Benefits of Dhanurasana in Hindi शरीर से बीमारियों को दूर रखने के लिए शरीर में रक्त एवं ऊर्जा का संचार संतुलित होने अति आवश्यक होता है। जिसके लिए योग आसनों का अभ्यास सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
क्या आपको पता है कि शरीर की चर्बी मात्र अनावश्यक भोजन ही नहीं बल्कि तनाव एवं भावनात्मक असंतुलन का भी परिणाम है।
योग आसन तथा अन्य शारीरिक व्यायाम शरीर में जमा अनावश्यक चर्बी, तनाव एवं भावनात्मक कचरे को बाहर निकालने में मदद करता है।
शरीर जितना अधिक लचीला होता है उतना ही अधिक बीमारियों से दूर रहता है। शरीर को लचीला बनाने वाले आसनों में एक आसन धनुरासन है।
धनुरासन/ Dhanurasana Yoga एक ऐसा अभ्यास है जो न सिर्फ़ शरीर के अंगों को संतुलित रूप से कार्य करने में मदद करता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी देता है। रीढ़ की हड्डी जो शरीर के संतुलित संचालन में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है, उसे लचीला बनाने के लिए एक प्रभावी आसान धनुरासन है।
MysticMind के इस आर्टिकल में धनुरासन संबंधी सभी जानकारियां जैसे कि Steps And Benefits of Dhanurasana, How to Do Dhanurasana And Dhanurasana Precautions को विस्तार से जानेंगे।
धनुरासन से मिलने वाले अन्य महत्वपूर्ण लाभों को जानने से पहले जानते हैं कि Steps And Benefits of Dhanurasana धनुरासन क्या है तथा इसके अभ्यास की सही विधि क्या है?
Dhanurasana Information in Hindi/ Bow Pose
धनुरासन संस्कृत के दो शब्दों धनु एवं आसान से मिलकर बना है। धनु का अर्थ धनुष एवं आसान शरीर की विशेष मुद्रा है।
इस प्रकार देखा जाए तो जैसे धनुष का लचीलापन बाण की गति को निर्धारित करता है उसी प्रकार शरीर का लचीलापन शरीर की उम्र एवं स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
इसमें कोई शक नहीं कि शरीर को लचीला बनाने के लिए मेरुदंड का अहम स्थान है। यह आसन मेरुदंड को सर्वाधिक प्रभावित करता है।
साथ ही इसके अन्य कई विशेष लाभ हैं, जिनके बारे में विस्तार से जानने से पहले जानते हैं कि Dhanurasana Steps/ धनुरासन अभ्यास की सही विधि क्या है?
How to Do Dhanurasana in Hindi/ धनुरासन अभ्यास की विधि
#१ सर्वप्रथम किसी शांत, हवादार स्थान पर समतल भूमि देखकर योग मैट अथवा चटाई बिछाकर उसपर बैठ जाएं।
#२ धनुरासन अभ्यास से पहले पांच से दस बार अनुलोम विलोम अथवा नाड़ी शोधन का अभ्यास करें। इस प्रकार शरीर में रक्त संचार बढ़ने के साथ ध्यान वर्तमान में एवं उचित स्थान पर आ जाता है।
#३ अब पेट के ज़मीन की ओर करके लेट जाएं एवं शरीर की बिलकुल सीधा रहने दें।
#४ धीरे धीरे दोनों पैरों को ऊपर उठाकर घुटने से मोड़ते हुए कूल्हों तक ले आएं एवं दोनों हाथों से पैरों के दोनों टखनों को पकड़ लें।
#५ पैरों को हाथों से ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करने के साथ छाती से ऊपर का हिस्सा एवं कमर से नीचे का हिस्सा ऊपर की ओर उठाएं।
#६ जितना संभव हो पैरों एवं सिर को पास लाने को कोशिश करते रहें। ध्यान रहे किसी भी प्रकार की शरीर के साथ जबरदस्ती न करें। यह मुद्रा धनुष शरीर को धनुष का आकार देती है।
#७ मन में कम से कम तीस से पचास तक की गिनती गिनने तक इसी अवस्था में रहें तथा ध्यान दें कि शरीर के किस हिस्से में तनाव हो रहा है।
#८ धीरे धीरे छाती के ऊपर का हिस्सा जमीन पर ले आएं, हाथों से पैरों को छोड़ दें एवं शरीर को सामान्य अवस्था में लाएं अर्थात बिलकुल सीधा होकर लेट जाएं।
#९ इस प्रकार धनुरासन का एक चक्र पूरा होता है। एक समय पर दो से तीन बार धनुरासन का अभ्यास कर सकते हैं। दोबारा करने के लिए उपर्युक्त प्रक्रिया दोहराएं।
इस प्रकार धनुरासन के नियमित तीन से चार चक्र का अभ्यास शरीर को स्वास्थ्य एवं ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है।
आइए विस्तार से देखते हैं कि Dhanurasna Benefits in Hindi/धनुरासन के नियमित अभ्यास से क्या क्या लाभ होते हैं?
Benefits of Dhanurasana Yoga in Hindi/धनुरासन के लाभ
#१ धनुरासन के नियमित अभ्यास से शरीर के सभी हड्डियों एवं जोड़ मजबूत बनते हैं।साथ ही शरीर में चुस्ती फुर्ती बढ़ने के साथ लचीलापन भी बढ़ता है।
#२ पेट पर तनाव पड़ने के कारण पेट के स्नायु तंतुओं पर प्रभाव पड़ता है जिससे पेट के आस पास की अतिरिक्त चर्बी कम होने लगती है तथा पाचन तंत्र बेहतर बनता है।
#३ धनुरासन के अभ्यास से मेरुदंड पर खिंचाव होता है जिससे पीठ एवं कंधे के दर्द से छुटकारा मिलता है। साथ ही मेरुदंड मजबूत एवं लचीला बनता है।
#४ पेट संबंधी बीमारियां जैसे कि भोजन का न पचना, भूख न लगता, गैस बनना एवं कब्ज जैसे लंबी समस्याएं भी कुछ ही हफ्तों के अभ्यास से दूर होने लगती हैं।
#४ धनुरासन के अभ्यास से गले एवं छाती पर प्रभाव पड़ने के कारण फेफड़े एवं श्वसन नलिकाओं में सुधार आता है जिससे सांसों की बीमारियों का डर नहीं रहता है।
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#५ धनुरासन के नियमित अभ्यास से सुषुम्ना नाड़ी में ऊर्जा का प्रवाह सुचारू हो जाता है एवं कुंडलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है।
#६ गले संबधी समस्याएं जैसे कि थायराइड अथवा अन्य किसी भी बीमारी से लाभ मिलता है।
#७ धनुरासन के नियमित अभ्यास से सिर में उर्जा एवं रक्त का संचार सुचारू होने लगता है जिससे तनाव, किसी भी प्रकार का भय अथवा चिंता से मुक्ति मिलती है।
#८ सुबह सुबह किया गया धनुरासन का अभ्यास सम्पूर्ण दिन के को ऊर्जावान एवं उत्साहित बना देता है। साथ ही कार्य क्षमता को भी बढ़ाता है।
#९ धनुरासन के नियमित अभ्यास से बाजू, जांघ एवं छाती के मसल्स खुलते हैं एवं इनका सही विकास होता है। साथ ही शरीर के पोश्चर में भी सुधार होता है।
Spiritual Benefits of Dhanurasana in Hindi
धनुरासन के नियमित अभ्यास से शरीर के आठों चक्रों को सक्रिय होने में मदद मिलती है। अंततः सभी चक्र खुलने के साथ कुंडलिनी शक्ति के जागरण से अनगिनत मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक लाभ मिलते हैं।
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Dhanurasana Benefits for Skin/ Benefits of Dhanurasana
धनुरासन के अभ्यास से पेट के निचले हिस्से पर तनाव पड़ता है जिससे पाचन तंत्र सुधरता है एवं शरीर से सभी अनावश्यक तत्व बाहर निकल जाते हैं।
शरीर के डिटॉक्स होने का सबसे अधिक प्रभाव त्वचा पर पड़ता है और त्वचा पहले से स्वस्थ एवं चमकदार बनती है।
Disadvantages Of Dhanurasana in Hindi
धनुरासन का सही अभ्यास करने से किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं बल्कि लाभ हो होते हैं।
किंतु सही प्रकार से और कुछ विशेष बातों पर ध्यान देने के बाद ही इस आसन का अभ्यास पूर्ण रूप से लाभ देते है।
Benefits of Dhanurasana जानने के साथ नीचे कुछ बातें दी गई हैं जिन पर विशेष रूप से ध्यान देना आवश्यक है।
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Dhanurasana Precautions in Hindi
धनुरासन/Dhanurasana Pose का अभ्यास शुरुआती दिनों में कठिन हो सकता है किंतु नियमित अभ्यास से कुछ ही दिनों में लंबे समय तक इस अवस्था में रह सकते हैं। इसके अभ्यास से पहले एवं अभ्यास के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान दें।
#१ धनुरासन के अभ्यास से कुछ घंटे पहले एवं कुछ घंटे बाद तक बिलकुल कुछ खाएं पिएं नहीं।
#२ गर्भावस्था के दौरान इस आसन का अभ्यास पूर्ण रूप से वर्जित है।
#३ जोड़ों, कमर अथवा किसी भी प्रकार को हड्डियों को गंभीर समस्या की अवस्था में इस आसन का अभ्यास न करें।
#४ गर्दन में किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर धनुरासन का अभ्यास न करें। अथवा चिकित्सक की सलाह एवं योग्य शिक्षक को निगरानी में ही करें।
#५ शुरुआती दिनों में शिक्षक की निगरानी में इस आसन का सही अभ्यास सीखें बाद में स्वयं करना शुरू करें।
FAQS
#1 पानी पीने के कितनी देर बाद प्राणायाम करना चाहिए?
योग, प्राणायाम अथवा कोई भी अन्य व्यायाम करने के कम से कम तीस से पैंतालीस मिनट बाद पानी पीना चाहिए। समय का ये अंतराल व्यायाम का पूर्ण लाभ देता है।
#२ सबसे पहले कौन सा प्राणायम करना चाहिए?
योग प्राणायाम अथवा मुद्राओं के अभ्यास से पहले किया गया नाड़ी शोधन प्रणायाम अत्यंत लाभकारी होता है।
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#३ सुबह कितने बजे उठकर योग करना चाहिए?
सुबह चार से साढ़े पांच का समय ध्यान, योग एवं प्राणायाम के अभ्यास के लिए सर्वोत्तम समय है। दूसरे शब्दों में कहूं तो सूर्योदय के पहले उठकर योग करना चाहिए।
4#अनुलोम विलोम दिन में कितनी बार करनी चाहिए?
अनुलोम विलोम सांसों का ऐसा अभ्यास है जिसमें आप साक्षी होकर सांसों को भीतर लेते हैं एवं बाहर छोड़ते हैं। इसके अभ्यास से शरीर से सारी नकारात्मक ऊर्जा, तनाव बाहर निकल जाती है।
सबसे महत्वपूर्ण, स्वासन नलिका स्वच्छ होती है। इसलिए सुबह सूर्यास्त के पहले दस से पंद्रह मिनट इसका अभ्यास शरीर में रक्त एवं ऊर्जा के संचार को संतुलित रखता है।
Final Words: उम्मीद है धनुरासन के सारे लाभों/ Benefits of Dhanurasana के बारे में जानने के बाद आप अपनी दिनचर्या में कुछ मिनटों के लिए इसका अभ्यास अवश्य करेंगे।
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स्वस्थ रहें, सबका भला हो
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