वीरभद्रासन अभ्यास की सही विधि तथा 9 लाभ | Benefits of Virabhadrasana in Hindi

Health Benefits of Virabhadrasana in Hindi | Virbhadrasana Benefits in Hindi |  Virbhadrasana Information in Hindi |  Virbhadrasana Steps in Hindi | Virbhdrasana precautions in Hindi

भारत के साथ पूरे दुनिया में योग का महत्व बढ़ता ही जा रहा है और ज्यादा से ज्यादा लोग योग को अपने दिनचर्या में शामिल करते जा रहे हैं। योग से मिलने वाले लाभों से लोग बहुत ही ज्यादा प्रभावित हैं।

मनुष्य जीवन समस्याओं से भरा हुआ है और उसे उन समस्याओं से निपटने की शक्ति इन योगासनों से मिलती है। ऐसे में ही एक योगासन है,  वीरभद्रासन जिसके बारे में आज किस आर्टिकल में आपको विस्तृत जानकारी मिलेगी।

आजकल के भाग दौड़ भरी जिंदगी में योग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे कि आप स्वयं को Stress-Free रखने के साथ साथ शक्तिशाली और उर्जावान बनाए रख सकते हैं।

Mystic Mind के इस आर्टिकल में हम आपके साथ वीरभद्रासन क्या है, इसे कैसे करते हैं तथा इसके अभ्यास की सही विधि के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। 

वीरभद्रासन से होने वाले शारीरिक एवं मानसिक लाभों |  Health Benefits of Virabhadrasana को जानने से पहले जानते हैं कि वीरभद्रासन क्या है? 

वीरभद्रासन क्या है ? | What is Virabhadrasana in Hindi?

वीरभद्रासन संस्कृत के दो शब्दों विदर्भ तथा आसन से मिलकर बना है। विदर्भ भगवान शिव का नाम और आसन का अर्थ शरीरीक अवस्था से है। इस प्रकार यह एक ऐसा आसन है जिसमें शरीर की अवस्था भगवान शिव के आकार से मिलती है।

जैसा कि वीरभद्रासन नाम से ही प्रतीत होता है कि यह योग वीरता का प्रतीक है। दरअसल इस योगासन में उपयोग किए गए नाम में जो वीरभद्र है वह भगवान शिव का एक रूप है जो कि एक योद्धा है और इसीलिए इस योगासन को वारियर पोज़ के नाम से भी जानते हैं।

Virabhadrasana करने के बहुत ही ज्यादा फायदे हैं, और यही नहीं Virabhadrasana योग के तीन प्रमुख अलग-अलग मुद्रा है। यानी कि Virabhadrasana योग अन्य योग की तरह सिर्फ एक मुद्रा पर ही आधारित नहीं है बल्कि इसको करने के लिए अलग-अलग मुद्राएं मौजूद है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Virabhadrasana योग के लिए जितनी भी मुद्राएं हैं फिर वह चाहे Virabhadrasana 1, Virabhadrasana 2 या फिर Virabhadrasana 3 हों, इन सब के अलग-अलग लाभ है। तो इसके लिए अगर आप उत्साहित हैं तो आप इस लेख को पूरा पढ़ें।

वीरभद्रासन अभ्यास की विधि जानने से पहले जानते हैं कि इस आसन के नियमित अभ्यास के क्या लाभ |  Health Benefits of Virabhadrasana होते हैं। Or What are the benefits of warrior one?

वीरभद्रासन के लाभ | Virabhadrasana Benefits in Hindi

१- वीरभद्रासन अभ्यास के दौरान उत्पन्न सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव होता है। खिंचाव के कारण आपके शरीर के मसल बहुत ही ज्यादा मजबूत बन जाते हैं।

२- वीरभद्रासन के नियमित अभ्यास से नसिकाएं भी प्रभावती होती हैं। नसिकाओं पर बल पड़ने से स्वसन नलिका स्वच्छ बनती है जो सांसों के संचार प्रक्रिया को स्वस्थ बनाती हैं। 

३- सांसें जो जीवन का मुख्य स्रोत हैं, इनके सुचारू रुप से चलने और पहले से बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिलने से अनेकों शारीरिक लाभ भी होतेहैं। 

फलस्वरूप आप पहले से अधिक उर्जावान, स्वस्थ एवं आत्म विश्वासी लगने लगते हैं।

४- वीरभद्रासन के नियमित अभ्यास से घुटनों एवं टखनों पर भारी असर पड़ता है। उन जोड़ों पर ऊर्जा एवं रक्त संचार बढ़ जाता है। फलस्वरूप इससे आपके घुटने और टखने बहुत ही ज्यादा लचीले बनते जाते हैं ।

५- वीरभद्रासन के अभ्यास के दौरान कमर एवं पेट पर शरीर का भार पड़ता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से कमर पेट एवं नितंबों पर जमा अधिक चर्बी घटने लगती है। परिणाम स्वरूप मोटापे से मुक्ति मिलती है एवं शरीर सुडौल बनता है। 

६- Strengthen Your Legs नियमित रूप से वीरभद्रासन के अभ्यास से रीड की हड्डी लचीली एवं मजबूत बनती है। रीढ़ की हड्डी में उर्जा संचार बढ़ने के कारण कई अन्य शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। 

७- अक्सर मनुष्य शरीर के निचले हिस्सों के स्वास्थ्य को अनदेखा कर देता है। फल स्वरूप अनेक गुप्तांगों संबंधी बीमारियां होने लगती है। वीरभद्रासन का अभ्यास शरीर के निचले एवं आंतरिक मांसपेशियों में उर्जा एवं रक्त संचार बढ़ाता है। 

८-‌ Stretches The Chest Lungs Shoulders वीरभद्रासन के अभ्यास के दौरान कंधों एवं गर्दन पर भी असर पड़ता है। यहां ऊर्जा एवं रक्त का संचार बढ़ता है जो गर्दन के दर्द को कम करके कंधों को मजबूत बनाता है। गर्दन का स्वास्थ्य मस्तिष्क पर भी प्रभाव डालता है।

९- Strength And Stability  इस प्रकार वीरभद्रासन जैसे अद्भुत आसन के नियमित अभ्यास से मानसिक एवं शारीरिक लाभों को पाया जा सकता है तथा अनेक बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। 

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वीरभद्रासन योग से जुड़ी हुई धार्मिक मान्यता

इस योगासन का नाम Virabhadrasana है और यह हिंदू धर्म से संबंध रखती है तो इसके लिए आपको इसके पीछे की कहानी को जाने ना बहुत ही ज्यादा जरूरी है जिसके बाद आप इस योगासन को आसानी से समझ सकते हो। और इसके बाद Virabhadrasana योग करना आप लोगों के लिए कुछ हद तक आसान भी हो जाएगा।

जैसा कि आप लोग जानते होंगे कि जब भगवान शिव के अपमान के कारण माता सती में अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपने आप को भस्म कर दिया। जिसके बाद भगवान शिव बहुत ही ज्यादा क्रोध में आ गए और उनके इसी क्रोध के कारण वीरभद्र का जन्म हुआ।

वीरभद्र ने फिर एक थाली में बहुत ही ज्यादा युद्ध किया और इसी के साथ माता सती के पिता दक्ष जिसके कारण माता सती ने अपना आत्मदाह किया था उनके सिर को काट डाला। यही कहानी है पूरे इस योगासन के उत्पत्ति में आने की।

आज हम लोग Humble Warrior Pose योग के मुख्य तीन मुद्रा के बारे में पढ़ते हैं इन तीनों मुद्राओं का निर्माण वीरभद्र के इसी युद्ध को ध्यान में रखकर किया गया।

जिस समय वीरभद्र माता सती के आत्मदाह का बदला लेने के लिए धरती से प्रकट हुए उस समय की उनकी मुद्रा को ध्यान में रखकर Virabhadrasana 1 योगासन का निर्माण किया गया।

जरूर वीरभद्र ने दक्ष को क्रोधित होकर देखा तो उस समय के वीरभद्र के मुद्रा को ध्यान में रख कर Virabhadrasana 2 योगासन का निर्माण किया गया।

अंत में जब वीरभद्र ने क्रोध में आकर दक्ष का सिर काट के अलग कर दिया तो उस मुद्रा को ध्यान में रखते हुए Virabhadrasana 3 योगासन का निर्माण किया गया।

Virabhadrasana योगासन के बारे में जैसा कि आपको पूर्व से ज्ञात होगा कि यह एक योद्धा को ध्यान में रखकर बनाई गई योगासन है। इसीलिए इस योगासन में किए गए मुद्रा से, जो इस योगासन को करता है उसके शरीर में योद्धा जैसे स्फूर्ति, बल और तंदुरुस्ती आ जाती है।

वीरभद्रासन के लाभों | Benefits of Virabhadrasana को जानने के बाद मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इसके सही अभ्यास की विधि जानना चाहते हैं।

इन लाभों को पानी के लिए आवश्यक है कि इस आसन का अभ्यास सही तरह से किया जाए। आइए जानते हैं कि वीरभद्रासन की अभ्यास की सही विधि क्या How To Do Virbhadrasana In Hindi है? ‌

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वीरभद्रासन अभ्यास की सही विधि |  Steps of Virbhadrasana in Hindi

Benefits of Virabhadrasana Images

१ – वीरभद्रासन के अभ्यास के लिए किसी शाम तक एवं हवादार स्थान पर चटाई बिछाकर, ताड़ासन अवस्था में खड़े हो जाएं। 

२- सांस भीतर ले तथा दोनों पैरों के बीच 4 फीट की दूरी बना लें। अब अपने बाएं पैर को मोड़ते हुए नीचे झुके एवं दाहिने पैर फैलाए‌ रखें। कोशिश करें कि दोनों पैरों के पंजे एक सीध में रहें।

३- अब दोनों हाथों को सीधा उठाते हुए ऊपर की ओर ले जाएं, हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में करें तथा कमर के ऊपर के हिस्से को बिल्कुल सीधा रखें। 

४- आंखें बंद कर ध्यान बिल्कुल सहस्रार चक्र पर केंद्रित करें। ऐसा करने से आकाशी ऊर्जा आपके संपूर्ण शरीर में प्रवाहित होने लगती है। 

५- जितनी देर संभव हो इसी अवस्था में खड़े रहे फिर धीरे-धीरे दोनों हाथों को पूर्ववत नीचे की ओर ले जाएं। दाहिने पैर को बाएं पैर के पास लाएं तथा सीधे खड़े हो जाएं। 

६- इस प्रकार ताड़ासन अवस्था में आने से वीरभद्रासन का एक चक्र पूरा होता है। ठीक इसी प्रकार दूसरे पैरों के साथ भी अभ्यास करें। 

वीरभद्रासन के लाभों | Benefits of Virabhadrasana एवं स्टेप्स को जानने के बाद आइए जानते हैं कि इसके नियम एवं सावधानियां क्या-क्या 

अत्यंत लाभकारी एवं आसान से आसान को करने से पूर्व तथा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। 

वीरभद्रासन सावधानियां | Virabhadrasana Precautions in Hindi

वीरभद्रासन वारियर पोज़ को अगर आप करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको अपने दोनों हाथों को अपने सर के ऊपर ले जाना है जिससे कि आपके हाथों में खिंचाव उत्पन्न हो। इसमें आपको एक और बात का ध्यान रखना है।

१- जब आप अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं तो आपके सिर के तरफ से भी ऐड खिंचाव उत्पन्न हो जो कि आप के छाती तक जाए। इसको करने के लिए सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जो बात है वह है कि आपके एक पैर से दूसरे पैर की दूरी बहुत ही ज्यादा होनी चाहिए।

२- इस योगासन को करने के लिए किसी खास तरह की सहायता की जरूरत नहीं है बल्कि इससे कोई ऐसा व्यक्ति भी कर सकता है जो कि योग पहले बाहर भी शुरू कर रहा हो क्योंकि यह योगासन वीरभद्रासन योग में सबसे आसान योग है जिसके बहुत से लाभ हैं।

३- उच्च रक्तचाप अथवा जिन्हें हृदय रोग की समस्या है वे लोग इस आसन का अभ्यास करने से बचें। अथवा अपने चिकित्सक से सलाह लेकर किसी योग्य शिक्षक की निगरानी में ही करें। 

४- यदि आपको कंधों अथवा हथेलियों मैं कोई शारीरिक समस्या है तो आप कंधों को ऊपर उठाने की बजाए सामने की ओर फैला सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहूं तो दोनों हाथों को सीधी अवस्था में फैला सकते हैं। 

५- वीरभद्रासन का अभ्यास शुरुआती दिनों में 1 मिनट तक करें। धीरे-धीरे आप अभ्यास की अवधि को बढ़ा सकते हैं। शारीरिक क्षमता के अनुसार ही अभ्यास की अवधि रखें। 

वीरभद्रासन से होने वाले फायदे |  Amazing Health Benefits of Virabhadrasana एवं इसके अभ्यास की विधि जानने के बाद जानते हैं कि इस आसन के सहायक आसन कौन-कौन से हैं? 

वीरभद्रासन के बात करने वाले सहयोगी आसन

वीरभद्रासन के अभ्यास के बाद वीरभद्रासन दो, दंडासन, पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास से शरीर में से तनाव दूर होता है। 

इन सारे आसनों को एक साथ करने से कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। 

Final Words : उम्मीद है वीरभद्रासन के इन लाभों | Health Benefits of Virabhadrasana को जानने के बाद आप अपनी दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर इस आसन के अभ्यास को अवश्य आजमाएंगे। 

यदि आपको यह लेख उपयोगी एवं जानकारी भरी लगी हो तो इसे दूसरों के साथ साझा कर उनका स्वास्थ्य बढ़ाने में सहयोग दें। 

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सबका मंगल हो

 

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