावित करता है, वह है भ्रामरी प्राणायाम।

MysticMind के इस आर्टिकल में हम भ्रामरी प्राणायाम Bhramari Pranayam कैसे करते हैं तथा इसके क्या- क्या लाभ एवं सावधानियां हैं, इसके बारे में विस्तार से जानेंगे। किंतु सबसे पहले जानते हैं कि भ्रामरी प्राणायाम क्या है?

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What is Bhramari Pranayam in Hindi

भ्रामरी प्राणायाम संस्कृत के दो शब्द, भ्रामरी एवं प्राणायाम से मिलकर बना हुआ है। भ्रामरी का अर्थ भ्रमर का स्त्रीलिंग अथवा मधुमक्खी है तथा प्राणायाम का अर्थ विशेष विधि से स्वांस पर ध्यान देना।

इस प्रकार सरल शब्दों में कहूं तो भ्रामरी प्राणायाम Bhramari Pranayam सांसों पर ध्यान देने की एक विशेष विधि है जिसमें मधुमक्खी की भांति ध्वनि का अभ्यास भी किया जाता है।

मधुमक्खी की ध्वनि निकालने से मुख एवं नाक दोनो ही इंद्रियां प्रभावित होती हैं जो किसी भी प्राणायाम के अभ्यास के लिए मुख्य अंग हैं।

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भ्रामरी प्राणायामBhramari Pranayam मधुमक्खी से प्रेरित है इसीलिए इस प्राणायाम को भ्रामरी प्राणायाम का नाम दिया गया है। अंग्रेजी में Humming Bee Breath के नाम से प्रचलित भ्रामरी प्राणायाम अत्यंत प्रभावी एवं लाभकारी प्राणायाम है।

भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से होने वाले लाभों को जानने से पहले देखते हैं कि भ्रामरी प्राणायाम अभ्यास की सही विधि क्या है?

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How to do Bhramari Pranyam in Hindi

योगासन, मुद्रा एवं प्राणायाम के अभ्यास के लिए उनका सही तरह से अभ्यास अति आवश्यक है। एक गलत Step उल्टे परिणाम दे सकता है इसलिए Bhramari Pranayam Steps को ध्यान से पढ़ें एवं भली भांति समझकर ही इसका अभ्यास शुरू करें।

हमारा आपको सुझाव है कि योगासनों के अभ्यास के अंत में इसका अभ्यास करें अथवा व्यायाम के बाद इसका अभ्यास करना अधिक प्रभावी होता है। आप अपने समयनुसार भी कर सकते हैं।

१- शांत, स्वच्छ एवं हवादार स्थान पर चटाई बिछाकर ध्यानावस्था में बैठ जाएं।

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२- बैठने के लिए आप पद्मासन, सिद्धासन अथवा वज्रासन का प्रयोग कर सकते हैं। एक लंबी गहरी सांस लेकर भीतर कुछ देर रोकें फिर मुंह से बाहर छोड़ दें।

३- सांसों के कुछ देर अभ्यास से मन शांत, शरीर शिथिल एवं चित्त वर्तमान में लाकर भ्रामरी प्राणायाम Bhramari Pranayam के लिए तैयार हो जाएं।

४- सांस भीतर भरते समय मुंह बंद तथा ऊपर एवं नीचे के दांतों को आपस में जोड़कर रखें किंतु सांस छोड़ते समय दांतों के बीच गैप रखें एवं मुख बंद कर लें।

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उपास्थि Images

५- लंबी सांस लें तथा दोनों हाथों की तर्जनी उंगली से कान को बाद करें ( उंगली से सिर्फ़ उपास्थि को दबाने से कान बंद हो जाते हैं) बाकी की उंगलियों को कानों के आसपास ढककर रखें।

Bhramari Pranayam Images

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दूसरी विधि: आप चाहे तो अंगूठे से उपस्थि को दबाएं एवं बाकी उंगलियों से आंखे बंद कर लें अथवा चित्र में दिये अनुसार रखें।

६- कानों के बंद होने के बाद मन में ओम् की ध्वनि निकालें और ध्यान दें की ध्वनि मधुमक्धी के आवाज़ जैसी हो। फिर सांस बाहर छोड़ दें।

७- सांस छोड़ते समय आप चाहें तो कानों को खुला रख सकते हैं। सांस भरते समय तथा ओम की ध्वनि निकालते समय बंद रखें। कम से कम ७ बार इस प्रक्रिया को दोहराएं तथा गलें एवं प्रक्रिया के दौरान मुख में होने वाले परिवर्तन पर ध्यान दें।

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Bhramari Pranayam Benefits/ Benefits of Bhramari Pranayam in Hindi

भ्रामरी प्राणायाम के शारीरिक मानसिक एवं कई अध्यात्मिक लाभ होते हैं तो सबसे पहले इसके शारीरिक लाभों को देखते हैं।

१- Bhramari Pranayam Benefits for ear Problems जैसा कि भ्रामरी प्राणायाम करते समय कानों का प्रयोग किया जाता है तथा यहां से निकलने वाली ऊर्जा को अवरूद्ध किया जाता है, यह कानों के लिए अधिक लाभकारी प्राणायम है।

इसके अभ्यास से कानों संबंधी बीमारियां जैसे कि कानों का बहना या कम सुनना दूर होती हैं।

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२- भ्रामरी प्राणायाम Bhramari Pranayam के नियमित अभ्यास से कानों के परदे मजबूत बनते हैं, श्रवण क्षमता बढ़ती है तथा कान हमेशा साफ़ रहते हैं।

३- Effects of Bhramari Pranayam on Brain ओम का उच्चारण अथवा मधुमक्खी की आवाज़ सिर्फ़ कानों को ही नहीं बल्कि मस्तिष्क पर भी प्रभाव डालती है। जिससे मन शांत होने लगता है।

४- भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से संपूर्ण मस्तिष्क के अंदर कंपन उत्तम होती है एवं रक्त संचार बढ़ने लगता है। इससे मन शांत होने के साथ साथ बुद्धिमत्ता एवं याददाश्त भी बढ़ती है।

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५- अधिक चिंता, क्रोध, सिर दर्द, अथवा पुराने माइग्रेन को दूर करने का सरल तरीका भ्रामरी प्राणायाम का नियमति पंद्रह मिनट का अभ्यास है।

६- मुख तथा गले में रक्त एवं ऊर्जा का संचार बढ़ने लगता है जिससे इनसे संबंधी बीमारियां दूर होने के साथ बोलने में स्पष्टता आने लगती है।

७- उच्च अथवा निम्न रक्तचाप को संतुलित करने के साथ साथ भ्रामरी प्राणायामशरीर में अग्नि तत्व को अर्थात गर्मी को भी संतुलित करने में मदद करती है।

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८- Spiritual Benefits of Bhramari Pranayam भ्रामरी प्राणायाम सीधा तीसरी आंख खोलने में मदद करती जो अध्यात्मिक जगत का दरवाज़ा है।

९- भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से सभी चक्र संतुलित होते हैं एवं मन शांत होकर ध्यानावस्थ में जाने लगता है जिससे ध्यान लगाना अत्यंत आसन हो जाता है।

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Side Effects of Bhramari Pranayam भ्रामरी प्राणायाम के नुकसान

भ्रामरी प्राणायाम के सही अभ्यास से कोई नुकसान नहीं बल्कि लाभ हो होते हैं बशर्ते अभ्यास में कोई असावधानी नही होती चाहिए। यदि किसी भी प्रकार की असावधानी की गई तो उल्टे परिणाम हो सकते हैं इसलिए ऊपर बताए हुए नियमों और स्टेप्स को दाएं से पढ़ें फिर अभ्यास शुरू करें।

Bhramari Pranayam Precautions भ्रामरी प्राणायाम में सावधानियां

अभ्यास शुरू करने से पहले निम्न बातों पर विशेष ध्यान दें।

१- सबसे पहले सुझाव यही रहेगा की इस प्राणायाम के सही अभ्यास के लिए शुरुआती दिनों में योग्य शिक्षक की निगरानी में करें।

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२- भ्रामरी प्राणायाम Bhramari Pranayam का अभ्यास सुबह खाली पेट अथवा खाने के कम से कम ३ घंटे बाद करें।

३- भ्रामरी प्राणायाम के दौरान कान को पूरा न बंद कर उपास्थी को दबाकर ही कान बंद करें।

४- आवाज़ निकालते समय मुंह बंद, दांतों के बीच गैप एवं ध्यान को सम्पूर्ण सिर में फिराते रहें।

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Final Words: भ्रामरी प्राणायम Bhramari Pranayam उन महत्वपूर्ण प्राणायामों में से एक है जिसके कुछ मिनटों के नियमित अभ्यास से अनेकों रोगों को दूर किया जा सकता है। अपनी दिनचर्या में इसे ज़रूर शामिल करें।

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भवतु सब्बै मंगलम!

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