अष्टांग नमस्कार की सही विधि एवं लाभ – How to do Asthanga Namaskara in Hindi

सूर्य नमस्कार में समाहित 12 योगासनों में सबसे महत्वपूर्ण आसन Ashtanga Namaskara/ अष्टांग नमस्कार है। दुर्भाग्यपूर्ण है इस आसन का अभ्यास अक्सर लोग विशेष तौर पर ना करके मात्र सूर्य नमस्कार के अंतर्गत करते हैं।

अष्टांग नमस्कार के अभ्यास से होने वाले लाभों को जानने के बाद आप विशेष तौर से इस आसन का अभ्यास अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करेंगे।

नमस्कार, भारतीय परंपरा को समृद्ध बनाने में इस मुद्रा का विशेष योगदान रहा है। यही कारण है की अष्टांग नमस्कार को सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में समाहित किया गया है।
आज भी ऋषि-मुनियों तथा ईश्वर की प्रतिमा के सामने भारतीय लोग नम्रता से भूमि को स्पर्श करते हुए प्रणाम करते हैं तथा अपना आदर सम्मान व्यक्त करते हैं।

अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskara नए लोगों के लिए महत्वपूर्ण आसनों में से एक है।

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Mystic Mind के इस आर्टिकल में अष्टांग नमस्कार का अर्थ क्या है, इसके अभ्यास की सही विधि, अष्टांग नमस्कार से होने वाले लाभ एवं अभ्यास के समय बरतने वाली सावधानियों अर्थात Ashtanga Namaskara Information in Hindi में विस्तृत जानकारी लेंगे।

अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskara Pose के अभ्यास की सही विधि जानने से पहले जानते हैं अष्टांग नमस्कार का अर्थ क्या है?

अष्टांग नमस्कार क्या है? Ashtanga Namaskara Meaning in Hindi

संस्कृत के 2 शब्दों अष्ट एवं अंग से मिलकर अष्टांग शब्द बना है। अष्ट का अर्थ आठ एवं अंग अर्थात शरीर के विभिन्न अंग। इस प्रकार देखा जाए तो अष्टांग नमस्कार का अर्थ होता है प्रणाम कि वह विधि जिसमें शरीर के 8 अंगों का प्रयोग किया जाता है।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskar मात्र एक योगासन नहीं बल्कि इस असम के माध्यम से समर्पण एवं आस्था का प्रदर्शन किया जाता है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं सूर्य नमस्कार अपने आप में एक मात्र ऐसी विधि है जिसके अभ्यास से शरीर के संपूर्ण अंगों में उर्जा एवं रक्त का प्रवाह किया जा सकता है। शारीरिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार से अष्टांग नमस्कार एक विशेष लाभ देता है।

यही कारन है कि अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskara को सूर्य नमस्कार में शामिल किया है। अष्टांग नमस्कार के अभ्यास से मिलने वाले अन्य लाभों को जानने से पहले इसके अभ्यास की सही विधि की जानकारी अत्यंत आवश्यक है।

आइए देखते हैं अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskara Pose/Eight Limbed Pose का अभ्यास कैसे करें।

अष्टांग नमस्कार के अभ्यास की सही विधि

How to do ओshtanga Namaskara in Hindi

सूर्य नमस्कार से भिन्न होकर अष्टांग नमस्कार का अभ्यास करने के लिए निम्न स्टेप्स को अपनाएं।

#१ सर्वप्रथम चटाई पर वज्रासन की अवस्था में बैठें तथा 4 से 5 लंबी गहरी सांस लें। स्वयं को अष्टम नमस्कार के अभ्यास के लिए तैयार करें।

#२ दोनों हाथों को सामने की ओर से ला कर जमीन पर रखें । ध्यान रहे की हथेलियां जमीन पर तथा सम्पूर्ण बाहें ऊपर की ओर रहे।

#३ अब शरीर के निचले हिस्से को जमीन से ऊपर उठाएं तथा शरीर को पूर्ण रूप से जमीन पर लिटा दें।

#४ क्रमबद्ध तरीके से शरीर के कुछ अंगों को जमीन पर रखें तथा शेष को जमीन से ऊपर उठाएं। ठुड्डी, छाती, पैरों के दोनों घुटने एवं पैरों की उंगलियों को जमीन पर रखें।

#५ शरीर के बाकी अंग जैसे कि सिर, गर्दन, कमर एवं टखने जमीन के ऊपर रखें। इस प्रकार यदि गौर करेंगे तो पाएंगे कि अष्टांग नमस्कार के अभ्यास में एक समय पर शरीर के 8 अंगो का प्रयोग किया जाता है।

#६ शरीर को अष्टांग योगा पोज में लाने के बाद सांस भीतर ली तथा “ओम पूषणे नमः” का उच्चारण करें। इस मंत्र का अर्थ है,” मैं सम्पूर्ण विश्व को ऊर्जा प्रदान करने वाले ईष्ट सूर्यदेव को नमन करता हूं”।

#७ शरीर का संपूर्ण बार उन अंगों पर डालें जो जमीन पर है तथा 20 से 25 सेकंड तक इसी अवस्था में रहें। इसके बाद पैरों से शुरू कर एक-एक अंग को जमीन पर रखना शुरू करें तथा कुछ विश्राम की अवस्था में रहें।

#८ कुछ समय के विश्राम के बाद आप Ashtanga Namaskara का अभ्यास दोबारा कर सकते हैं। तीन से चार चक्र अष्टांग नमस्कार का अभ्यास नए लोगों के लिए अत्यंत लाभदायक है।

सूर्य नमस्कार की कड़ी में अष्टांग नमस्कार के बाद भुजंगासन का अभ्यास किया जाता है। आप चाहे तो इस के बाद भुजंगासन का अभ्यास कर सकते हैं।

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अष्टांग नमस्कार पोज की सही विधि Ashtanga Namaskara Procedure जानने के बाद जानते हैं इसका अभ्यास क्यों करना चाहिए।

नियमित रूप से अष्टांग नमस्कार योग Ashtanga Namaskara Pose का अभ्यास करने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं।

अष्टांग नमस्कार योग के लाभ Benefits of Ashtanga Namaskara in Hindi

#1 अष्टांग योग के नियमित अभ्यास से कमल घुटने एवं कंधों के जोड़ लचीले एवं हड्डियां मजबूत बनती हैं।

#२ नियमित रूप से अष्टांग योग का अभ्यास एवं कमर के आसपास के जमा पुरानी चर्बी को घटाने में मदद करता है एवं कमर को सुडौल बनाता है।

#३ हाथों के पंजे एवं पैरों की उंगलियों को मजबूत बनाने में अष्टांग योग Ashtanga Namaskara का अभ्यास अत्यंत लाभकारी होता है। संपूर्ण शरीर का भार इन अंगों पर पड़ने के कारण घुटनों के नीचे का हिस्सा एवं बाहें मजबूत बनती हैं।

#४ अष्टांग योग के अभ्यास से संपूर्ण शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है तथा अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है।

#५ नियमित अष्टांग योगा Ashtanga Namaskara का अभ्यास करने से छाती में जमा बलगम अथवा किसी भी प्रकार के ब्लॉकेज खुलते हैं जिससे फेफड़े स्वस्थ बनते हैं तथा ह्रदय को आवश्यक है रक्त एवं ऊर्जा प्राप्त होती है।

#६ अष्टांग नमस्कार के अभ्यास के दौरान माथे का भूमि को स्पर्श करने से शरीर में पृथ्वी तत्व का संतुलन होता है। परिणाम स्वरूप सहनशीलता बढ़ती हैं तथा व्यक्ति गंभीर एवं प्रभावी व्यक्तित्व वाला बनता है।

#७ अष्टांग योगा पोज के अभ्यास से कोर और मजबूत बनता है तथा ऐब्स बनाने में मदद मिलती हैं। साथी शरीर को बलशाली बनाने के अलावा बायसेप्स ट्राइसेप्स के लिए भी अष्टांग योग लाभकारी है।

#८ नियमित अष्टांग योग Ashtanga Namaskara के अभ्यास से शरीर में खींचा हुआ तनाव के प्रभाव से चक्र का संतुलन होता है। परिणाम स्वरुप व्यक्ति अधिक शांत ऊर्जावान तथा कार्यशील बनता है।

#९ अष्टांग नमस्कार का नियमित अभ्यास मणिपुर चक्र को सक्रिय एवं संतुलित करने में मदद करता है। जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास पढ़ने के साथ-साथ पाचन क्रिया भी सुधरती है।

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अष्टांग नमस्कार योग अभ्यास से पूर्व ध्यान रखने वाली बातें

#१ अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskara सूर्य देव की आराधना के साथ किया जाता है इसलिए यह अभ्यास सुबह सूर्योदय के समय या उससे पहले किया जाना चाहिए।

#२ अष्टांग नमस्कार के अभ्यास के समय आपका पेट खाली होना चाहिए।

अष्टांग नमस्कार करने में सावधानियां

#१ किसी भी प्रकार की गंभीर हड्डियों अथवा जोड़ों की समस्याएं की हालत में अष्टांग योग नमस्कार का अभ्यास ना करें अथवा चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

#२ गर्दन अथवा कमर दर्द के हालात में चिकित्सक की सलाह बिना इस आसन का अभ्यास न करें।

#३ किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी, ह्रदय रोग, रक्तचाप के मरीज़ इस आसन का अभ्यास ना करें।

#४ शुरुआती दिनों में अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskara का अभ्यास किसी अनुभवी एवं योग्य शिक्षक की निगरानी तथा स्वास्थ्य पर ध्यान देकर ही करें।

#५ गर्भवती महिलाएं अष्टांग नमस्कार पॉज का अभ्यास न करें।

Final Words – उम्मीद है अष्टांग नमस्कार Ashtanga Namaskara Pose के नियमित अभ्यास से मिलने वाले लाभों को जाने के बाद आप इसके अभ्यास को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहेंगे। यदि आप फूल सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं तो बहुत अच्छी बात है, अन्यथा अष्टांग नमस्कार पॉज का अभ्यास अवश्य करें।

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सबका मंगल हो

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