Bhadrasana Yoga In Hindi:भद्रासनयोग के 10 फायदे व सावधानियाँ

Bhadrasana Yoga पाश्चात्य देशों में ग्रेसियस पोज के नाम से जाना जाने वाला Yoga Bhadrasana एक ऐसा आसन है जो शाही मानसिकता को बढ़ावा देता है। समय के साथ बदलते परिवेश में इंसान अपनी जड़ों तथा संस्कृतियों को भूलता जा रहा है। ध्यान, योग तथा मुद्राओं का अभ्यास ना स सिर्फ़ प्राचीन धरोहरों से जोड़े रखता है बल्कि शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी देते हैं।

भद्रासन योग Bhadrasana Yoga एक ऐसा योग है जिसका संबंध मूलाधार चक्र से है। मूलाधार चक्र मनुष्य जीवन का आधार है, इसलिए इस आसन के अभ्यास से कई विशेष लाभ होते हैं। इस पोस्ट में भद्रासन अभ्यास के सही तरीके के साथ इसके लाभ तथा सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे। इससे पहले भद्रासन का अर्थ तथा इसका रहस्य जानना आवश्यक है।

Bhadrasana Meaning in Hindi भद्रासन योग का अर्थ

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भद्रासन संस्कृत के दो शब्दों भद्र तथा आसन से मिलकर बना है। भद्र का अर्थ शालीन अथवा सज्जन है तथा आसन का अर्थ बैठने का स्थान अथवा अवस्था हैं इस प्रकार इसका शाब्दिक अर्थ ही संकेत करता है कि भद्रासन के अभ्यास से प्राचीन राजसी गुणों का विकास होता है।

Bhadrasana Yoga जैसा कि अपने ऊपर पढ़ा कि भद्रासन मूलाधार को सक्रिय करने में सहायक है तथा मूलाधार चक्र का संतुलन धन, धान्य, सुख शांति तथा प्रसिद्धि का केंद्र है। अतः इस बात में कोई शक नहीं कि भद्रासन का नियमित अभ्यास जीवन बदल सकता है।

मूलाधार चक्र के बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे लिंक पर जाएं।

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मूलाधार चक्र सक्रिय करने की विधि तथा उसके लाभ

Bhadrasana Yoga: Bhadrasana Steps in Hindi भद्रासन कैसे करें

किसी भी योगासन का पूर्ण लाभ तभी मिलता है जब उसका अभ्यास विधिवत किया जाए। अतः भद्रासन के अभ्यास विधि को ध्यान से पढ़ें

१- भद्रासन के लिए जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाएं। भद्रासन के पहले किया गया वज्रासन का अभ्यास अधिक लाभदाई होता है।

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२- Bhadrasana Yoga वज्रासन के अभ्यास के बाद कुछ देर सामान्य अवस्था में रहें तथा सांसों पर ध्यान दें।

३- अब दोनों पैरों को सामने की तरफ़ पूर्ण रूप से फैलाएं। ध्यान रहे कि पीठ अथवा मेरुदंड बिल्कुल सीधी अवस्था में रहे।

४- दाएं पैर को घुटनों के पास से मोड़कर बाएं पैर की जांघ के पास लाएं। अब बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर दाएं पैर के तलवे से मिला दें।

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५- दोनों तलवों को एक दूसरे से मिलाकर दोनों हथेलियों से एक साथ पकड़ लें। घुटनों को ज़मीन पर टिकाएं रखें।

६- Bhadrasana Yoga तलवों को हाथ से पकड़ कर पीछे अर्थात मूलाधार चक्र की ओर ले जाएं। जितनी दूर आसानी से जाए उतनी दूर ले जाकर एक स्थान पर टिका दें।

७- इसी मुद्रा में स्वयं को सहज कर आंखें बंद करें तथा सांसों पर ध्यान दें। २५-३० गिनती तक इस रुके रहें।

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८- इसके बाद हाथों को तलवों से हटाकर कूल्हों के बगल ज़मीन पर टिका दें तथा पैरों को एक एक कर बिल्कुल सीधा फैला लें।

९- इस प्रकार भद्रासन का एक चक्र पूरा हुआ। बेहतर लाभ के लिए कम से कम चार से पांच चक्र भद्रासन का अभ्यास नियमित करें।

Bhadrasana Yoga: Bhadrasan Benefits in Hindi

भद्रासन अभ्यास से होने वाले लाभ

१- भद्रासन के नियमित अभ्यास से पैरों के घुटने तथा जांघें मजबूत होती हैं।

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२- इस आसन के नियमित अभ्यास से अंडाशय तथा गर्भाशय संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।

३- भद्रासन से पैरों, जांघों तथा नितंबों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा अतिरिक्त वसा से मुक्ति मिलती है।

४- Bhadrasana Yoga पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं को दूर कर उनको सुचारु रूप से चलाने में भद्रासन सहायता करता है।

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५- मेरुदंड को मजबूत तथा लचीला बनाकर हड्डियों संबंधी अन्य बीमारियों में भी लाभ देता है।

६- कमर दर्द की अवस्था में भद्रासन शारीरिक तथा मानसिक दर्द से निजात दिलाने में सहायक है।

७- नियमित भद्रासन का अभ्यास स्त्रियों में मासिक संबंधी समस्याएं दूर करता है तथा प्रसव में आसानी होती है।

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८- भद्रासन के नियमित अभ्यास से प्रजनन शक्ति बढ़ने के साथ गुदा द्वार अथवा मूत्राशय संबधी बीमारियों से मुक्ति मिलती है।

९- भद्रासन का सही अभ्यास मन को शांत, एकाग्र तथा मस्तिष्क को अत्यंत शक्तिशाली बनाता है।

१०- भद्रासन के नियमित अभ्यास से रूट अर्थात मूलाधार चक्र संतुलित होता है।

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Bhadrasana Yoga Pose Precautions भद्रासन अभ्यास में सावधानियां

१- कमर, घुटने अथवा पीठ में असह्य पीड़ा की अवस्था में भद्रासन का अभ्यास योग्य शिक्षक की मदद से करें।

२- गर्भवती महिलाएं हमेशा भद्रासन का अभ्यास शिक्षक की मदद से तथा उनकी उपस्थिति में ही करें।

३- गर्दन में दर्द, डायरिया की अवस्था अथवा उच्च रक्तचाप की अवस्था में भद्रासन का अभ्यास वर्जित है।

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४- भद्रासन का एक चक्र जितने समय में आसानी से होता है करें, शरीर के साथ जोर जबरदस्ती बिल्कुल न करें।

५- सुबह खाली पेट अथवा दिन के dusre समय से भोजन के ३ से ४ घंटे बाद ही भद्रासन का अभ्यास करें।
किसी भी आसन का अभ्यास यदि सहायक आसन के साथ किया जाए तो प्रभावी लाभ शीघ्र अति शीघ्र मिलता है।

भद्रासन योग से पहले किए जाने वाले आसन

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भद्रासन योग के पहले वज्रासन, वीरासन, वृक्षासन तथा सुप्त पदांगुष्ठासन का अभ्यास अति प्रभावी माना जाता है।

भद्रासन योग के बाद किए जाने वाले आसन

भद्रासन योग के पश्चात उत्तानासन अधोमुख श्वनासन, भुजंगासन तथा अंत में शवासन का अभ्यास अवश्य करें।

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Final Words: आसनों में नियमित Bhadrasana Yoga का अभ्यास करने से अनेक लाभ होते हैं जो संतुलित जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि आपको जानकारी लाभदायक लगी हो तो कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।

दूसरों को भी इस आर्टिकल से लाभ हो इसलिए दूसरों के साथ अवश्य साझा करें।

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