Ardha Chakrasana in Hindi अक्सर स्त्रियों को जब भी कहा जाता है कि योग प्राणायाम या व्यायाम शुरू कीजिए, उनका उत्तर एक ही होता है,” दिन भर तो चलते ही रहते हैं, बहुत व्यायाम हो जाता है” ! इसी गलतफहमी की वजह से उनमें अनेकों बीमारियां कब शुरू होकर गंभीर रूप ले लेती हैं समझ ही नहीं आता।
ऊपर का हाल सिर्फ़ स्त्रियों नहीं बल्कि पुरुषों का भी है इसलिए आप चाहे दिन भर खड़े रहने वाले काम करते हों, चाहे बैठे, व्यायाम अनिवार्य है। काम करने और योग, व्यायाम करने में एक सबसे महत्वपूर्ण अंतर जो है, वह है ध्यान का!
काम में ध्यान कहीं और होता है जबकि योग अथवा व्यायाम का मकसद ही ध्यान शरीर पर देना होता है।
यही कारण था कि प्राचीन समय से चाहे कोई राजा हो या रंक, दिनचर्या में व्यायाम अथवा योगासनों का अभ्यास शामिल होता आ रहा है।
हठ योग में कुछ ऐसे भी योगासन हैं बैठकर नहीं बल्कि खड़े होकर किए जाते हैं। हमारे खयाल से ये आसन भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि बैठकर किए जाने वाले आसन अथवा मुद्राएं।
जीवन का आधा समय तो खड़े ही गुजरता है, तो इस अवस्था में भी स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए इन आसनों को अभय अत्यंत आवश्यक है।
Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन खड़े होकर किया जाने वाला आसन ही जिसके परिणाम आपको इसका नियमित अभ्यास करने के लिए उत्सुक बना देंगे।
MysticMind के इस आर्टिकल में हम आपको अर्ध चक्रासन से जुड़े सभी छोटी छोटी एवं आवश्यक बातों की विस्तार से जानकारी देंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि अर्ध चक्रासन क्या है तथा इसके नाम में क्या रहस्य छिपा है।
What Is Ardh Chakrasana? | Meaning of Ardh Chakrasana
अंग्रेजी में Half Wheel Pose [हाफ व्हील पोज] के नाम से जाना जाने वाला अर्ध चक्रासन, चक्रासन अवस्था में जाने का प्रथम चरण है। संस्कृत के तीन शब्दों से मिले अर्ध चक्रासन का यदि शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो अर्ध का अर्थ आधा, चक्र अर्थात पहिया तथा आसन अर्थात बैठने की अवस्था या मुद्रा।
इस प्रकार Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन का शाब्दिक अर्थ हुआ- वह आसन जिसमें शरीर का आकार आधे पहिए के समान बन जाए।
ताड़ासन से शुरू होने वाला यह आसन सम्पूर्ण शरीर को आकार देने वाला अथवा मेरुदंड के स्वास्थ्य तथा लचीलेपन के लिए अत्यंत लाभदायक आसन है। इस आसन के अनेकों लाभ हैं जो नियमित अभ्यास द्वारा आसानी से कुछ ही दिनों में अनुभव किए जा सकते हैं।
अर्ध चक्रासन Ardha Chakrasana के फायदों को जानने से पहले इसके अभ्यास की सही विधि जानना आवश्यक है। आसनों के अभ्यास में कि गई छोटी सी गलती भी विपरीत परिणाम देती है।
How to Do Ardha Chakrasana in Hindi
अब देखते है कि Ardha Chakrasana Procedure in Hindi, कैसे सही तरीके से अर्ध चक्रासन का अभ्यास करना चाहिए।
१- अर्ध चक्रासन के अभ्यास के लिए किसी शांत तथा हवादार स्थान पर चटाई अथवा योगा मैट बिछाकर ताड़ासन में अर्थात बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं।
२- दोनों पैरों को जोड़कर अर्थात पास- पास रखें तथा हाथों को घुटने से मोड़कर कमर पर रख लें।
३- अर्ध चक्रासन के लिए इसी अवस्था में चार से पांच लंबी गहरी सांस लें तथा सांस बाहर छोड़ें।
४- धीरे- धीरे सांस अंदर लेते हुए कमर से पीछे की ओर झुकना शुरू करें, ध्यान रहे, जल्दबाजी बिल्कुल ना करें। जितना संभव हो उतना पीछे की ओर झुकने के बाद तथा रुक जाएं।
५- पैरों तथा हाथों के पर नियंत्रण रखते हुए इसी अवस्था में पंद्रह से बीस तक गिनती करने तक थमे रहें। इस दौरान सांस बिल्कुल सामान्य रखें।
६- शरीर के जिस भी भाग में किसी भी प्रकार का खिंचाव, तनाव महसूस हो वहां ध्यान ले जाएं। फिर धीरे धीरे कमर से ऊपर का हिस्सा ऊपर उठना शुरू करें तथा सीधे खड़े हो जाएं।
७- दोनों हाथों को कमर से हटाकर सामान्य खड़े हो जाएं। इस प्रकार आपका अर्ध चक्रासन का एक चक्र पूर्ण हुआ।
८- शुरुआती दिनों में चार से पांच चक्र का अभ्यास करें, समय के साथ अवधि तथा चक्र की गिनती बढ़ा सकते हैं।
Ardha Chakrasana Benefits in Hindi | अर्ध चक्रासन के लाभ एवं सावधानियां
Ardha Chakrasana के लाभों को अनुभव करने के लिए उपर्युक्त विधि अपनाएं तथा निम्न लाभों का अनुभव करें।
१- आपका काम चाहे बैठकर अथवा खड़े होकर करना हो, दोनों के लिए यह आसन अत्यंत लाभदायक है। इससे मेरुदंड लचीला बनता है तथा पेट अथवा कमर दर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है।
२- अर्ध चक्रासन के अभ्यास से गर्दन, पेट तथा छाती पर पड़ने वाले तनाव के कारण अतिरिक्त वसा से मुक्ति मिलती है तथा कंधे आदि में तनाव या किसी भी प्रकार की पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
३- Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन किडनी, लीवर तथा पैंक्रियाज को सक्रिय करता है, जिसके कारण पाचन तंत्र पहले से स्वस्थ होता है। पाचन तंत्र संबंधी सभी समस्याएं दूर करने तथा पेट मे गैस बनने की समस्या दूर होती है।
४- पैंक्रियाज के सक्रिय होने से मधुमेह के होने के अतिरिक्त चांस भी खत्म हो जाते हैं। किसी मधुमेह रोगी का शुगर का स्तर अर्ध चक्रासन के नियमित प्रयोग से संतुलित हो जाता है।
५- मेरुदंड को सही रूप देने, खड़े होने, बैठने तथा चलने के स्वरूप को बदलकर आपके व्यक्तित्व में निखार लाने में अर्ध चक्रासन सहायक है।
६- Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में स्थित सभी चक्र सक्रिय तथा संतुलित होते हैं जिसके कारण कुण्डलिनी शक्ति सक्रिय होकर आपको अन्य मानसिक तथा शारीरिक लाभ देने लगती है।
७- पीछे झुकते वक्त छाती पर पड़ने वाले तनाव के कारण छाती की मांस पेशियों में रक्त संचार बढ़ता है। फलस्वरूप सांसों संबंधी समस्याएं तथा हृदय रोग को दूर करने में अर्ध चक्रासन महत्वपूर्ण सहयोग देता है।
८- स्लीप डिस्क, साइटिका,कमर दर्द, पीठ दर्द तथा कंधे के दर्द को खत्म कर हड्डियों को मजबूत बनाता है तथा इनकी उम्र बढ़ाकर आपको जवान तथा फुर्तीला अनुभव कराता है।
९- अर्ध चक्रासन का प्रभाव सिर के पिछले हिस्से तथा आज्ञा चक्र को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। जिसके फलस्वरूप पुरानी तथा नकारात्मक बातों का प्रभाव कम होने लगता है तथा वर्तमान में जीने के साथ खुश रहना अत्यंत आसन हो जाता है।
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Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन के अभ्यास से पहले ध्यान देने योग्य बातें
१- अर्ध चक्रासन के अभ्यास के कम से कम एक घंटे पूर्व कुछ भी खाएं या पिएं नहीं।
२- सूर्योदय से पहले किया गया आसन अमृत तुल्य परिणाम देता है इसलिए कोशिश करें की ब्रह्मा मुहूर्त में ही खाली पर से आसनों का अभ्यास करें।
३- विचारों में शुद्धता, सकारात्मकता तथा परोपकार की भावना का नियमित अभ्यास करें, इसका प्रभाव आसान के सम्पूर्ण लाभ को शीघ्र देने में सहायक है।
४- Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन के अभ्यास के दौरान ध्यान को इधर उधर न ले जाकर शरीर पर ही टिकाए रखें, जिस हिस्से में तनाव पड़े उधर ही ध्यान रखें।
Precautions for Ardh Chakrasana | अर्ध चक्रासन में सावधानियां
अर्ध चक्रासन का सर्वाधिक प्रभाव मेरुदंड पर पड़ता है जो मनुष्य के खड़े होने बैठने तथा चलने का आधार है, इसलिए सावधानियों पर विशेष ध्यान दें।
१- उच्च रक्तचाप अथवा किसी अन्य गंभीर बीमारी की अवस्था में चिकित्सक की सलाह तथा योग्य शिक्षक की निगरानी में ही अर्ध चक्रासन का अभ्यास करें।
२- पीछे झुकते वक्त किसी भी प्रकार की जल्दबाजी अथवा अतिरिक्त झुकाव करने से बचें। समय के साथ लचीलापन बढ़ेगा और सब कुछ आसान हो जाएगा।
३- Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन का अभ्यास सर्वप्रथम किसी योग्य शिक्षक की निगरानी में करें ताकि भविष्य में किसी भी दुष्परिणामों का सामना ना करना पड़े।
४- अमाशय, अंडाशय अथवा हर्निया के रोगियों तथा गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सक की सलाह के अर्ध चक्रासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
Final Words: उम्मीद है Ardha Chakrasana अर्ध चक्रासन के इन गुप्त लाभों को जानने के बाद आपकी दिनचर्या में इसे ज़रूर शामिल करेंगे। इस छोटे से तथा आसन से आसन को आप कहीं भी कुछ मिनट निकलकर कर सकते हैं। सिर्फ़ ध्यान रहे कि खाली पेट रहें।
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भवतु सब्बै मंगलम!