अर्ध मत्स्येंद्रासन कैसे करें एवं इसके लाभ। Ardha Matsyendrasana in HIndi

शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मेरुदंड अर्थात रीढ़ की हड्डी है। यदि रीढ़ की हड्डी स्वस्थ एवं सुचारू रूप से काम कर रही है तो संपूर्ण शरीर का स्वास्थ्य बना रहता है।

अर्धमत्स्येंद्रासन Ardha Matsyendrasana एक ऐसा आसन है जो रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।

रीढ़ की हड्डी रूट चक्र से लेकर सहस्रार चक्र तक ऊर्जा को प्रवाहित करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। मेरुदंड का स्वास्थ्य इड़ा एवं पिंगला नाड़ी को सुचारू कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

इन्हीं दो नाड़ियों से होकर प्राण ऊर्जा सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित होती है। जिस प्रकार दांत के स्वास्थ्य के लिए समय पर मंजन करना आवश्यक है उसी प्रकार मेरुदंड के स्वास्थ्य के लिए कुछ ऐसा व्यायाम आवश्यक है जो उर्जा के संचार को सुचारू रखे।

अर्धमत्स्येंद्रासन/Ardha Matsyendrasana एकमात्र ऐसा आसन है जिसका कुछ मिनटों का अभ्यास मेरुंदड को सक्रिय कर संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

MysticMind के इस आर्टिकल में अर्ध मत्स्येंद्रासन क्या है इसके अभ्यास की सही विधि/Ardha Matsyendrasana Steps क्या है, इस आसन से मिलने वाले लाभ एवं सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

अर्धमत्स्येंद्रासन से मिलने वाले लाभों/Ardha Matsyendrasana Benefits के बारे में जानने से पहले देखते हैं अर्धमत्स्येंद्रासन क्या है?

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अर्ध मत्स्येंद्रासन क्या है। What is Ardh Matsyendrasana in Hindi?

कहते हैं महान ऋषि मत्स्येंद्रनाथ का पसंदीदा आसन होने के कारण इस आसन को मत्स्येंद्रासन का नाम दिया गया। पूर्ण मत्स्येंद्रासन अर्थात मत्स्येंद्रासन अभ्यास में अत्यंत कठिन होने के कारण अर्धमत्स्येंद्रासन का अविष्कार हुआ।

अर्ध मत्स्येंद्रासन संस्कृत के चार शब्दों से मिलकर बना है। अर्ध, मत्स्य, इंद्र एवं आसन। अर्थ का अर्थ आधा, मत्स्य अर्थात मछली, इंद्र अर्थात देवताओं के राजा एवं आसन अर्थात मुद्रा।
इस प्रकार देखा जाए तो जिस तरह इंद्र देवताओं के राजा थे उसी प्रकार आसनों में सर्वश्रेष्ठ मत्स्येंद्रासन अथवा अर्धमत्स्येंद्रासन है।

अर्धमत्स्येंद्रासन/Ardha Matsyendrasana का नियमित अभ्यास करने वालों के शरीर में कोई बीमारी निवास नहीं कर सकती। यह आसन जितना चमत्कारी है उतना ही कठिन है इसलिए ध्यान पूर्वक अभ्यास करना अति आवश्यक है।

इस आसन के अभ्यास में की गई छोटी सी चूक विपरीत परिणाम दे सकती है इसलिए इस आसन के अभ्यास से पूर्व इसके अभ्यास की सही विधि जान लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अर्धमत्स्येंद्रासन से मिलने वाले अद्भुत लाभों/Ardha Matsyendrasana Benefits एवं सावधानियों को जानने से पहले जानते हैं की इस आसन के अभ्यास की सही विधि क्या है?

अर्धमत्स्येंद्रासन कैसे करें।How To Do Ardha Matsyendrasana in Hindi

Ardha Matsyendrasana Images

#१ शांत हवादार स्थान पर समतल जमीन देखकर अर्धमत्स्येंद्रासन के अभ्यास के लिए तैयार हो जाएं।

#२ सर्वप्रथम दंडासन में बैठ जाएं। हाथों की हथेलियों को खुला कर जमीन पर रखें एवं कमर से लेकर सिर का हिस्सा बिल्कुल सीधा करें।

#३ लंबी गहरी सांस लें सांसों को कुछ देर तक भीतर ही रोक रखें एवं फिर धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें। सांसों के इस अभ्यास द्वारा ध्यान को वर्तमान में लाएं एवं शरीर को ढीला छोड़ दें।

#४ अब बाएं पैर को उठाकर दाहिने पैर के घुटनों के ऊपर से ले जाते हुए दाहिने जांघ के बगल में जमीन पर रख दें।

#५ दाहिने पैर को बिल्कुल सीधा रखें, बाएं हाथ से बाएं पैर के तलवों को पकड़ें तथा दाएं हाथ को कमर के पीछे से ले जाते हुए बाईं तरफ़ ले जाएं।

#६ हाथों को पीछे से ले जाते समय कमर के ऊपर का हिस्सा मोड़ें, गर्दन एवं सिर को भी पीछे से बाईं तरफ़ मोड़ें। आंखों एवं ध्यान को जितना संभव हो बाईं तरफ़ ले जाएं।

#७ अब शरीर में हो रहे कंधों रीड की हड्डी के आसपास तनाव को महसूस करें। सांसों को सामान्य रूप से भीतर जाने और बाहर आने दें। जितनी देर संभव हो इसी अवस्था में रहें।

#८ अब धीरे-धीरे गर्दन हाथ एवं कमर को पीठ के पीछे से होते हुए सामने की ओर ले आए। बाएं हाथ को भी सामान्य जमीन पर रखें एवं बाएं पैर को घुटनों से ऊपर उठाते हुए नीचे जमीन पर पूर्ववत फैला दें।

#९ इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ भी दोहराएं। दूसरे पैर के साथ प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद अर्धमत्स्येंद्रासन का एक चक्र पूरा होता है। दिन में तीन से चार बार अर्धमत्स्येंद्रासन का अभ्यास अत्यंत लाभ देता है।

अर्धमत्स्येंद्रासन/Ardha Matsyendrasana के अभ्यास से पूर्व एवं अभ्यास के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक होती है। सावधानियों को जानने से पहले देखते हैं अर्ध मत्स्येंद्रासन का नियमित अभ्यास करने से क्या-क्या लाभ होते हैं/What are the the benefits of Ardha Matsyendrasana ?

Benefits of Ardha Matsyendrasana in Hindi/ अर्ध मत्स्येंद्रासन के लाभ

इस अद्भुत आसन के कई लाभ हैं जिनमें से कुछ नीचे दिए हैं

#१ सर्वप्रथम यह आसन शरीर की सबसे महत्वपूर्ण हड्डी अर्थात मेरुदंड जिसे रीढ़ की हड्डी भी कहते हैं को लचीला बनाता है।

#२ मेरुदंड के साथ-साथ जोड़ो के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। पैरों हाथ और कमर के जोड़ स्वस्थ एवं मजबूत बनते हैं।

#३ अर्धमत्स्येंद्रासन के अभ्यास से विशुद्ध चक्र सक्रिय होता है जिसके फलस्वरूप फेफड़ों एवं छाती के अन्य अंगों में ऑक्सीजन एवं रक्त संचार में वृद्धि होती है। जिससे गले अथवा स्वसन संबंधी बीमारियां दूर होने लगती हैं।

#४ शरीर में तनाव एवं चिंता कंधों तथा पीठ के ऊपरी हिस्से पर जमा होते हैं। अर्ध मत्स्येंद्रासन के नियमित अभ्यास से पीठ का ऊपरी हिस्सा खुलता है तथा तनाव एवं चिंता अवसाद आदि दूर होने लगते हैं।

#५ अर्धमत्स्येंद्रासन के अभ्यास के दौरान पेट एवं कमर पर तनाव गिरने के कारण पेट में ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है। परिणाम स्वरूप पाचन तंत्र में सुधार आता है जिससे कब्ज, गैस बनने आदि की बीमारियां दूर होती हैं।

#६ अर्ध मत्स्येंद्रासन के अभ्यास से कमर और पेट पर अतिरिक्त जमा चर्बी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। कमर दिखने में सुडौल एवं कमर की हड्डियां मजबूत बनती हैं।

#७ अर्धमत्स्येंद्रासन का नियमित अभ्यास गले अथवा कंधों के जोड़ों को प्रभावित करते हैं। फलस्वरूप कंधे मजबूत बनते हैं एवं पोश्चर में सुधार आता है।

#८ अर्ध मत्स्येंद्रासन के नियमित अभ्यास से स्त्रियों में माहवारी अथवा अन्य पेट की समस्याएं दूर होती है। साधारण रूप से मधुमेह हैं रक्तचाप एवं फिशर बवासीर आदि की समस्याएं दूर होने लगती हैं।

#९ अर्ध मत्स्येंद्रासनके अभ्यास से संपूर्ण मेरुदंड में उर्जा का संचार बढ़ता है परिणाम स्वरूप कुंडलिनी शक्ति जगाने में लाभ मिलता है।

जाने: कुंडलिनी शक्ति क्या है तथा इसके जागने से क्या लाभ होते हैं

Precaution is Of Ardha Matsyendrasana/अर्धमत्स्येंद्रासन में सावधानियां

जैसा कि हमने ऊपर देखा अर्ध मत्स्येंद्रासन अभ्यास में कठिन किंतु अत्यंत लाभकारी आसन है। इसके अभ्यास से पूर्व एवं अभ्यास के समय कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है।

#१ स्त्रियां गर्भावस्था अथवा मासिक धर्म के समय अर्ध मत्स्येंद्रासन का अभ्यास ना करें।

#२ किसी भी प्रकार की सर्जरी जैसे कि दिल पीठ या मस्तिष्क में किए गए किसी भी ऑपरेशन की अवस्था में अर्ध मत्स्येंद्रासन का अभ्यास ना करें। या फिर चिकित्सक की सलाह अनुसार करें।

#३ मेरुदंड अथवा शरीर में किसी अन्य हड्डियों में गंभीर समस्या की अवस्था में Ardha Matsyendrasana का अभ्यास न करें अथवा चिकित्सक की सलाह एवं योग शिक्षक की निगरानी में ही करें।

#४ पेल्विक अल्सर और हर्निया की समस्या से जूझ रहे लोग अर्ध मत्स्येंद्रासन का अभ्यास बिल्कुल न करें।

#५ शुरुआती दिनों में सामान्य लोग भी Ardha Matsyendrasana का अभ्यास योग्य शिक्षक की उपस्थिति में ही करें।

अर्ध मत्स्येंद्रासन/Ardha Matsyendrasana से पूर्व सहायक आसन

अर्धमत्स्येंद्रासन से पूर्व बद्ध कोणासन भरद्वाज आसन सुप्त पदांगीस्थासा तथा वीरासन का अभ्यास करने से अर्धमत्स्येंद्रासन का अभ्यास सरल हो जाता है।

अर्धमत्स्येंद्रासन/Ardha Matsyendrasana के बाद सहायक आसन

अर्धमत्स्येंद्रासन के अभ्यास के बाद पश्चिमोत्तानासन तथा जानू शीर्षासन का अभ्यास करने से शरीर की थकावट दूर होती है एवं अर्धमत्स्येंद्रासन का संपूर्ण लाभ मिलता है।

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Final Words: उम्मीद है अपनी दिनचर्या में कुछ मिनटों का अर्धमत्स्येंद्रासन/Ardha Matsyendrasana का अभ्यास शामिल कर आप अपनी मेरुदंड के साथ अन्य अंगों के स्वास्थ्य का संपूर्ण लाभ लेंगे।

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स्वस्थ रहें सुखी रहें सबका मंगल हो

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