Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev: भस्त्रिका की विधि एवं 9 लाभ

Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev: प्राणायाम एक ऐसी विधि है जिसके माध्यम से प्राणदायिनी ऊर्जा को स्वच्छ एवं संतुलित किया जाता है। प्राण ऊर्जा ही जीवन का सबसे आवश्यक एवं महत्वपूर्ण तत्व है, वही बंद हो जाए तो जीवन समाप्त हो जाता है।

यदि यह ऊर्जा दूषित एवं असंतुलित हो जाए तो शरीर अनेकों बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। योग प्राणायाम इसे स्वच्छ संतुलित करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।

सुबह के कुछ मिनट में किया गया प्राणायाम का अभ्यास सारे दिन में कम करने की ऊर्जा के साथ साथ सकारात्मकता भी बढ़ाता है एवं शरीर को निरोगी रखने में मदद करता है।

सुप्रसिद्ध बाबा रामदेव जी के आशीर्वाद से योग, प्राणायाम सम्पूर्ण विश्व भर में प्रचलित हो चुका है। उनके बताए हुए तरीके से किया गया अभ्यास अत्यंत सरल एवं उपयोगी सिद्ध हुआ है।

MysticMind के इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही एक प्राणायाम के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे जो प्राण ऊर्जा अथवा सांस को स्वच्छ कर शरीर को अनेक रोगों से बचाने में सहायक है।

Ramdev Baba Yoga Guru होने के नाते किसी भी योगासनों अथवा प्राणायाम को सरल विधि से समझाते हैं। Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev आपको न सिर्फ़ सरल तरीके से अभ्यास करने में मदद करेगा बल्कि इसके लाभों को जानकर आप चकित हो जायेंगे। भस्त्रिका प्राणायाम अभ्यास के तरीके एवं लाभों को जानने से पहले देखते हैं कि भस्त्रिका प्राणायाम क्या है?

What is Bhastrika Pranayama in Hindi/ Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev

भस्त्रिका प्राणायाम हठ योग के अन्य प्राणायाम विधियों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रचलित विधि है। जिसके अभ्यास से प्राण वायु को स्वच्छ किया जाता है।

शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो भस्त्रिका संस्कृत से लिया गया शब्द है जिसके हिंदी में अर्थ धौंकनी अथवा फुंकनी होता है। यह एक ऐसा चमड़े में बना यंत्र है जिसका प्रयोग अक्सर लोहार लोग धातुओं जैसे कि लोहे को पिघलाने के लिए करते हैं।

धौंकनी की मदद हवा देकर से आग को जलाई जाती है एवं उसमे लोहे को पिघलाया जाता है। ठीक उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  शरीर में स्वच्छ हवा के प्रवेश एवंदूषित हवा को निकालने में मदद करती है।

ज़रा सोचिए, प्रतिदिन आप कितने ऐसे लोगों से टकराते हैं जो सिगरेट अथवा बीड़ी के धुएं से वातावरण को गंदा करते हैं। सड़क किनारे कुछ जलाने या गाड़ियों के चलने से उड़ने वाले हानिकारक तत्व जो शरीर में जाते हैं। समय के सह यही तत्व फेफड़ों को जाम कर सांसों के साथ अन्य बीमारियों को निमंत्रित करते हैं।

स्वामी रामदेव द्वारा सिखाया गया भस्त्रिका प्राणायाम/ Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev इन विषैले एवं हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

आइए देखते हैं कि How to do Bhastrika Pranayama/भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास की सही विधि क्या है?

How to do Bhastrika Pranayama in Hindi/ Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev

१- भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास के लिए उपयुक्त वातावरण जहां पर स्वच्छ हवा और शांति हो, चटाई बिछाकर बैठ जाएं।

२- बैठने के लिए पद्मासन, सुखासन अथवा सिद्धासन, अपनी सुविधानुसार चयन कर सकते हैं। स्थिर अवस्था में अधिक समय जिस आसन में रह सकें उसका चुनाव करें।

३- Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev पीठ बिल्कुल सीधी, गर्दन, कंधे एवं सिर सीधा रखें। भस्त्रिका प्राणायाम अभ्यास के दौरान विशेष खयाल रखें को मुख बिल्कुल बंद रहे।

४- हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर स्थिर कर शरीर को शिथिल करें। दो तीन लंबी गहरी सांस लेकर मन को स्थिर एवं ध्यान को वर्तमान में लाएं।

Bhastrika Pranayama Images

५- Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev अब दोनों नाक से ध्यानपूर्वक धीरे धीरे गहरी सांस भीतर लें। नथुनों को थोड़ी देर बंद करें, सांस भीतर रोके रखें, नथुनों को छोड़ सांस को धीरे धीरे बाहर छोड़ दें।

६- सांस लेते समय फेफड़े फुलाएं एवं छोड़ते समय सिकोड़ने की कोशिश करें। सांस छोड़ते की गति तेज़ी से करें जैसे कि धौकनी करता है। इस प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करता है।

७- Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev इस प्रकार सांसों की गति को लयबद्ध तरीके से लेने एवं छोड़ने से भस्त्रिका प्राणायाम के एक चक्र पूरा होता है। शुरू में एक समय पर कम से कम १० से १२ चक्र पूरा करें।

८- एक चक्र पूरा होने पर कुछ सेकंड का विश्राम लेकर दूसरा चक्र शुरू करें तथा अभ्यास के साथ सांसों की गति बढ़ाते जाएं।

उदाहरण के लिए धीमी गति अर्थात दो सेकंड में एक सांस, माध्यम गति अर्थात एक सेकंड में एक सांस तथा तीव्र गति अर्थात एक सेकंड में दो सांस लें।

९- Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  की गति उपरोक्त परिमाण से समय और अभ्यास के साथ बढ़ाएं।

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Benefits of Bhastrika Pranayama in Hindi/ Bhastrika Pranayama Benefits

Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास करने वालों को अनेकों स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं जिनमे से मुख्य निम्न हैं:

१- सबसे पहला प्रभाव स्वांस पर पड़ने के कारण किसी भी प्रकार की सांस संबंधी समस्या जैसे कि अस्थमा आदि से छुटकारा मिल जाता है।

२- Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev सांसों की स्वच्छता पाचन तंत्र को स्वच्छ ऑक्सीजन देती है, फलस्वरूप पाचन तंत्र में भी सुधार आने लगता है।

३- भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  फेफड़ों को साफ़ करता है तथा बलगम की समस्या को खत्म कर गले को भी साफ़ रखने में मदद करता है।

४- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से गले संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति स्वयं को बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाता है। साथ ही उसकी आवाज़ भी मधुर बनती जाती है इसलिए यह प्राणायाम गायकों को विशेष लाभ देता है।

५- भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है फलस्वरूप शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ने लगती है तथा मसल्स मजबूत होते हैं।

६- इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति का कद काठी सुवस्थित होता है तथा पेट के आस पास की चर्बी घटने से पेट अंदर चला जाता है।

७- सम्पूर्ण शरीर में रक्त संचार बढ़ने से शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा बढ़ जाती है जिससे व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ने लगती है।

८- Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev मन को शांत कर बेकार के विचारों, चिंता तथा डिप्रेशन से मुक्ति दिलाने में भस्त्रिका प्राणायाम मदद करता है।

९- भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  का नियमति अभ्यास हृदय एवं रक्तचाप संबंधी समस्याओं को दूर कर भविष्य में ऐसी किसी भी बीमारी के अंदेशे को खत्म कर देता है।

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Precautions For Bhastrika Pranayam in Hindi
भस्त्रिका प्राणायाम में सावधानियां

नियमित अभ्यास करने वालें कर्मों में लाभ के साथ कुछ छोटी छोटी सावधानियों पर विशेष ध्यान देना अनिवार्य होता है। भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास पूर्व इन सावधानियों पर विशेष ध्यान दें।

१- भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  खाली पेट करें तथा अभ्यास पूर्व नसिकाओं को अच्छी तरह स्वच्छ कर लें।

२- इस प्राणायाम का अभ्यास धीमी गति से शुरू कर तीव्र गति तक ले जाएं ना कि शुरू में ही तीव्र गति का अभ्यास करें।

३- फेफड़े, गले अथवा रक्तचाप की गंभीर बीमारियों के हालात में अभ्यास पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

४- सबसे महत्वपूर्ण सलाह यही है कि भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  पहले किसी योग्य शिक्षक की देख रही में सीखें फिर स्वयं करना शुरू करें।

५-तीव्र सर्दी जुकाम अथवा किसी और कारण से यदि नाक से सांस लेना मुश्किल लग रहा हो या नाक बंद हो तो उसके खुलने तक भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama  का अभ्यासन करें।

FAQS:

1- Bhastrika Pranayama for How long? How many times Bhastrika should be done?

शुरू में कम से कम दस चक्र का अभ्यास करें। नियमित कुछ दिनों के बाद धीरे धीरे चक्रों की संख्या तथा गति बढ़ाते जाएं। गति का अनुमान जानने के लिए पूरा आर्टिकल पढ़ें। आप समय के साथ बढ़ाकर इसे २१ चक्र तक ले जा सकते हैं।

२- Is Bhastrika good for Heart?

एक स्वस्थ व्यक्ति यदि भस्त्रिका अथवा कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करता है तो हृदय को अवश्य लाभ मिलता है। किंतु हृदय रोगियों तथा रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे लोगों को इसका अभ्यास नहीं करने की सलाह है। अपने चिकित्सक से सलाह लें फिर अभ्यास करें क्योंकि आपके चिकित्सक को बीमारी को गंभीरता पता है।

३- Can We Do Bhastrika During Periods?

मासिक धर्म अथवा Periods के दौरान शरीर जितना अधिक आरामदायक अवस्था में हो उतना अच्छा रहता है। भस्त्रिका अथवा अन्य कोई भी परिणाम तीव्र सांसों का अभ्यास है जिसका प्रभाव सम्पूर्ण शरीर के साथ पेट पर अधिक पड़ता है।

मासिक के दरमियान भस्त्रिका या किसी भी अन्य प्राणायाम का अभ्यास ना करें, इससे अधिक रक्तस्राव का खतरा है।

४- Which Pranayama is Best for Heart?

प्राणायाम शरीर के सभी अंगों को लाभ देता है किंतु तीव्र गति से किए जाने वाले प्राणायाम जैसे की कपालभाति अथवा भस्त्रिका नुकसानदायक हो सकते हैं।

रक्तचाप अथवा हृदय रोगियों के लिए अनुलोम विलोम सबसे लाभकारी प्राणायाम है।

Final Words: बाबा रामदेव द्वारा प्रचारित यह भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika Pranayama by Baba Ramdev, यदि नियमित किया जाए तो अनेकों बीमारियों को कुछ हफ्तों में जड़ से मिट सकता है। अपनी दिनचर्या में शामिल कर इसका लाभ अवश्य लें।

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भवतु सब्बै मंगलम!

 

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