Bhagavad Gita Quotes: 60 Life-Transforming Quotes to Live Better Life

Bhagavad Gita Quotes जीने की सर्वोच्च तथा आसान राह दिखाते हैं। अक्सर मैंने सुना है कि गीता में लिखे वाक्य जीवन में उतारना असंभव सा लगता है। मेरा ऐसा मानना है कि ऐसा कहने वाला व्यक्ति स्वयं को पहचान नहीं पाया है। भागवत गीता का गहराई में जाकर हमने अध्ययन किया है। इसे जीवन में उतारने का सरल रास्ता भी ईश्वर ने बताया है। यदि इन वाक्यों पर गहराई से चिंतन करेंगे तो आपकी समझ में आ जाएगा।

ये रहे ७० Bhagavad Gita Quotes जिनको जीवन में उतारकर आप अपने जीवन को सरल तथा आसान बना सकते हैं।

Bhagavad Gita Quotes on Positive Thinking

Bhagavad Gita Quotes on Positive Thinking by MysticMInd

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१- वह, जिसके पास आस्था है उसके पास ज्ञान है; जो स्वयं के साथ शांति से रहता है, जिसका जीवन में विश्वास है, और वह, जो ज्ञान की प्राप्ति करता है उसे जल्द ही सर्वोच्च शांति मिलती है।

२- तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करना है। तुम्हें कर्मों का फल जानने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए तुम्हें सुकर्मों के फल से प्रेरित या अकर्मों के फल से निष्क्रिय नहीं होना चाहिए।

३- कर्म तो ऊर्जा और प्रकृति द्वारा किए जा रहे हैं किंतु अज्ञान तथा अहंकार वश मनुष्य खुद को ही कर्ता मान लेता है।

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४- सुकर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता, ईश्वर सदा अच्छे कर्म करने वालों को पुरस्कृत करता है।

५- यदि महान बनने की इच्छा रखते हो तो अपने विचारों को महान बनाओ और हमेशा सकारात्मक सोचो।

६- सफलता का मात्र एक ही मूल मंत्र है और वह है- आत्म नियंत्रण।

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७- जीवन में शांति लाने के लिए हमेशा संतुलित जीवन जियो।

८- तुम आज वही हो जिसमें तुम्हारा विश्वास था। मनुष्य वही बन जाता है जिसे बनने में वह विश्वास रखता है।

९- जो कुछ भी हुआ अच्छा ही हुआ जो अभी हो रहा है वह भी अच्छे के लिए हो रहा है और जो भविष्य में होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।

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१०- Bhagavad Gita Quotes स्वयं का विनाश करने वाले नरक के 3 दरवाजे हैं- क्रोध लालच और वासना।

११- खाली हाथ तुम आए थे और खाली हाथ ही चले जाओगे। यदि साथ कुछ जाएगा तो वह तुम्हारे कर्मों का खाता।

१२- व्यक्ति स्वयं ही स्वयं का शत्रु बन जाता है। वह चाहे तो अपने मन की शक्तियों का प्रयोग करके ऊपर उठ सकता है या नीचे गिर सकता है।

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१३- तुम अपने लक्ष्य से दूर किसी बाधा की वजह से नहीं होते हो बल्कि इसलिए होते हो क्योंकि तुम्हारा लक्ष्य कम होता है या फिर साफ नहीं होता है।

१४- सबसे ज्यादा प्रिय मुझे वह है जो सुख के पीछे नहीं भागता और दुख से दूर नहीं भागता। जो दुख नहीं मनाता और साक्षी बन कर जीवन जीता है।

१५- वे लोग जो अन्य देवी-देवताओं में विश्वास रखते हैं, तथा उनकी पूजा करते हैं वे दरअसल मेरी ही पूजा करते हैं। उन्हें बस एहसास ही नहीं है कि मेरे बहुत सारे रूप हैं।

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Bhagavad Gita Quotes on Happiness

Bhagavad Gita Quotes on Happiness by MisticMind

१६- खुशियां जो इंद्रियों द्वारा प्राप्त होती हैं, हमेशा दुख का कारण बनती है। ऐसी खुशियों से मनुष्य को दूर रहना चाहिए।

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१७- शांति का अनुभव उस व्यक्ति को होता है जो सभी इच्छाओं से दूर किसी चीज की लालच नहीं करता तथा उसमें कोई अहंकार अथवा हम की भावना नहीं रहती।

१८- वह व्यक्ति जो आध्यात्मिक प्रगति के लिए संकल्पों से दृढ़ रहता है वह किसी भी परिस्थितियों पर शांत तथा खुश रह सकता है। निश्चित रूप से वह व्यक्ति मुक्ति के योग्य व्यक्ति है।

१९- Bhagavad Gita Quotes खुशी मात्र मानसिक स्थिति है इसका बाहर की दुनिया से कोई लेना देना नहीं है।

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२०- इस दुनिया में सभी खुशियों का आरंभ और अंत निश्चित होता है किंतु परमात्मप्राप्ति की खुशी असीमित है क्योंकि इसका कभी अंत नहीं होता।

२१- जिन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हो चुका है वह जीवन से संतुष्ट रहते हैं। खुशियों का स्रोत उन्हें मिल चुका है, उन्हें बाहरी दुनिया में खुशियों की तलाश नहीं होती। असली सुख सिर्फ स्वयं के भीतर ही पाया जा सकता है।

२२- एक उपहार तभी शुद्ध उपहार है जब वह सच्चे दिल से, सही व्यक्ति को, सही समय, सही स्थान पर तथा बदले में बिना किसी उम्मीद के दिया जाता है।

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२३- जिसके मन में संदेह होता है उसके लिए ना ही इस दुनिया में कोई सुख है ना ही इस दुनिया से परे कोई सुख है।

२४- कुछ लोग जिधर जाते हैं वहां खुशियां फैलाते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग खुशियां स्वयं पैदा करते हैं।

२५- वह व्यक्ति जिसकी किसी में आसक्ति नहीं है वह दूसरों से प्रेम कर सकता है। उसका प्रेम शुद्ध और दिव्य होता है। प्रेम के इसी छोटे-छोटे कर्मों में असली खुशी छुपी होती है

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२६- खुशी आत्मा का सच्चा स्वरूप है। आत्मा, जिसे ना ही कभी काटा जा सकता है नहीं जलाया जा सकता है। ना ही यह पानी से भीगती है ना ही हवा से सूखती है।

२७- जीवन को स्वयं के लिए आसान बनाओ, संगठित रहो, वर्तमान में जीना सीखो। दिन प्रतिदिन की छोटी-छोटी गतिविधियों को अपनी खुशियां चुराने का मौका मत दो।

२८- जो व्यक्ति मुझे, सभी जीवों का मित्र, सृष्टि का निर्माता, सभी प्राप्तियों का अंत मानता है तथा आध्यात्मिक विषयों को समझता है उसे अनंत शांति की प्राप्ति होती है।

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२९- जिस व्यक्ति का मन किसी इंद्रिय सुख की तरफ़ जाता है, वहां शौक उत्पन्न होता है, शौक से इच्छा बढ़ती है और इच्छा से क्रोध की उत्पत्ति होती है।

३०- अपने जीवन को पूरी ईमानदारी से जीना उस जीवन से बेहतर है जहां कोई किसी के परिपूर्ण जीवन की नकल करने में दुखी रहता है।

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Bhagavad Gita Quotes on Karma

Bhagavad Gita Quotes on Karma By MysticMInd

३१- कर्मों में आसक्ति मनुष्य को स्वार्थी बनाकर कर्मबंधन पैदा करती है।

३२- Bhagavad Gita Quotes आसक्ति रहित किया गया कर्म निस्वार्थ तथा सुकर्मों की श्रेणी में आता है।

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३३- कर्मों के असली रूप को समझना मनुष्य के लिए कठिन काम है इसलिए अकर्म, सुकर्म तथा विकर्म की गति समझना अत्यंत आवश्यक है।

३४- कर्मयोगी अपने मन, बुद्धि तथा इंद्रियों की मदद से कर्म करता है किन्तु स्वयं को उस कर्म से अनासक्त रखकर आत्म शुद्धि करता है।

३५- त्याग, दान और तपस्या में किया गया विश्वास ही “सत्य” है। सत्य के लिए किया गया कर्म ही सर्वोच्च श्रेणी का कर्म कहलाता है।

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३६- कोई भी कार्य चाहे सही हो या गलत व्यक्ति सर्वप्रथम अपने विचारों में, फिर शब्दों में तथा अंत में कर्म के रूप में करता है।

३७- भगवान उवाच, “किसी भी कार्य को अनासक्त होकर करना चाहिए, यही मेरी सर्वोच्च सलाह है”।

३८- जो अपनी इन्द्रियों से तो नहीं किन्तु मानसिक रूप से भावना भोग के कर्म करते रहते हैं वही लोग पाखंडी कहलाते हैं।

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३९- जीवन के अनिवार्य कार्य करते रहना चाहिए क्योंकि कुछ ना करने से बेहतर कुछ करना है।

४०- आज तो ज्ञानी व्यक्ति भी कर्म और अकर्म के बीच के अंतर को समझने में असमर्थ है।

४१- जो मनुष्य अकर्म में कर्म तथा कर्म में अकर्म देख लेता है वही सभी कर्मों तथा अनुशासन के बीच का ज्ञान रखता है।

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४२- सर्व इच्छाओं, मन, इंद्रियों की आसक्तियों से मुक्त व्यक्ति कोई भी कार्य करता है तो वह पाप रहित होते हैं।

४३- जिसने कभी निस्वार्थ होकर कार्य नहीं किया है, वह व्यक्ति कभी कर्मयोगी नहीं बन सकता है।

४४- Bhagavad Gita Quotes कर्म कुछ और नहीं बल्कि प्रकृति के गुणों का एक उत्पाद है।

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४५- मनुष्य के हाथ, पैर, कानों, आंखें तथा सिर का हर जगह होने का अर्थ है कि रचनाकार अपनी रचना के माध्यम से हर जगह विद्यमान है।

Bhagavad Gita Quotes on Love

Bhagavad Gita Quotes on Love by MysticMind

४६- भक्ति योग के मार्ग पर आत्मा को प्रेम के माध्यम से ठीक किया जाता है तथा मदद का सम्मान किया जाता है। यही प्रेम आत्मा का स्वरूप है।

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४७- वे लोग जो मुझसे प्रेम करते हैं तथा निरंतर सेवा में समर्पित हैं मैं उन्हें ज्ञान देता हूं अपने पास आने के लिए। मैं उनके हृदय में निवास करता हूं और अज्ञान के अंधकार को ज्ञानरूपी दीपक से नष्ट करके उनके ह्रदय में दया भाव भरता हूं तथा उन्हें सही दिशा दिखाता हूं।

४८- यदि कोई मुझे पवित्र प्रेम तथा समर्पण के साथ एक पत्ता, एक फूल, कोई फल या सिर्फ पानी भी अर्पित करता है तो मैं उसे अवश्य स्वीकार कर लूंगा।

४९- Bhagavad Gita Quotes निस्वार्थ सेवा तथा कर्म हृदय में पवित्र प्रेम जगाने से ही संभव होता है।

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५०- मनुष्य जब अपने हृदय को पवित्र प्रेम से भर देता है तो वह स्वतः बाहर प्रवाहित होने लगता है।

५१- प्रेम का अर्थ ही सेवा करना है और सेवा करने का अर्थ है- प्रसन्नता से भरपूर रहना।

५२- जब आप ईश्वर से सच्चा प्रेम करना सीख जाते हैं तब आप उसकी हर रचना से बिना किसी भ्रम और संदेह के प्रेम करने लगते हैं।

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५३- प्रेम करना ही विजय पाने की प्रक्रिया है और विजय होना भी प्रेम ही है।

५४- लोग कहते हैं प्रेम के बिना जीवन निरर्थक तथा बेमानी है। इसलिए ईश्वर प्रेम को स्वीकार मन में सेवा भाव जगाओ ।

५५- परमात्मप्रेम चेतना में ज्ञान का प्रसार करता है इसलिए प्रेम भाव फैलाओ तथा बढ़ाओ।

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५६- इंद्रियां किसी भी निर्जीव पदार्थ से बेहतर है मन इंद्रियों से उच्च और बुद्धि अभी भी मन से ऊंची है किंतु आत्मा इन सब में सर्वोच्च है।

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Bhagavad Gita Quotes Whatever Happens

Bhagavad Gita Quotes Whatever Happens by MysticMind

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५७- परिवर्तन सृष्टि का नियम है। तुम एक पल में कोई करोड़पति और दूसरे ही पल भिखारी बन सकते हो।

५८- जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है। सब कुछ बदलता और वृद्धि करता रहता है। इस सत्य की स्वीकृति तुम्हें धरातल से जुड़े रखती हैं।

५९- मृत्यु से डरना, उस पर दुख करना बेकार है। क्योंकि आत्मा ना ही मरती है ना ही जन्म लेती है। वह तो बस शरीर बदलती रहती है।

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६०- तुम इस दुनिया में खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही इस दुनिया को छोड़ जाते हो। भौतिक वस्तुओं में आसक्ति नहीं रखना ही सच्चा ज्ञान है।

Final Words: यदि आप Bhagavad Gita Quotes के इस ज्ञान को जीवन में धारण करने की मन में ठान लेंगे तो ईश्वर स्वयं राह दिखाने लगते हैं।

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